आपको बता दें कि, गुरुवार को शहर पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पहले शहर के बड़ी माता मंदिर पहुंचे थे। यहां उन्होंने गर्भ गृह में माता की पूजा-अर्चना की। इस दौरान उनकी नजर दीवार पर लगे साईं बाबा की प्रतिमा पर पड़ी, जिसे देखते ही स्वामी जी नाराज हो गए। यहां तमतमाता चेहरा लेकर वो तुरंत वहां से चल दिए। मंदिर पुजारी के रोकने के बावजूद भी वो नहीं रुके। यहां से सीधे वो छोटा बाजार स्थित राममंदिर भी पहुंचे। यहां भी उन्हें फिर साईं बाबा की प्रतिमा रखी दिखी, जिसपर उन्होंने एक बार फिर मंदिर पुजारी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि, राम-कृष्ण के मंदिर में साईं का क्या काम है?
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गर्भगृह स्थानांतरित करने पहुंचे थे स्वामी
आपको बता दें कि, शहर में स्थित बड़ी माता मंदिर में निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में यहां मंदिर समिति द्वारा स्वामीजी के हाथों गर्भगृह स्थानांतरित करने को लेकर चर्चा हुई थी। स्वामी जी आमंत्रण पर ही वहां पहुंचे थे। लेकिन, साईं प्रतिमा को देवी-देवताओं की मूर्ति के आसपास देखकर वो ऐसे भड़के कि, समिति सदस्यों से बात किये बिना ही नाराज होकर दोनों मंदिरों से तुरंत ही निकल गए।
शिष्य पर लगाया धोखा देने का आरोप
स्वामीजी उस शिष्य पर सबसे अधिक भड़के जो उन्हों बड़ी माता मंदिर में ले गया था, उसे उन्होंने सभी के सामने लताड़ते हुए कहा कि, हमने तुमपर विश्वास किया, हमारा संकल्प है कि, ‘जिस मंदिर में साईं है, वहां हम नहीं जाएंगे। फिर भी तुमने हमारा विश्वास तोड़ा। हमें ऐसे मंदिर ले गए, जहां साईं थे। अब दोबारा हमारे सामने मत आना। तुमने हमें धोखा दिया।’ इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, ‘यहां मां दुर्गा और भगवान श्रीराम के मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति देखकर मन दुखी हो गया। आस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा। जबतक साईं बाबा की मूर्ति यहां के मंदिरों में रहेगी, तबतक हम इस शहर में प्रवेश नहीं करेंगे। मंदिर समिति साईं को हटा दे, तो खुद यहां आकर पूजा करेंगे। मंदिर को पवित्र करना पड़ेगा।’
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राम मंदिर से हटी मूर्ति, माता मंदिर में फैसला बाकि
मामले कोतूल पकड़ता देख राम मंदिर में लगी साईं बाबा की आर्टिफीशियल प्रतिमा हटा दी गई है। वहीं माता मंदिर से सांई बाबा के मूर्ति हटाने को लेकर समिति चर्चा के बाद फैसला लेने की दलील दे रही है। इसके लिए मंदिर समिति ने एक विशेष बैठक भी बुला ली है। बड़ी माता मंदिर समिति के अध्यक्ष संतोष सोनी के अनुसार, वे सनातन धर्म के साथ हैं। भूलवश, अगर यहां साईं बाबा की प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी, तो इसपर चर्चा करेंगे, सहमति के साथ फैसला लिया जाएगा।
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