11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Churu: जीवित महिला को मृत बता मकान हड़पा, ट्रायल के दौरान पीड़िता की मौत, फिर दोषियों को मिली कड़ी सजा

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चूरू की अदालत का यह फैसला उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो फर्जी दस्तावेजों और साजिश के जरिए दूसरों की संपत्ति हड़पने का प्रयास करते हैं।

2 min read
Google source verification

चूरू

image

Rakesh Mishra

Sep 10, 2025

house grabbing case

प्रतीकात्मक तस्वीर

करीब 13 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में चूरू की सीजेएम कोर्ट ने 4 लोगों को दोषी मानते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर आर्थिक दंड भी लगाया है। आरोपियों को यह सजा मकान हड़पने के मामले में सुनाई गई है। आरोपियों ने इस कृत्य को अंजाम देने के लिए एक जीवित महिला को मृत बता दिया था। इस संबंध में यूपी के मेरठ निवासी प्रतिभा गुप्ता (66) ने सन 2012 में चूरू के कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया था।

सास-देवरानी को दिया था मकान

पुलिस को दी शिकायत में प्रतिभा ने बताया कि उसने चूरू की नई सड़क स्थित अपना मकान सास पुष्पा और देवरानी सविता को रहने के लिए दिया था। शिकायत में आगे बताया कि मकान हड़पने के लिए सविता ने अपने बेटे नगेंद्र, नगेंद्र के ससुर योगेश कुमार एवं अनीता उर्फ सुनीता पत्नी योगेश कुमार ने मिलकर साजिश रचि। आरोपियों ने प्रतिभा के जीवित रहते हुए उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। इसके बाद आरोपियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर रजिस्ट्री करवाकर घर पर कब्जा कर लिया।

जुर्माना भी लगाया

कोतवाली पुलिस ने मामले की जांच कर 2014 में कोर्ट में चालान पेश किया। अदालत ने इस मामले में बेहद गंभीरता दिखाई और आरोपियों को आईपीसी की धारा 468 के तहत 4 साल की सजा और 2 लाख का जुर्माना, आईपीसी की धारा 471 के तहत प्रत्येक को 5 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना, आईपीसी की धारा 474 के तहत प्रत्येक दोषी को 5 साल की सजा और 3 लाख का जुर्माना लगाया। सभी सजाए साथ साथ चलने से दोषियों को अधिकतम 7 साल के जेल की सजा भुगतनी होगी।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चूरू की अदालत का यह फैसला उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो फर्जी दस्तावेजों और साजिश के जरिए दूसरों की संपत्ति हड़पने का प्रयास करते हैं। इस फैसले का एक बड़ा पहलू ये भी है कि मामले में जिस शिकायतकर्ता महिला के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था, ट्रायल के दौरान ही उसका निधन हो गया था।

यह वीडियो भी देखें

मामले में सरकारी लोक अभियोजक गोरधन सिंह कहते हैं कि हमारे लिए एक बड़ी चुनौती थी कि ट्रायल में गवाही होने से पूर्व ही परिवादीया प्रतिभा गुप्ता का निधन हो गया था। ट्रायल में उनके बयान नहीं हुए थे ऐसे में केवल दस्तावेजी साक्ष्य ही हमारे लिए एक उम्मीद थी। अदालत ने इस मामले में बेहद गंभीरता दिखाई है। जिस तरह से जमीन हड़पने के मामले बढ रहे है ये फैसला एक नज़ीर है।