दरअसल में फूलनदेवी हत्यकांड में आजीवन कारावास की सजा पा चुके शेर सिंह राणा देशभर में एससी एसटी एक्ट के विरोध में सवर्णो को जागरुक कर रहे है। ये पिछले तीन माह से पूरे देश में पदयात्रा का आयोजन करते आ रहे है। साथ ही सवर्णो को जागरुक कर रहे है। इस मौके पर शेर सिंह राणा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 माह पहले कहा था बिना जांच के किसी को जेल भेजा जाए। लेकिन केंद्र सरकार ने कोर्ट के आदेश को पलट दिया। नया कानून गलत है। सवर्ण और पिछड़े वर्ग के लोगों के बीच में मतभेद नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत जांच के बगैर जेल भेजा जाएगा। ऐसे में निर्दोष भी जेल जाएंगे। यह व्यवस्था गलत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला सवर्ण के साथ अन्याय है। लेकिन केंद्र सरकार सवर्णो के पक्ष में जरुर फैसला देगी। उन्होंने कहा कि १६ दिसंबर को गाजियाबाद में महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देशभर से लाखों की संख्या में सवणर् समाज के लोग इक्टठा होंगे। अगर जल्द ही कानून को लेकर केंद्र सरकार सवणोर् के पक्ष में कोर्इ ठोस कदम नहीं उठाती है तो १६ दिसंबर को आगे की रणनीति तय की जाएगी।
ये है शेर सिंह राणा शेर सिंह राणा ने दस्यू सुंदरी फूलन देवी पर हमला किया था। दो दिन बाद ही शेरसिंह राणा ने देहरादून में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। इन्होंने फूलन की हत्या में शामिल होने की बाद कबूल की थी। हालांकि अपनी किताब जेल डायरी में राणा ने पुलिस पर जुर्म कुबूल करवाने के लिए मजबूर करने का आरोप भी लगाया था। अगस्त 2014 में दिल्ली की एक निचली अदालत ने फूलन देवी हत्याकांड के दोषी शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास, और 1 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
शेर सिंह राणा करीब तीन साल बाद 17 फरवरी 2004 को तिहाड़ जेल से फिल्मी अंदाज में भाग निकले थे। बाद में पुलिस ने 17 मई 2006 को शेरसिंह राणा को कोलकाता के एक गेस्ट हाउस से गिरफ्तार किया था। फरारी के दिनों के बारे में खुलासा करते हुए राणा ने कहा था कि अफगानिस्तान के गजनी इलाके में हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की रखी अस्थियों को लेकर आए थे। तिहाड़ जेल से फरारी के बाद राणा ने झारखंड के रांची से फर्जी पासपोर्ट बनवाया।इसके बाद वह नेपाल, बांग्लादेश, दुबई होते हुए अफगानिस्तान पहुंचा। साल 2005 में वह पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां लेकर भारत आया।