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लता मंगेशकर को मारने के लिए दिया गया था जहर, किसने जान लेने की कोशिश की ये जानती हैं वो !

locationनई दिल्लीPublished: Feb 06, 2022 11:05:00 am

Submitted by:

Sneha Patsariya

स्वर कोकिला लता दीदी की आत्मा आज परमात्मा में विलीन हो गयी और आज उन्होंने ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अंतिम साँसे ली। परमात्मा से मिलने से पहले एक बार उन्हें मारने की नापाक कोशिश भी की गयी थी।

Lata Mangeshkar Passed Away

लता मंगेशकर को मारने के लिए दिया गया था जहर, किसने जान लेने की कोशिश की ये जानती हैं वो !

लता मंगेशकर एक बेहतरीन गायक हैं और इस समय वह कोरोंस संक्रमित हो चुकीं हैं। इस समय लता मंगेशकर अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें ICU में रखा गया है। हालाँकि डॉक्टर्स का कहना है उनमें लक्षण हल्के हैं और वह पहले से बेहतर हैं। वहीं अब कई लोग उनके ठीक होने की दुआओं में लगे हुए हैं। लता के देश ही नहीं विदेशों में भी इनके चाहने वाले मौजूद हैं। इनकी अवाज का जादू चारों दिशाओं को गुंजायमान कर रहा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार लता मंगेशकर को मारने के लिए जहर दिया गया था। जी हाँ, सुनकर आपको यकीन तो नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है। लता मंगेशकर के बारे में हमेशा से यह चर्चा रही हैं कि जब वह 33 साल की थीं। तो उन्हें किसी ने जहर देकर मारने की कोशिश की थी। जी दरअसल आजकल लता मंगेशकर अब फिल्मी दुनिया से दूर रहती हैं। हालाँकि एक बार उन्होंने मीडिया को इंटरव्यू दिया था जिसमे उन्होंने यह सब बताया था।
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लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, ‘हम मंगेशकर्स इस बारे में बात नहीं करते, क्योंकि यह हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था। साल 1963 में मुझे इतनी कमजोरी महसूस होने लगी कि मैं तीन महीने तक बेड से भी बहुत मुश्किल से उठ पाती थी। हालात यह हो गए कि मैं अपने पैरों से चल फिर भी नहीं सकती थी।’ इसके बाद लता मंगेशकर का लंबा इलाज चला था। उनसे पूछा गया कि क्या डॉक्टर्स ने उन्हें कह दिया था कि वह कभी नहीं गा पाएंगी? इसके जवाब में लता मंगेशकर ने कहा, ‘यह सही नहीं है, यह मेरे धीमे जहर के इर्द-गिर्द बुनी गई एक काल्पनिक कहानी है। डॉक्टर ने मुझे नहीं कहा था कि मैं कभी नहीं गा पाऊंगी। मुझे ठीक करने वाले हमारे पारिवारिक डॉक्टर आर पी कपूर ने तो मुझसे यह तक कहा था कि वह ठीक करके रहेंगे, लेकिन मैं साफ कर देना चाहती हूं कि पिछले कुछ सालों में यह गलतफहमी हुई है। मैंने अपनी आवाज नहीं खोई थी।’
लंबे इलाज के बाद वह ठीक हो गई थीं। उन्होंने कहा, ‘इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि मुझे धीमा जहर दिया गया था। डॉ. कपूर का इलाज और मेरा दृढ़ संकल्प मुझे वापस ले आया। तीन महीने तक बेड पर रहने के बाद मैं फिर से रिकॉर्ड करने लायक तैयार हो गई थी।’
https://youtu.be/Ou0B9T89L0g
लता मंगेशकर की मानें तो उनकी रिकवरी में मजरूह सुल्तानपुरी की अहम भूमिका है। वे बताती हैं, “मजरूह साहब हर शाम घर आते और मेरे बगल में बैठकर कविताएं सुनाकर मेरा दिल बहलाया करते थे। वे दिन-रात व्यस्त रहते थे और उन्हें मुश्किल से सोने के लिए कुछ वक्त मिलता था। लेकिन मेरी बीमारी के दौरान वे हर दिन आते थे। यहां तक कि मेरे लिए डिनर में बना सिंपल खाना खाते थे और मुझे कंपनी देते थे। अगर मजरूह साहब न होते तो मैं उस मुश्किल वक्त से उबरने में सक्षम न हो पाती।”
जब लताजी से पूछा गया कि कभी इस बात का पता चला कि उन्हें जहर किसने दिया था? तो उन्होंने जवाब में कहा, “जी हां, मुझे पता चल गया था। लेकिन हमने कोई एक्शन नहीं लिया। क्योंकि हमारे पास उस इंसान के खिलाफ कोई सबूत नहीं था।”
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ठीक होने के बाद लताजी का पहला गाना ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ हेमंत कुमार ने कंपोज किया था। लताजी बताती हैं, “हेमंत दा घर आए और मेरी मां की इजाजत लेकर मुझे रिकॉर्डिंग के लिए ले गए। उन्होंने मां से वादा किया कि किसी भी तरह के तनाव के लक्षण दिखने के बाद वे तुरंत मुझे घर वापस ले आएंगे। किस्मत से रिकॉर्डिंग अच्छे से हो गई। मैंने अपनी आवाज नहीं खोई थी।” लताजी के इस गाने ने फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता था।
मालूम हो कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर को भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार और कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

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