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भूल जाएंगे Bank Locker लेना जब जानेंगे Gold ओवरड्राफ्ट के ये फायदे, जूलरी की सेफ्टी की होगी 100% गारंटी

Bank Locker Vs Gold Overdraft: गोल्ड ओवरड्राफ्ट लेने पर ओवरड्राफ्ट रकम का 1 से 2 फीसदी प्रोसेसिंग चार्ज लगता है। इसके अलावा 600 रुपये स्टांप ड्यूटी और 500 रुपये वैल्यूएशन चार्ज लगता है।

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Bank Locker Vs Gold Overdraft

गोल्ड ओवरड्राफ्ट में जूलरी की सेफ्टी अच्छी रहती है। (PC: Gemini)

बैंक लॉकर के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट और उससे जुड़ी शर्तें कई ग्राहकों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई हैं। खासकर बड़े शहरों में लॉकर पाना आसान नहीं होता है। कई बार तो बैंक इसके बदले में एफडी-इंश्योरेंस जैसे अन्य वित्तीय उत्पाद खरीदने की शर्त रखते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ शर्तों के साथ गोल्ड ओवरड्राफ्ट (OD) सुविधा बैंक लॉकर के मुकाबले बेहतर और किफायती साबित हो सकता है।

क्या है गोल्ड ओवरड्राफ्ट?

गोल्ड ओवरड्राफ्ट एक ऐसा बैंकिंग प्रोडक्ट है, जिसमें आप अपनी सोने की जूलरी बैंक को सिक्योरिटी के रूप में जमा करते हैं। बैंक इस सोने को अपने वॉल्ट में सुरक्षित रखता है और उसके आधार पर आपको एक ओवरड्राफ्ट लिमिट प्रदान करता है। खास बात यह है कि इस पर ब्याज तभी देना होता है जब आप इस राशि का उपयोग करते हैं। यानी जरूरत पड़ने पर सोने के बेचे बगैर गोल्ड लोन जैसी सुविधा मिलती है। यदि आप केवल सोना जमा करके रखते हैं और ओवरड्राफ्ट खाते में जमा राशि का उपयोग नहीं करते हैं, तो कोई ब्याज नहीं लगता है। प्रोसेसिंग फीस 1-2%, स्टाम्प ड्यूटी और मूल्यांकन शुल्क जरूर देना होता है। अगर आप ओवरड्राफ्ट अवधि बढ़ाते हैं, तो ये शुल्क फिर से लागू हो सकते हैं।

गोल्ड ओडी कैसे करता है काम?

स्टेप 1. बैंक में गोल्ड ओवरड्राफ्ट खाता खुलवाएं।
स्टेप 2. जितनी राशि खर्च करेंगे, उसी पर ब्याज लगेगा ।
स्टेप 3. गोल्ड ओडी खाते में रखी रकम पर ब्याज नहीं लगता।
स्टेप 4. गिरवी रखी गोल्ड ज्वैलरी बैंक के वॉल्ट में सुरक्षित रहेगी।

गोल्ड ओवरड्राफ्ट की खामियां

  1. सभी बैंक गोल्ड ओवरड्राफ्ट अकाउंट की सुविधा नहीं देते हैं, इसलिए छोटे बैंकों का रुख करना पड़ सकता है।
  2. यह एक लोन प्रोडक्ट है, इसलिए बैंक के पास यह लीगल अधिकार है, कि खर्च राशि नहीं चुकाने पर बैंक सोना नीलाम कर सकता है।
  3. गोल्ड ओडी खाते से राशि अगर खर्च की गई है, तो इस पर बैंक गोल्ड लोन से 1% अधिक ब्याज वसूल सकते हैं।

लॉकर Vs गोल्ड ओडी

लॉकर में रखा सोना अक्सर इंश्योर्ड नहीं होता है और बैंक की जिम्मेदारी सीमित होती है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, बैंक सिर्फ लॉकर किराए के 100 गुना तक मुआवजा दे सकता है। यानी 5,000 रुपए के वार्षिक किराए पर बैंक अधिकतम 5 लाख रुपए का मुआवजा देगा। दूसरी तरफ, गोल्ड ओडी मैं बैंक आपके सोने का मूल्य जानता है और उसे सुरक्षित रखता है। यानी आपके सोने की 100% गारंटी होती है।

बैंक लॉकर की खामियां

  1. चोरी, फर्जीवाड़ा, आग, स्टाफ की गलती से हुए नुकसान के लिए ही बैंक जिम्मेदार है। प्राकृतिक आपदा आदि में आपके सोने की सुरक्षा की गारंटी नहीं रहती है।
  2. अगर लॉकर का सालाना रेंट 5000 रुपये है, तो उसका 100 गुना यानी 5 लाख का सोना ही इंश्योर्ड होगा, भले ही लॉकर में 50 लाखा का सोना ही क्यों न रखा हो।
  3. बैंक आपसे नियमों के मुताबिक सिक्योरिटी भी डिपॉजिट करवा सकते हैं और लॉकर के लिए एफडी खाता या इंश्योरेंस कराने के लिए कह सकते हैं।