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छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड : 22 मासूमों की मौत के बाद 30 कंपनियों पर होगा बड़ा एक्शन

Cough Syrup Case : प्रदेश में बनने वाले करीब 30 कफ सिरप उत्पादकों की जांच केंद्र सरकार के सहयोग से होगी। इसके लिए केंद्र को पत्र भेजा गया है। अनुमति मिलते ही सभी सिरप के सैंपल की जांच होगी।

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Cough Syrup Case

छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड (Photo Source- Patrika)

Cough Syrup Case :मध्‍य प्रदेश के छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्णा में जहरीली कफ सिरप से 22 बच्चों की मौत के बाद लगातार कार्रवाई जारी है। एमपी के ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव के अनुसार, 3 बैन कफ सिरप के स्टॉक को सीज किया जा रहा है। राज्य में बनने वाले 30 कफ सिरप की जांच के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा गया है। मामले की जांच एसआईटी कर रही है। जबकि, लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। श्रीवास्तव के अनुसार, प्रदेश में 10 हजार करोड़ का दवा कारोबार है, पर सिर्फ 79 ड्रग इंस्पेक्टर हैं। अब नई एसओपी तैयार हो रही है। ताकि संदेहास्पद सैंपल सीधे लैब पहुंचें और 24 घंटे में रिपोर्ट तैयार हो।

ड्रग कंट्रोलर श्रीवास्तव का कहना है कि, मध्य प्रदेश में बनने वाले करीब 30 कफ सिरप उत्पादकों की जांच केंद्र सरकार के सहयोग से होगी। इसके लिए केंद्र को पत्र भेज दिया गया है। अनुमति मिलते ही इन सभी सिरप के सैंपल की जांच शुरू होगी। उन्होंने बताया कि, नागपुर से मिले अलर्ट के बाद जिन अधिकारियों ने सैंपल परीक्षण में लापरवाही की थी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। मामले में एसआईटी जल्द ही जांच रिपोर्ट पेश करेगी।

दवा गुणवत्ता जांच के लिए सिर्फ 3 लैब

प्रदेश में सबसे बड़ी चुनौती दवा गुणवत्ता की निगरानी है। 10 हजार करोड़ के बाजार में सिर्फ 79 ड्रग इंस्पेक्टर हैं, जबकि सैंपल जांच के लिए सिर्फ 3 लैब हैं। इनमें भी सिर्फ भोपाल की लैब पूरी तरह फंक्शनल है। ये कमजोरी ही जहरीले सिरप जैसे मामलों की जड़ बनी। मध्य प्रदेश के बैतूल, नागपुर और पांढुर्णा समेत कई जिलों में अब तक 22 बच्चों की मौत इस वजह से हो चुकी है। इनमें कोल्ड्रिफ, रीलाइफ और रेस्पिफ्रेस टीआर जैसे सिरप शामिल हैं।

सैंपलिंग सिस्‍टम होंगे डिजिटल

श्रीवास्तव के अनुसार, सरकार नहीं चाहती कि ऐसी घटना फिर घटे। इसलिए ड्रग लैब अपग्रेड करने, इंस्पेक्टरों को बढ़ाने और सैंपलिंग सिस्टम को डिजिटल बनाने पर काम हो रहा है। राज्य में 60 हजार से ज्यादा मेडिकल स्टोर हैं। केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र घाकड़ का कहना है कि, सिर्फ भोपाल में साढ़े तीन हजार मेडिकल स्टोर हैं। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में फार्मा कंपनियों की जांच व्यवस्था कमजोर है। अब ड्रग कंट्रोल विभाग एक नई एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार कर रहा है, जिससे ड्रग में गड़बड़ी की आशंका होने पर सैंपल स्पीड पोस्ट से नहीं, बल्कि ड्रग इंस्पेक्टर सीधे लैब तक पहुंचाएंगे और लैब भी 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तैयार कर ड्रग इंस्पेक्टर को देगी, ताकि जल्द से जल्द कार्रवाई हो।