
SIP से भी सोना खरीदा जा सकता है। (PC: Gemini)
भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी टैरिफ वॉर से सेफ हैवन एसेट के रूप में लोकप्रिय सोना एक लाख रुपए के पार निकल चुका है। गोल्ड इस साल अब तक 29% तो एक साल में करीब 43% महंगा हुआ है। कीमतों में हुई इस बेतहाशा बढ़ोतरी के चलते देश में सोने के गहनों की बिक्री घटी है। इसे देखते हुए देश के टॉप ज्वैलरी ब्रांड्स, किश्तों में या एसआईपी के रूप में ग्राहकों को पेमेंट का ऑप्शन दे रहे हैं। साथ ही ज्वैलर्स ने ग्राहकों के लिए गोल्ड सेविंग स्कीम भी शुरू की है।
ग्राहकों का कहना है कि गोल्ड की कीमतें इतनी बढ़ जाने से उनके लिए एक साथ अपने बेटे-बेटी की शादी के लिए गहने खरीदना मुश्किल हो गया है, ऐसे में गोल्ड सेविंग स्कीम में एसआईपी एक अच्छा विकल्प है। तनिष्क और कल्याण जैसी कई कंपनियां पहली किस्त के भुगतान मूल्य पर विशेष छूट के साथ 12 महीने बाद ज्वैलरी खरीदने पर मेकिंग चार्ज में भी कुछ छूट दे रही हैं।
ज्वैलर्स की ओर से चलाई जा रही स्कीम में 10,000 रुपए हर महीने एसआईपी करने पर 12 महीने बाद जमा राशि के अलावा 7.5% ब्याज के हिसाब से 7500 रुपए मिलते हैं। ग्राहक इसे 10 महीने बाद भी निकाल सकते हैं, लेकिन ऐसे करने पर ब्याज कम हो जाएगा। 12 महीने होने पर या इससे पहले आप एसआईपी से जमा हुए इस पैसे से गोल्ड जूलरी खरीद सकते हैं। पहली किस्त के भुगतान मूल्य पर विशेष छूट के साथ मेकिंग चार्ज भी कम लगेगा। कई कंपनियां एक ग्राम गोल्ड बिना जीएसटी और मेकिंग चार्ज के खरीदने का विकल्प दे रही हैं। ऐसी स्कीम चलाने वाला अकेला तनिष्क ही नहीं है। कल्याण ज्वैलर्स, मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स में भी ज्वैलरी खरीदने वाले ग्राहकों के लिए ऐसी किश्त योजनाएं चल रही हैं।
केडिया कैपिटल के फाउंडर अजय केडिया ने राजस्थान पत्रिका को बताया, "ज्वैलर्स जो गोल्ड सेविंग स्कीम दे रहे हैं, ये आमतौर पर 10 से 12 महीनों के लिए एसआईपी की तरह होती हैं। हालांकि, इन स्कीम्स का रिजल्ट और रिस्क गोल्ड म्यूचुअल फंड या गोल्ड ईटीएफ के समान नहीं होता है।"
केडिया ने कहा, "जब आप 10-12 महीनों के बाद गोल्ड ज्वैलरी खरीदना चाहें, तभी आपके लिए गोल्ड सेविंग स्कीम उपयोगी हो सकती हैं। उन निवेशकों के लिए गोल्ड म्यूचुअल फंड और ईटीएफ ज्यादा मददगार होंगे, जो लंबी अवधि में गोल्ड की बढ़ती कीमतों से लाभ उठाना चाहते है, लेकिन ज्वैलरी या सिक्के रखने में रुचि नहीं रखते हैं।"
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुज गुप्ता ने बताया, "गोल्ड और सिल्वर की ऊंची और बढ़ती कीमतों को देखते हुए एसआईपी से गोल्ड ज्वैलरी खरीदना सही विकल्प है, लेकिन यह तभी सही है जब आप अपने इस्तेमाल के लिए ज्वैलरी खरीदना चाहते हैं। अगर आप गोल्ड में निवेश कर इसमें मिलने वाले रिटर्न की चाहत में गोल्ड सेविंग स्कीम में एसआईपी करना चाहते हैं, तो इससे बेहतर एसआईपी के जरिए गोल्ड म्यूचुअल फंड्स और गोल्ड ईटीएफ में निवेश है। इनमें गोल्ड बचत योजनाओं से ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है।"
आइबीजेए ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान-इजरायल संघर्ष जैसी जियो- पॉलिटिकल टेंशन और अन्य दूसरे कारणों से गोल्ड की कीमतो में तेज उछाल आया। जब दुनिया में तनाव बढ़ता है, तो निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं, जिससे इसकी मांग और कीमत दोनों बढ़ जाती है। वर्ष 2019 से 2025 के बीच गोल्ड की कीमत लगभग 200% बढ़ी है।
नियमों के अनुसार, गोल्ड सेविंग स्कीम्स को डिपॉजिट माना जाता है, यदि उनमें वादा किए गए रिटर्न के साथ मौद्रिक किश्तें शामिल हों। 365 दिन के भीतर वस्तुओं या सेवाओं के लिए प्राप्त अग्रिम राशि को जमा की परिभाषा से बाहर रखा गया है। सभी ज्वैलरी कंपनियों को आरबीआई और सेबी के नियमों का पालन करना होगा।
Published on:
18 Aug 2025 12:02 pm
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