
Gotmar Mela 2025 प्रशासन व पुलिस अमला मुस्तैद (फोटो सोर्स : पत्रिका)
Gotmar Mela 2025: शनिवार को मध्यप्रदेश के पांढुर्ना जिले में भारी पुलिस बल के सामने जमकर पथराव हुआ। दो गांवों में चली पत्थरबाजी में 500 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। कई गंभीर घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 300 सालों से लगातार यहां खूनी खेल खेला जा रहा है।
पांढुर्ना में सालों से चली आ रही परंपरा के तहत गोटमार मेला विश्व प्रसिद्ध है। दो गांवों में पथराव का खेल यहां खेला जाता है। शनिवार को भी 500 से अधिक लोगों के घायल होने के समाचार है।
शनिवार को सुबह 10 बजे से जाम नदी के तट पर खूनी खेल खेला जा रहा है। पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में पांढुर्ना और सांवरगांव के लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसा रहे हैं। दोपहर 2 बजे तक 350 लोगों के घायल होने की सूचना मिली है। वहीं 3:20 तक ये आकड़ें 480 के पार हो गए। घायलों के लिए अस्थाई स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं, जहां चोटिल लोगों को इलाज के लिए लाया जा रहा है। शाम को यही आंकड़ा 500 से अधिक पहुंच गया।
जानकारी के मुताबिक, घायलों के लिए 6 अस्थाई स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। बूथ पर 11 सदस्यीय चिकित्सा दल तैनात है। 6 टीमें सक्रियता से उपचार कर रही हैं। इनमें चार डॉक्टर, 4 ड्रेसर और दो-दो वार्ड ब्वॉय के साथ दवाओं की पूर्ति और एंबुलेंस के लिए एक सीएचओ की ड्यूटी लगाई गई है। पूरे गोटमार मेले में घायलों का इलाज कराने सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्ना के 45 डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है।
शनिवार को जाम नदी के तट पर हो रही गोटमार को लेकर पांढुर्ना छावनी में तब्दील हो गया है। पांच जिलो की पुलिस ने पहुंचकर मोर्चा संभाला हुआ है। भारी पुलिस बल के साथ रिजर्व बल की दो टुकड़ियों ने भी पहुंचकर अपनी आमद दी है। सभी मिलाकर लगभग 600 पुलिस बल गोटमार मेले के मद्देनजर तैनात किया गया है। जबलपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर से 241 बल पहुंचा है। इनमें दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, आठ एसडीओपी, 10 टीआई, 26 उपनिरिक्षक, 50 सहा उपनिरिक्षक, 60 प्र आरक्षक, 85 आरक्षक इसी तरह डीजीपी रिजर्व कंपनी 8 वी वाहिनी छिंदवाड़ा व डीजीपी रिजर्व कंपनी 36वीं वाहिनी बालाघाट से 75 बल ने पहुंचकर आमद दी।
how to play gotmar mela in pandhurna: स्थानीय लोग बताते हैं कि 300 साल पहले से यह मेला शुरू हुआ था। यह खूने खेल पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों के बीच खेला जाता है। जाम नदी के दोनों तरफ से पथराव किया जाता है। इसके पीछे एक कहानी बताई जाती है कि कई साल पहले पांढुर्णा के एक लड़के को सावरगांव की एक लड़की से प्यार हो गया था। दोनों ने छुपकर शादी कर ली और भाग जाने की योजना बनाई। जब दोनों जाम नदी पार कर रहे थे, तभी सावरगांव के लोगों ने उन्हें देख लिया और पथराव शुरू कर दिया। यह देख पांढुर्णा गाँव के लोगों ने भी सावरगांव के लोगों पर पथराव शुरू कर दिया। पत्थरों की मार सहते हुए दोनों की मौत हो गई थी। तब दोनों गाँव के लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर प्रेमी जोड़े के पार्थिव शरीर को माँ चंडी के मंदिर में रखा और वह पूजा पाठ की गई। गाँव ने उन दोनों प्रेमियों का पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया था। तभी से गोटमार खेल की शुरुआत हुई थी।
आज भी दो प्रेमियों की याद में यह खूनी खेल खेला जाता है। जाम नदी के बीच में पलाश का पेड़ गाड़ा जाता है। शिखर पर झंडी बांधी जाती है। इसे तोड़ने के लिए दोनों गाँव के लोग पत्थर बरसाते हैं। जिसने झंडी तोड़ दी वो विजेता होता है। इसी झंडी को माता चंडी के मंदिर में चढ़ाने की परंपरा बन गई। पूजा अर्चना कर खेल का समापन होता है। इतने सालों से चल रही इस खूनी परंपरा में अब तक 14 लोग अपने प्राण गंवा चुके हैं।
Updated on:
23 Aug 2025 05:27 pm
Published on:
23 Aug 2025 03:43 pm
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