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क्या अमेरिका के ऑफिसों का वर्क कल्चर खराब कर रहे भारतीय? एक पूर्व कर्मचारी ने किया बड़ा खुलासा

H-1B visa: अमेजन के एक पूर्व कर्मचारी ने रेडिट पर लिखा है कि भारतीय मैनेजर्स टॉक्सिक बिहेव करते हैं और हायरिंग में पक्षपात करते हैं। उन्होंने लिखा कि वे वीजा पर आने वाले कर्मचारियों को शोषण करते हैं।

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H-1B visa

अमरीका में भारतीयों को चीनियों से आधे छात्र वीजा (PC: Gemini)

H-1B Visa: क्या अमेरिका के लोग H-1B वीजा पर आने वाले भारतीय कर्मचारियों से चिढ़ते हैं? 21 सितंबर को अमेरिकी सरकार द्वारा एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाए जाने के बाद से इसे लेकर काफी बहस हो रही हैं। इस बीच अमेजन के एक पूर्व कर्मचारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक ऐसा अनुभव शेयर किया है, जो कई सवाल खड़े कर रहा है। एच-1बी मुद्दे पर बोलते हुए इस कर्मचारी ने कहा कि वर्क एनवायर्नमेंट बाहर से जितना शानदार दिखता है, उतना नहीं है।

'भारतीय मैनेजर्स का टॉक्सिक व्यवहार'

इस रेडिट पोस्ट का कैप्शन है- 'मैं हाल ही में अमेरिका से लौटा हूं। H-1B मुद्दे पर मेरी राय और क्यों अमेरिका के लोग भारतीयों से नफरत करते हैं।' अमेजन के इस पूर्व कर्मचारी ने लिखा कि वापस आने के पीछे एक बड़ा कारण भारतीय मैनेजर्स का टॉक्सिक व्यवहार था। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, 'वे कर्मचारियों का शोषण करते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि वीजा की स्थिति कितनी जटिल और असुरक्षित होती है, चूंकि वे खुद भी इस प्रक्रिया से गुजरे होते हैं।'

भर्ती में पक्षपात

हायरिंग प्रोसेस में पक्षपात को उजागर करते हुए उन्होंने लिखा, 'मुझे नहीं लगता कि ट्रंप गलत सोच रहे हैं। कई भारतीय उच्च पदों पर हैं, जो मुख्य रूप से भारतीयों को ही भर्ती करते हैं और उनसे जमकर काम कराते हैं। वे उन कर्मचारियों का और उनके वीजा स्टेटस का शोषण करते हैं।'

अमेरिकियों की क्यों नहीं करते भर्ती?

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय मैनेजर्स H-1B वीजा धारकों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण करते हैं। 'वे अमेरिकियों को भर्ती करने से बचते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनसे 24/7 काम नहीं कराया जा सकता और अमेरिकी हिचकिचाए बिना मुकदमा कर देंगे अगर सीमाएं लांघी गईं।'

वॉलमार्ट में तेलुगु और इंटेल में गुजरातियों का दबदबा

उन्होंने जोर दिया कि H-1B का नया नियम कार्यस्थलों में पक्षपात को कम करेगा। उन्होंने लिखा, 'वॉलमार्ट तेलुगु मैनेजर्स और कर्मचारियों से भरा हुआ है। असली भर्ती मानदंड सिर्फ यही लगता है कि ‘क्या आप तेलुगु हैं?’ तो आपको नौकरी मिल जाएगी। यही स्थिति इंटेल में गुजराती लोगों के साथ है, जहां वे केवल गुजराती ही रखना पसंद करते हैं।'

'सजा हमेशा मेहनती लोगों को मिलेगी'

इस कर्मचारी की पोस्ट पर काफी रिएक्शंस भी आए हैं। एक यूजर ने लिखा, 'आप जानते हैं सबसे बुरा क्या है? जिन्होंने ग्रीन कार्ड और नागरिकता पाने के लिए सिस्टम का दुरुपयोग किया, उन्हें कभी सजा नहीं मिलेगी। सजा हमेशा मेहनती लोगों को मिलेगी, जो कुछ खास भारतीय राज्यों से नहीं आते।'

'जाति/क्षेत्र/भाषा आधारित पक्षपात'

एक अन्य यूजर ने कहा, 'जाति/क्षेत्र/भाषा आधारित पक्षपात वाकई एक समस्या है। मेरी एक बड़ी रिश्तेदार टेक फर्म में मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि एक रोल के लिए उन्होंने दो लोगों का इंटरव्यू लिया। एक अमेरिकी और एक भारतीय। उन्होंने कहा कि उन्होंने भारतीय को इसलिए चुना क्योंकि वह ‘हमारी जाति’ का था। मुझे उल्टी करने का मन हुआ।'

H1B हमेशा से ही एक अस्थिर वीजा रहा

एक अन्य यूजर ने कहा, 'H1B हमेशा से ही एक अस्थिर वीजा रहा है, इन नए नियमों से पहले भी। खासतौर पर भारतीयों के लिए। यह बिल्कुल भी टैलेंट-आधारित नहीं है। पूरी तरह से किस्मत और कॉर्पोरेट्स का वीजा जुगाड़ है। यह 2010 के शुरुआती दशक से टैलेंट के बारे में होना बंद हो गया था। किसे मूर्ख बना रहे हैं? कुछ आईटी सर्विस फर्म्स तथाकथित ‘स्किल्ड टैलेंट’ को कम वेतन देती हैं और प्लेस कर देती हैं। अमेरिकी कंपनियां असली सोचने का काम आउटसोर्स नहीं करतीं, सिर्फ गैर-जरूरी काम देती हैं। असल में यह एक तरह की गुलामी वाला वीजा है… बस इसे फैंसी बना दिया गया है।'

H-1B वीजा में क्या बदला है?

अमेरिका ने 21 सितंबर से हाई-स्किल्ड वर्कर्स के लिए H-1B वीजा आवेदन शुल्क बढ़ा दिया है। नए H-1B आवेदकों पर एकमुश्त $100,000 (लगभग 83 लाख रुपये) का शुल्क लगाया जाएगा। यह शुल्क मौजूदा वीजा धारकों या रिन्यूअल एप्लिकेशन पर लागू नहीं होगा।

हालांकि, यदि होमलैंड सिक्योरिटी के सचिव यह निर्धारित करते हैं कि कर्मचारियों को व्यक्तिगत आधार पर या किसी विशेष कंपनी/उद्योग के लिए 'राष्ट्रीय हित में' भर्ती किया जा रहा है, तो यह शुल्क माफ किया जा सकता है।