
Sourav Ganguly Jay Shah
नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के नए संविधान के मुताबिक बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और सचिव जय शाह (Jay Shah) का कार्यकाल इस साल समाप्त हो जाएगा और इन दोनों को तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड (Cooling Of Period) पर जाना होगा। बता दें कि इन दोनों ने पिछले साल अक्टूबर में क्रमश: अध्यक्ष और सचिव का पदभार संभाला था। नए संविधान के अनुसार, जय शाह का कार्यकाल जून में और सौरव गांगुली का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है। इन दोनों कार्यकाल बढ़ाने के लिए बीसीसीआई ने सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है।
यह है बीसीसीआई का नया नियम
लोढ़ा समिति (Lodha Committee) की सिफारिश के आधार पर प्रशासकों की समिति (CoA) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के लिए जो नया नियम बनाया है, उसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई दोनों मिलाकर अधिकतम लगातार छह साल तक पद पर बना रह सकता है। इसके छह साल पूरा होने के बाद उसे तीन साल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना होगा और इन बोर्ड के नए संविधान में किसी भी तरह के बदलाव के लिए बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी। शीर्ष अदालत ने इस संविधान को मंजूरी दी थी।
गांगुली और शाह राज्य क्रिकेट संघ में लंबे समय से हैं
बता देकं कि सौरव गांगुली बंगाल क्रिकेट बोर्ड में 5 साल 3 महीने तक अध्यक्ष रह चुके हैं, वहीं जय शाह भी 5 साल 4 महीने तक गुजरात क्रिकेट संघ में सचिव रह चुके हैं। इस लिहाज से इन दोनों का कार्यकाल इस साल जून और जुलाई में खत्म हो रहा है। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने इन दोनों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में कहा गया है कि बीसीसीआई ने पिछले साल एक दिसंबर को हुई एजीएम में कूलिंग ऑफ पीरियड में जाने के नियम में संशोधन कर पदाधिकारियों का कार्यकाल बढ़ाने की स्वीकृति दी थी।
बीसीसीआई एजीएम ने किया है यह संशोधन
बोर्ड के एजीएम में किए गए संशोधन के मुताबिक गांगुली और शाह पर कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाने का नियम उस समय लागू होगा, जब उन्हें बीसीसीआई में लगातार छह साल हो जाए। एक मीडिया खबर के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि संविधान ऐसे लोगों ने तैयार किया है, जिनके पास थ्री लेयर संरचना के कामकाज का और न ही उन्हें क्रिकेट प्रशासन का अनुभव था। इसके अलावा बीसीसीआई ने अपनी याचिका में यह भी कहा गया है कि अगर अनुभवी लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रशासन से दूर किया जाता है तो इसका नुकसान भारतीय क्रिकेट को भुगतना पड़ सकता है। इसके साथ ही बोर्ड ने यह भी तर्क दिया है कि बीसीसीआई एक स्वायत्त निकाय है। इसके पास खुद के प्रशासनिक अधिकार हैं। ऐसे में वह संविधान में बदलाव कर सकता है।
Updated on:
23 May 2020 06:43 pm
Published on:
23 May 2020 06:42 pm
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