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बुलंदशहर हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज की रिहाई के बाद ऐसे किया गया स्वागत

पुलिस की सख्ती के बाद भी आरोपी के पर बड़ी संख्या में पहुंचे लोग जेल से रिहा होने पर लोगों ने योगेश राज को दी बधाई स्वागतच में घर के बाहर लगाया गया टैंट

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बुलंदशहर. 3 दिसंबर 2018 को स्याना में हुई हिंसा का मुख्य आरोपी बनाए गए योगेश राज को जमानत के बाद शुक्रवार को जिला जेल से रिहा कर दिया गया है। हर बार की तरह इस बार भी इस हिन्दूवादी नेता की रिहाई पर उनके घर बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर बधाई दी। गौरतलब है कि कि पुलिस का स्थानीय हिंदूवादी संगठनों पर दबाव था कि योगेश राज की रिहाई के बाद उसके सम्मान में कोई कार्यक्रम नहीं किया जाए, लेकिन रिहाई के बाद गांव पहुंचे योगेश राज के स्वागत में बाकायदा एक टेंट लगाया गया । इस दौरान उसके घर काफी संख्या में लोग पहुंचे और योगेश की रिहार्इ पर बधार्इ दी। इस दौरान योगेश राज ने कहा कि इस केस से मेरा कोर्इ लेना-देना नहीं है। मैं घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं था। हालांकि मामला कोर्ट में होने के चलते उसने न्यायालय पर भरोसा जताया है।

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बता दें कि जब पूर्व भाजयुमो के पदाधिकारी व अन्य 5 आरोपी जमानत पर जेल से छूटे थे तब फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया था। इसको लेकर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पत्नी व बेटे ने आपत्ति दर्ज करार्इ थी। यही वजह है कि जेल से योगेश राज के रिहा होने पर वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी, नारेबाजी या भव्य स्वागत न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए थे। यही वजह है कि गुपचुप तरीके से योगेश राज को शुक्रवार को जेल से रिहा किया गया था।

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मुझे पुलिस ने फंसाया

जेल से रिहा होते ही योगेश राज शुक्रवार को सबसे पहले कार्यालय पहुंचा था। इसके बाद योगेश राज अपने गांव पहुंचा। जहां योगेश राज के घर पर बाकायदा एक टेंट लगाया गया था। घर में योगेश राज को देखकर परिजनों के चेहरे खिल उठे। इस दौरान योगेश राज से मिलने के लिए काफी संख्या में लोग भी पहुंचे थे। इस मौके पर योगेश राज ने कहा कि चिंगरावठी में हुआ बवाल दुर्भाग्यपूर्ण है। उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। योगेश ने कहा कि मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। FIR में पुलिस ने मेरा नाम गलत शामिल किया है।

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इस वजह से योगेश राज को मिली जमानत

इस दौरान योगेश राज व अन्य आरोपियों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता ब्रूनो भूषण व विहिप के विभागीय मंत्री ने कहा कि मामला बेहद गंभीर था। पुलिस ने शेखर अग्रवाल और योगेश राज का नाम गलत शामिल किया था। जबकि वह घटना के बाद शामिल नहीं थे। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर 43 गिरफ्तारियां की, लेकिन पुलिस अभी तक वह पिस्टल नहीं बरामद कर सकी है, जिससे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या की गई थी। यही वजह से सभी आरोपियों को जमानत मिली है।