
भारत-चीन की दोस्ती से कई सेक्टर्स को मिलेगा फायदा (PC: Gemini)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के बीच एशिया के दो बड़े दिग्गज देश साथ आ रहे हैं। भारत और चीन- उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय दौरों की एक सीरीज आयोजित करके सावधानीपूर्वक अपने संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। दोनों देशों ने डायरेक्ट फ्लाइट फिर से शुरू करने और व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की है। जिसमें तीन निर्धारित बिंदुओं पर सीमा व्यापार को फिर से खोलना और वीजा सुविधा देना शामिल है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे से दोनों देशों की दोस्ती की नई इबारत लिखी जा रही है।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के आखिर में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। यह पीएम मोदी की सात साल से अधिक समय में चीन की पहली यात्रा है।
भारत और चीन मिलकर दुनिया की 37% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और ये देश ब्रिक्स (BRICS) ब्लॉक के आधार हैं। दोनों के बीच घनिष्ठ तालमेल व्यापार और जलवायु से लेकर प्रौद्योगिकी और शांति-निर्माण तक के मुद्दों पर ग्लोबल साउथ की आवाज को बढ़ा सकता है। भारत-चीन व्यापार वार्ता और अन्य मोर्चों पर प्रगति के संकेत ऐसे समय में आए हैं, जब ग्लोबल इकोनॉमी टैरिफ वॉर और संरक्षणवाद से तनाव में है। भारत सरकार चीन के साथ-साथ ब्रिक्स समूह के अन्य सदस्यों के साथ संबंध मजबूत करके अपनी विदेश नीति को फिर से व्यवस्थित कर रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों से कई उद्योगों और सेक्टर्स को लाभ होगा। भारत-चीन के बीच बेहतर संबंध भारत को महत्वपूर्ण औद्योगिक इनपुट और इंफ्रास्ट्रक्चर की सप्लाई को सुरक्षित करने में मदद करेंगे। इससे अमेरिकी संरक्षणवाद के खिलाफ रणनीतिक लचीलेपन को सपोर्ट मिलेगा।
विश्लेषकों के अनुसार, डिफेंस, रिन्यूएबल एनर्जी, टूरिज्म और मैन्यूफैक्चरिंग उन टॉप सेक्टर्स में से हैं, जिन्हें दोनों एशियाई देशों के बीच व्यापार संबंधों से लाभ होता दिख रहा है। इन वार्ताओं से कई सेक्टर्स को फायदा होने वाला है, जिनमें महत्वपूर्ण मिनरल्स और रेयर अर्थ्स शामिल हैं, जहां चीन वैश्विक उत्पादन और प्रोसेसिंग के एक बड़े हिस्से को कंट्रोल करता है। ये इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस और रिन्यूएबल एनर्जी इंडस्ट्रीज के लिए आवश्यक हैं।
रिन्यूएबल एनर्जी और ग्रीन टेक्नोलॉजी: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, इलेक्ट्रिक व्हीकल और बैटरी टेक्नोलॉजी में चीन का नेतृत्व भारत की क्लीन एनर्जी और पीएलआई योजनाओं में मदद कर सकता है।
टूरिज्म और एविएशन: डायरेक्ट फ्लाइट्स और आसान वीजा फिर से शुरू कर सकते हैं, जिससे भारत के हॉस्पिटैलिटी और एविएशन सेक्टर्स को लाभ होगा।
फार्मा और हेल्थकेयर: सहयोग से सप्लाई चेन्स मजबूत हो सकती हैं, जिससे भारत के दवा उद्योग के लिए इनपुट लागत कम हो जाएगी।
मैन्यूफैक्चरिंग: भारतीय कंपनियां चीनी निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से लाभ उठा सकती हैं। साथ ही "मेक इन इंडिया" को बढ़ावा देना जारी रख सकती हैं।
Updated on:
20 Aug 2025 05:33 pm
Published on:
20 Aug 2025 05:29 pm
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