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‘ये भारी बोझ मेरे सीने से हटे…’ ब्रेस्ट इम्प्लांट रिमूवल पर शर्लिन चोपड़ा ने सुनाई आपबीती

Sherlyn Chopra: एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने अपने ब्रेस्ट इम्प्लांट रिमूवल सर्जरी पर खुलकर बात की है। उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए, इसे एक भारी बोझ कहा…

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शर्लिन चोपड़ा

शर्लिन चोपड़ा (सोर्स: X @SherlynChopra)

Sherlyn Chopra: आज के समय में ब्रेस्ट इम्प्लांट एक आम बात है, लेकिन हर सर्जरी की तरह इसके भी कई साइडिफेक्ट होते हैं। हाल में अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा ने खुलासा किया है कि वे अपने 825 ग्राम ब्रेस्ट इम्प्लांट हटवा रही हैं। साथ ही उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर बताया कि पिछले कुछ महीनों से वे लगातार कमर, सीने, गर्दन और कंधे के दर्द से जूझ रही थी, जिससे उन्हें सीने में दबाव भी महसूस होता था।

शर्लिन चोपड़ा ने सुनाई आपबीती

इसलिए उन्होंने डॉक्टर की सलाह ली और सलाह के बाद पता चला कि इन सभी समस्याओं का कारण उनके हैवी ब्रेस्ट इम्प्लांट्स है, जिसके बाद उन्होंने अपनी फुर्ती और एनर्जी वापस पाने के लिए इन्हें हमेशा के लिए हटवाने का फैसला लेते हुए अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर कहा, 'मैं इन इम्प्लांट्स को हमेशा के लिए हटवा दूंगी, ये भारी बोझ मेरे सीने से हटने वाली है और एक बार फिर मैं अपनी लाइफ को बिना किसी बोझ के शुरू करने वाली हूं।'

दरअसल, ब्रेस्ट इम्प्लांट हटवाने का फैसला महिलाओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती है, क्योंकि इम्प्लांट निकलने के बाद ना केवल उनका फिजिकल अपीरियंस बदलता है, बल्कि स्किन की इलास्टिसिटी और कई मामलों में इसका गहरा असर इमोशनल और हार्मोनल भी पड़ता है। ऐसे में ये सवाल उठना नॉर्मल है कि क्या सर्जरी के बाद शरीर पूरी तरह पहले जैसा हो पाता है? और रिकवरी में कितना टाइम लगता है? इन सभी जरूरी सवालों का जवाब जानना हर किसी के लिए जरूरी है, तो आइए जानें इसकी प्रक्रिया क्या होती है…

सर्जरी में 48–72 घंटे

ब्रेस्ट इम्प्लांट, चाहे सिलिकॉन हों या सलाइन, जीवन भर नहीं रह सकते है। कई लोग असुविधा से लेकर सौंदर्य में बदलावों और यहां तक कि मेडिकल टेंशन तक, कई कारणों से उन्हें बार-बार हटाते या बदलवाते रहते हैं और सर्जरी में 48–72 घंटे तक फीमेल्स को दर्द और सूजन से गुजरना पड़ता है। बता दें, सिलिकॉन हटाना हमेशा शुरुआती ऑग्मेंटेशन सर्जरी जितना आसान नहीं होता और इसमें बहुत परेशानियां झेलनी पड़ती है। हमेशा इसकी सर्जरी सफल रहे ये भी जरूरी नहीं, कई बार इससे शरीर का आकार भी खराब हो जाता है। तो वहीं, रिकवरी होने में 4-6 हफ्ते लग जाते है।

स्वाभाविक रूप से एक कैप्सूल

इतना ही नहीं, जब इम्प्लांट डाला जाता है, तो शरीर स्वाभाविक रूप से एक कैप्सूल बनाता है, जिसका निशान एक पतली परत की तरह होता है। ये कैप्सूल हमेशा परेशानी नहीं बढ़ाता कभी-कभी ही इसके फेल होने के चांसेस होते है और इम्प्लांट लगाना आसान होता है, लेकिन इसे निकालने में ज्यादा समय लग सकता है। क्योंकि इसके लिए बड़ी सर्जरी करनी पड़ती है। जिससे परेशानियां बढ़ने के चांसेस ज्यादा होते है। जैसे- लगातार दर्द बढ़ना, अनियमित आकार के मामले में बदलाव।