
CG News: आरक्षक से 15 लाख की ठगी! शेयर मार्केट में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर परिचित फरार...(photo-patrika)
फेस्टिव सीजन में सेल और बंपर डिस्काउंट्स ही देखने को नहीं मिल रहे, बल्कि फ्रॉड भी काफी हो रहे हैं। स्कैमर्स लोगों से पैसे ऐंठने के लिए अब सोशल मीडिया और एआई का सहारा ले रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब अधिक व्यक्तिगत और टारगेटेड हमले करने में मदद कर रहा है। खासतौर पर त्योहारों के मौसम में, जब खरीदारी और ट्रैवल काफी बढ़ जाता है। जयपुर की एक आईटी प्रोफेशनल पूजा को कुछ दिन पहले व्हाट्सऐप पर एक अनजान नंबर से मैसेज आया। इस नंबर पर उसकी कजिन रागिनी की फोटो लगी हुई थी।
मैसेज में कहा गया कि वह उदयपुर में है और एक दुकान पर शॉपिंग कर रही है, लेकिन उसका यूपीआई अचानक काम नहीं कर रहा। इस नंबर पर 8,000 रुपये डाल दो। पूजा को पता था कि उसकी कजिन उदयपुर घूमने गई है, तो उसने कोई शक नहीं किया और पैसे ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब उसने रागिनी के सही नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि वह ठगी का शिकार हो गई है।
पूजा पहली नहीं है जो इस तरह की ठगी का शिकार हुई हो। हजारों ऐसे लोगो हैं, जो फ्रॉड का शिकार बन रहे हैं। GenAI आने से ठगों के लिए बेहद पर्सनल और कॉन्टेक्स्टुअल मैसेज व कम्युनिकेशन तैयार करना काफी आसान हो गया है। पूजा के मामले को ही देखें, तो कई सवाल मन में आते हैं। स्कैमर को पूजा की कजिन का फोटो कैसे पता चला। स्कैमर को कैसे पता चला कि रागिनी उदयपुर जा रही है।
इस बार फेस्टिव सीजन में AI-जनरेटेड टूल्स के कारण साइबर फ्रॉड में काफी इजाफा हुआ है। साइबरसिक्योरिटी कंपनियों के अनुसार, त्योहारों के दौरान फ्रॉड में करीब 40% की बढ़ोतरी हुई है, जिनमें से लगभग 15% बिहेवियर बेस्ड हैं। शॉपर्स की प्रोफाइलिंग करके फिशिंग लिंक बनाने से लेकर ट्रोजन वाले ई-कार्ड तैयार करने तक, ऑनलाइन ठगी अब सिर्फ डिवाइस पर नहीं, बल्कि सीधे इमोशंस पर हमला करती है। ठग के पास आपके बारे में इतनी जानकारी होती है कि वह आपको यह विश्वास दिला देता है कि वह असली हैं।
दशहरा और दिवाली जैसे त्योहारों में, बड़ी संख्या में भारतीय शॉपिंग की प्लानिंग करते हैं। ऐसे में यह सीजन ठगों के लिए बड़ा मौका बन जाता है। ईमेल और एसएमएस में फिशिंग लिंक सबसे पुराना तरीका है। लेकिन अब ठगों के पास AI-जनरेटेड सेलेब्रिटी एंडोर्समेंट्स हैं, जिनमें टॉप प्रोडक्ट्स पर डील्स बताई जाती हैं और ये सोशल मीडिया पर फैलते हैं।
ईटी की एक रिपोर्ट में कास्परस्की इंडिया के जनरल मैनेजर जयदीप सिंह के हवाले से बताया गया, 'एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट (APT) ग्रुप्स इमोशंस के पीछे जाते हैं और फिर पैसों के पीछे। ये लगभग कॉरपोरेशन की तरह चलते हैं और एक सर्विस की तरह मैलवेयर प्रदान करते हैं। ये ग्रुप खास समय पर खास भौगोलिक इलाकों को निशाना बनाने में काफी संसाधन और समय खर्च करते हैं। भारत आमतौर पर टॉप-5 टारगेटेड देशों में शामिल होता है।'
ठगी केवल आकर्षक शॉपिंग डील्स तक ही सीमित नहीं है। त्योहारों में लोग ई-ग्रीटिंग कार्ड भी शेयर करते हैं, जिनमें कोई इमेज या ऐनिमेशन डाउनलोड होता है। लेकिन कई बार वे मोबाइल ट्रोजन होते हैं, जो बाद में व्हाट्सऐप जैसे ऐप्स को हैक कर लेते हैं और आपके नाम से आपके कॉन्टैक्ट्स को मैसेज भेजते हैं व पैसे मांगते हैं।
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट प्रिया सांखला ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि फेस्टिव सीजन में इस तरह के स्कैम से कैसे बचा जाए। उन्होंने कुछ टिप्स दिए हैं। आइए जानते हैं।
Updated on:
30 Sept 2025 09:29 am
Published on:
29 Sept 2025 01:18 pm
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