Income Tax Returns: आयकर रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख जैसे-जैसे पास आती जा रही है, टैक्सपेयर्स को कड़ी स्क्रूटनी का सामना करना पड़ रहा है। इस साल आयकर विभाग ने सेक्शन 143(2) के तहत करीब 1.65 लाख मामलों को विस्तृत जांच के लिए चिन्हित किया है। यह आयकर विभाग की टैक्स चोरी और विसंगतियों के खिलाफ बढ़ती सतर्कता को दिखाता है। आयकर विभाग का अनुपालन पर जोर पहले से काफी अधिक है। ऐसे में टैक्सपेयर्स को आईटीआर भरते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
अगर आपकी आईटीआर में विसंगतियां होती हैं, आप महत्वपूर्ण लेनदेन के बारे में नहीं बताते हैं, तो आपके घर पर इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है। टैक्स अधिकारी अब हेरफेर का पता लगाने के लिए एडवांस सिस्टम्स का उपयोग कर रहे हैं। अगर आपने कुछ बड़ा लेनदेन छुपाया है, तो आप पर पेनल्टी लग सकती है। कई ऐसी कॉमन गलितयां हैं, जो टैक्सपेयर्स अक्सर करते हैं। ये गलतियां इनकम टैक्स के नोटिस का कारण बन सकती हैं। आइए जानते हैं कि ये क्या-क्या हैं।
एक प्रमुख इश्यू फॉर्म 26एएस या एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट में रिपोर्ट किये गए टीडीएस और आईटीआर में घोषित इनकम का मिसमैच होना होता है। वेतनभोगी इंडिविजुअल्स, फ्रीलांसर्स और मल्टीपल इनकम सोर्सेस वाले लोगों की आईटीआर में अक्सर यह इश्यू आता है। अगर आप आईटीआर फाइल करने से पहले डॉक्यूमेंट्स को क्रॉस-वेरीफाई कर लें, तो इस मिसमैच से आसानी से बचा जा सकता है।
एक दूसरी कॉमल गलती यह है कि लोग अपने सभी इनकम सोर्सेस के बारे में नहीं बताते हैं। टैक्सपेयर्स अक्सर अपने सेविंग अकाउंट या एफडी के ब्याज, रेंटल इनकम, कैपिटल गेन, क्रिप्टो प्रॉफिट और फॉरेन एसेट्स को रिपोर्ट करना भूल जाते हैं। आपको आईटीआर में गैर-कर योग्य आय भी घोषित करनी चाहिए।
टैक्सपेयर्स अक्सर डॉक्यूमेंटेशन के बिना ही डिडक्शंस के लिए क्लेम कर देते हैं। इससे आप पर पेनल्टी लग सकती है। सेक्शन 80सी, 80डी और एचआरए जैसे डिडक्शन क्लेम करने के लिए डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत होती है। आपको अपने क्लेम्स को प्रमाणित करने के लिए डॉक्यूमेंट्स रखने चाहिए।
अगर टैक्सपेयर्स आईटीआर में गलत जानकारी दर्ज करते हैं या महत्वपूर्ण जानकारी नहीं देते हैं, अपने अकाउंट्स और डॉक्यूमेंट्स नहीं बताते हैं, तो सेक्शन 271AAD के तहत आयकर विभाग आप पर दंड लगा सकता है।
अगर पिछले वर्षों की तुलना में आपकी इनकम में अचानक गिरावट होती है, तो यह भी संदेह पैदा कर सकती है। ऐसे में आपको रिवाइज्ड सैलरी स्लिप्स, जॉब छूटने की डिटेल्स या दूसरे डॉक्यूमेंट्स द्वारा इसकी पुष्टि करनी चाहिए।
अगर आपने काफी अधिक कीमत का कोई लेनदेन किया है और आप आईटीआर में इस बारे में नहीं बताते हैं, तो आपके पास इनकम टैक्स का नोटिस आ जाएगा। अगर आप 10 लाख रुपये से अधिक कैश डिपॉजिट करते हैं, 2 लाख रुपये से ऊपर का क्रेडिट कार्ड पेमेंट करते हैं, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स, स्टॉक्स या प्रॉपर्टी में बड़ा निवेश करते हैं, तो आपको इसके बारें आईटीआर में बताना चाहिए।
इसके अलावा अगर आप गलत आईटीआर फॉर्म का चयन करते हैं, तो यह भी पेनल्टी का कारण बन सकता है। इन सब बातों का ध्यान रखकर आप इनकम टैक्स के नोटिस, पेनल्टी और कानूनी कार्रवाई से बच सकते हैं।
Published on:
05 Jul 2025 12:27 pm