
फाइल फोटो
Churu Weather Report: राजस्थान के कई जिलों में कड़ाके की ठंड का दौर शुरू हो चुका है, लेकिन प्रदेश में एक ऐसा जिला भी है, जहां सर्दी-गर्मी दोनों मौसम चरम पर दिखाई देता है। यह जिला है चूरू, जिसे कभी तपते रेगिस्तान जैसी गर्मी तो कभी पहाड़ी इलाकों जैसी कड़ाके की ठंड झेलनी पड़ती है। गर्मियों में जहां तेज धूप लोगों को घरों में कैद कर देती है, वहीं सर्दियों में बाहरी तापमान इतना गिर जाता है कि पानी तक जमने लगता है।
चूरू में तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव कोई नई बात नहीं। वर्ष 2019 में यहां पारा 50.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचकर रिकॉर्ड तोड़ चुका है। इसी तरह 30 जनवरी 2006 को न्यूनतम तापमान माइनस 4.6 डिग्री तक लुढ़क गया था। चूरू की ऐसी जलवायु उसकी भौगोलिक स्थिति का नतीजा है। कर्क रेखा के करीब होने और चारों ओर रेतीले टीलों के कारण यह क्षेत्र तेजी से गर्म भी होता है और उतनी ही तेजी से ठंडा भी।
यहां की मिट्टी रेगिस्तान के अन्य जिलों की तुलना में अधिक महीन है, जो तापमान को सोखने और छोड़ने में अत्यधिक संवेदनशील होती है। गर्मियों में पाकिस्तान सीमा की ओर से आने वाली गर्म हवाएं भी तापमान को और ज्यादा बढ़ा देती हैं। दूसरी ओर सर्दी के मौसम में बादलों का अभाव और तेज रेडिएशन लॉस तापमान को रातों-रात नीचे गिरा देता है। बता दें कि दिसंबर की शुरुआत में ही चूरू का न्यूनतम तापमान करीब 6 डिग्री तक पहुंच गया है।
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चूरू में वनस्पति का आवरण बेहद कम है, लगभग 1 फीसदी। पेड़-पौधों की कमी भी गर्मी-ठंड के अंतर को और ज्यादा बढ़ा देती है। सर्दियां शुरू होते ही उत्तर-पश्चिमी हवाएं यहां बर्फीली ठंड लेकर पहुंचती हैं। उत्तरी पर्वतीय इलाकों में होने वाली बर्फबारी का असर भी इन हवाओं के साथ चूरू में महसूस होता है, जहां कई बार खेतों पर बर्फ की परत तक जम जाती है। यही वजह है कि यहां मई-जून में अंगार जैसी गर्मी और दिसंबर-जनवरी में भीषण ठंड, दोनों देखने को मिलती है।
Published on:
07 Dec 2025 07:05 pm
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