
गोल्ड ओवरड्राफ्ट में जूलरी की सेफ्टी अच्छी रहती है। (PC: Gemini)
बैंक लॉकर के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट और उससे जुड़ी शर्तें कई ग्राहकों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई हैं। खासकर बड़े शहरों में लॉकर पाना आसान नहीं होता है। कई बार तो बैंक इसके बदले में एफडी-इंश्योरेंस जैसे अन्य वित्तीय उत्पाद खरीदने की शर्त रखते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ शर्तों के साथ गोल्ड ओवरड्राफ्ट (OD) सुविधा बैंक लॉकर के मुकाबले बेहतर और किफायती साबित हो सकता है।
गोल्ड ओवरड्राफ्ट एक ऐसा बैंकिंग प्रोडक्ट है, जिसमें आप अपनी सोने की जूलरी बैंक को सिक्योरिटी के रूप में जमा करते हैं। बैंक इस सोने को अपने वॉल्ट में सुरक्षित रखता है और उसके आधार पर आपको एक ओवरड्राफ्ट लिमिट प्रदान करता है। खास बात यह है कि इस पर ब्याज तभी देना होता है जब आप इस राशि का उपयोग करते हैं। यानी जरूरत पड़ने पर सोने के बेचे बगैर गोल्ड लोन जैसी सुविधा मिलती है। यदि आप केवल सोना जमा करके रखते हैं और ओवरड्राफ्ट खाते में जमा राशि का उपयोग नहीं करते हैं, तो कोई ब्याज नहीं लगता है। प्रोसेसिंग फीस 1-2%, स्टाम्प ड्यूटी और मूल्यांकन शुल्क जरूर देना होता है। अगर आप ओवरड्राफ्ट अवधि बढ़ाते हैं, तो ये शुल्क फिर से लागू हो सकते हैं।
स्टेप 1. बैंक में गोल्ड ओवरड्राफ्ट खाता खुलवाएं।
स्टेप 2. जितनी राशि खर्च करेंगे, उसी पर ब्याज लगेगा ।
स्टेप 3. गोल्ड ओडी खाते में रखी रकम पर ब्याज नहीं लगता।
स्टेप 4. गिरवी रखी गोल्ड ज्वैलरी बैंक के वॉल्ट में सुरक्षित रहेगी।
लॉकर में रखा सोना अक्सर इंश्योर्ड नहीं होता है और बैंक की जिम्मेदारी सीमित होती है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, बैंक सिर्फ लॉकर किराए के 100 गुना तक मुआवजा दे सकता है। यानी 5,000 रुपए के वार्षिक किराए पर बैंक अधिकतम 5 लाख रुपए का मुआवजा देगा। दूसरी तरफ, गोल्ड ओडी मैं बैंक आपके सोने का मूल्य जानता है और उसे सुरक्षित रखता है। यानी आपके सोने की 100% गारंटी होती है।
Published on:
25 Aug 2025 12:36 pm
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