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Rajasthan: पत्नी के थे अवैध संबंध, प्रेमी के साथ मिलकर की पति की हत्या; 6 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

Rajasthan Crime News: पति की हत्या के करीब छह साल पुराने मामले में आरोपी पत्नी और उसके प्रेमी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजाई सुनाई है।

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चूरू

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Anil Prajapat

Aug 29, 2025

Churu-Crime-News

पुलिस गिरफ्त में आरोपी पत्नी और उसका प्रेमी। फोटो: पत्रिका

सादुलपुर। पति की हत्या के करीब छह साल पुराने मामले में आरोपी पत्नी और उसके प्रेमी को अपर जिला सेशन न्यायाधीश प्रथम ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। मामले में मृतक मंजीत अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। प्रकरण अनुसार 26 नवंबर 2019 को कुलवंत सिंह (40) निवासी गांव बजावा सुरों का पुलिस थाना मंड्रेला जिला झुंझुनूं ने हमीरवास थाने में मामला दर्ज करवाकर बताया कि उसके भतीजा मनजीत की शादी वर्ष 2015 में बबीता पुत्री होशियार सिंह निवासी डिंगली गांव के साथ हुई थी।

शादी के पहले से ही बबीता का नरेश कुमार निवासी बूढ़ावास के साथ अवैध संबंध थे। शादी के बाद भी यह संबंध बने रहे। इस पर मनजीत व बबीता का काफी बार झगड़ा होता था, जिसके कारण वह अपने पीहर चली गई। करीब दो माह के बाद मंजीत से समझौता करके वापस घर आ गई। इसी बीच बबीता और आरोपी नरेश को मंजीत ने घर पर देखा जिसका विरोध किया तो आरोपी नरेश व बबीता ने मंजीत को जान से मारने की धमकी भी दी।

दर्ज मामले में बताया कि दोनों आरोपी मंजीत को रास्ते से हटाने के लिए षड्यंत्र रचना शुरू कर दिया। आरोपी नरेश अपने साथियों के साथ मारने के लिए मंजीत के घर गया। घर पर परिजनों के होने के कारण वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका।

25 नवंबर 2019 की शाम को नरेश ने अपनी गाड़ी गांव कुलरियों का बास और ठीमाऊ बड़ी के बीच में खड़ी कर रखी थी। जैसे ही मंजीत आया तो आरोपी नरेश ने गाड़ी से टक्कर मारकर मंजीत की हत्या कर दी। पुलिस ने हत्या के आरोप में मामला दर्ज कर जांच की तथा चालान कोर्ट में पेश कर दिया।

छह साल पुराने मामले में आया निर्णय

मामले में न्यायाधीश मुनेश चंद्र यादव ने पत्रावलियों पर आए साक्ष्य गवाहों और सबूतों का गहन अवलोकन कर आरोपी नरेश और बबीता को दोषी माना। मामले में अभियोजन की ओर से प्रकरण में कुल 19 गवाह तथा 17 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए गए। मोबाइल कॉल डिटेल की श्रंखलाबद साक्षी को न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण मानते हुए दोनों प्रेमी ओर प्रेमिका को आजीवन कारावास एवं बीस हजार रुपए का अर्थ दंड लगाया।

न्यायाधीश ने जांच अधिकारी को दिए थे अग्रिम आदेश

एडवोकेट प्रीतम शर्मा ने बताया की प्रकरण में चार्जशीट पेश के समय न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अनुसंधान अधिकारी को जांच में लापरवाही का दोषी मानते हुए प्रकरण में अग्रिम अनुसंधान के आदेश दिए थे। प्रकरण में पीड़ित की ओर से पैरवी एडवोकेट प्रीतम शर्मा तथा भंवरलाल पूनिया ने की, जबकि सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक सुनील जांगिड़ ने की।