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भारत या चीन… इस ‘दोस्ती’ से किसको होगा ज्यादा फायदा? आंकड़ों से समझिए

India China Relations: भारत का चीन से आयात लगातार बढ़ रहा है। 62% अमोनियम सल्फेट, 35% डीएपी-यूरिया जैसे उर्वरक, 65% रेयर अर्थ मैग्नेट और 72% सुरंग खुदाई की मशीनों के लिए भारत चीन पर निर्भर है।

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भारत की चीन पर आयात निर्भरता कम होने के बजाय और बढ़ रही है। भारत 3० अरब डॉलर के उत्पादों के लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर है, जो चीन से होने वाले कुल आयात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है। लगभग 2,000 प्रोडक्ट कैटेगरीज में से 603 कैटेगरीज ऐसी हैं, जिनमें भारत का दो-तिहाई से अधिक आयात केवल चीन से होता है। वहीं, दवाइयों के कच्चे माल (एपीआई), इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट और एलसीडी-ओएलईडी जैसे डिस्प्ले के लिए भारत 90 से 100% तक चीन पर निर्भर है। इसके अलावा, भट्टियां (फरनेस), ओवन और पर्सनल कंप्यूटर के साथ करीब 19 अरब डॉलर के आयात के लिए चीन पर भारत की निर्भरता 75 से 90 फीसदी के बीच है।

चीन ने दिया इन 3 उत्पादों की सप्लाई का भरोसा

रिपोर्ट के मुताबिक, 62% अमोनियम सल्फेट, 35% डीएपी-यूरिया जैसे उर्वरक, 65% रेयर अर्थ मैग्नेट और 72% सुरंग खुदाई की मशीनों के लिए भारत चीन पर निर्भर है। चीन ने अब भारत को दुर्लभ खनिज, उर्वरक और टनल निर्माण में इस्तेमाल होने वाली भारी मशीनों की आपूर्ति का भरोसा दिया है। इस आश्वासन को आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे भारत को घरेलू मांग पूरी करने और विनिर्माण क्षेत्र को गति देने में मदद मिलेगी। चीन से सस्ती दरों पर इन वस्तुओं की आपूर्ति होने से भारत कृषि, बुनियादी ढांचे और विनिर्माण क्षेत्रों के विकास कार्य आगे बढ़ा सकेगा।

क्या होगा भारत को फायदा

रेयर अर्थ्स: इसकी आपूर्ति से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। चीन ने भारत को इन खनिजों की सप्लाई शुरू करने या बढ़ाने का भरोसा दिया है। इससे ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल, पवन ऊर्जा, रक्षा तकनीक और रोबोटिक्स जैसे सेक्टर्स को लाभ मिलेगा। वर्तमान में भारत की सालाना दुर्लभ खनिज की मांग लगभग 4010 मीट्रिक टन है, जो 2030 तक बढक़र 8220 मीट्रिक टन होने का अनुमान है।

उर्वरक: भारत उर्वरकों का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। वर्ष 2024 में भारत ने 15 अरब डॉलर के उर्वरक आयात किए। भारत मुख्य रूप से रूस, चीन, सऊदी अरब, ओमान और जॉर्डन से उर्वरक आयात करता है। पोटाश के लिए भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर है। यूरिया की घरेलू मांग का लगभग 20 फीसदी और डीएपी की मांग का 60 फीसदी आयात से पूरा होता है। चीन से लिमिडेट कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध होने से भारत को महंगी खरीद से राहत मिलेगी।

मशीनें: भारत चीन से भारी मशीनरी का भी आयात करता है। खासकर औद्योगिक उपकरण और स्पेयर पार्ट्स में चीन प्रमुख सप्लायर है। 2024 में भारत ने चीन से 27 अरब डॉलर की मशीनरी, परमाणु रिएक्टर और बॉयलर का आयात किया था। अब चीन ने टनल मशीन और अन्य उपकरण सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है, जिससे भारत अपने रोड और टनल प्रोजेक्ट्स में तेजी ला सकेगा।

भारत-चीन की दोस्ती में किसे होगा ज्यादा फायदा?

विशेषज्ञों का कहना है कि इससे दोनों देशों को लाभ होगा। पर अभी के आंकड़ों को देखें तो चीन को ज्यादा फायदा होने की संभावना है। व्यापार की प्रकृति भी बताती है कि चीन ज्यादा फायदे में रहेगा। भारत चीन से तैयार माल ज्यादा खरीदता है और कच्चा माल कम बेचता है। भारत चीन से तैयार माल जैसे मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, कंप्यूटर, केमिकल आदि खरीदता है। वहीं, भारत चीन को कच्चा माल बेचता है। जैसे लोहा, समुद्री उत्पाद, कपास और कुछ रसायन। कच्चा माल बेचने में उतना फायदा नहीं होता, जितना तैयार माल बेचने में होता है। अगर रिश्ते बेहतर होते हैं तो चीन को बड़ा बाजार मिलेगा। लेकिन, भारत को अपने उद्योगों को मजबूत करना होगा। भारत को यह फायदा होगा कि उसे चीन से सस्ता कच्चा माल और मशीनें मिल सकती हैं। इससे भारत में सामान बनाने की लागत कम हो सकती है।