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आखिरकार इस तारीख को रिलीज होगी सोनी राजदान की ‘No Fathers in Kashmir’

अश्विन कुमार ने इस फि़ल्म का निर्देशन किया है उन्हें पहले एक बार उनकी एक शॉर्ट फि़ल्म, लिटिल टेररिस्ट के लिए ..

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No Fathers in Kashmir

No Fathers in Kashmir

'ऑस्कर' के लिए नामांकित और दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार के विजेता निर्देशक, अश्विन कुमार की ओर से इस फि़ल्म का पहला पोस्टर पेश किया गया। सेंसर बोर्ड के द्वारा 8 महीनों के लंबे वक्त तक रोक लगाए जाने के बाद, अब पूरे देश के दर्शकों को 2019 की सबसे ज्यादा इंतजार की जाने वाली एक फि़ल्म देखने को मिलेगी। यह फि़ल्म इस हफ्ते की शुरुआत में सुर्खि़यों में रही थी, जब इसकी पिछले कुछ महीनों से चल रही लड़ाई खत्म हुई और आखिरकार न्याय और 'यूए' सर्टिफिकेट मिला।

अश्विन कुमार ने इस फिल्म का निर्देशन किया है उन्हें पहले एक बार उनकी एक शॉर्ट फिल्म, लिटिल टेररिस्ट के लिए ऑस्कर के लिए नामांकित किया जा चुका है और कश्मीर की सच्चाई बयां करनेवाली फिल्मों - 'इंशाल्लाह फुटबॉल' और 'इंशाल्लाह कश्मीर' के लिए वे दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं। 'No Fathers in Kashmir' उनकी 'कश्मीर की तिगड़ी' की तीसरी फि़ल्म है। उम्मीद, शांति, और मानवता जैसे मुद्दे उनकी अब तक की हर फिल्म में खास तौर पर नजऱ आते हैं और 'नो फादर्स इन कश्मीर' में भी कुछ ऐसे ही जज्बातों को दिखाया गया है।

इस फिल्म के लेखक और निर्देशक होने के अलावा, अश्विन फिल्म के मुख्य किरदारों में से भी एक हैं जिनके साथ इसमें सोनी राजदान, कुलभूषण खरबंदा, अंशुमान झा और माया सराओ भी शामिल हैं और यह फि़ल्म पूरे हिंदुस्तान के सिनेमाघरों में 5 अप्रैल 2019 को रिलीज होने वाली है।

फिल्म के निमातज़ओं ने अब फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर रिलीज किया है जिसमें एक फोन की टूटी हुई स्क्रीन दिखाई दे रही है जिसके पीछे दो आकर्षक नीली आंखों वाले, 16 साल के बच्चे खड़े नजर आ रहे हैं। यह कहानी एक 16 साल की ब्रिटिश कश्मीरी लड़की, नूर पर आधारित है, जो अपने पिता की तलाश में अपनी जड़ों को ढूंढने निकलती है। तब उसकी मुलाकात माजिद से होती है, जो वहीं का एक लड़का होता है और उसपर फिदा हो जाता है, वो उसे भारत-पाक सीमा के पास एक खतरनाक से इलाक़े में ले जाता है जहां जाना मना होता है। वहां उन्हें किसी रहस्य का पता चलता है और बात तब बिगड़ जाती है जब उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। नूर को जल्दी ही छोड़ दिया जाता है जबकि माजिद को नहीं छोड़ा जाता। उसकी वजह से मुसीबत में पड़े माजिद को रिहा कराने के लिए नूर किस हद तक जायेगी। और क्या इन दोनों के बीच पहले जैसा प्यार हो सकेगा।