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भारत के लिए टूर्नामेंट में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने के बावजूद इस बल्लेबाज को नहीं मिला मेडल, वजह जान हो जाएंगे दुखी

डेब्यू वर्ल्ड कप में प्रतिका ने 7 मैचों की 6 पारियों में 51.33 की शानदार औसत से 308 रन ठोके। खासकर न्यूजीलैंड के खिलाफ करो-या-मरो मुकाबले में उनकी 122 रनों की मैचविनिंग पारी ने टीम को जीत दिलाई। लेकिन नवी मुंबई में बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी लीग मैच के दौरान फील्डिंग में चोट लगने से वे टूर्नामेंट से बाहर हो गईं।

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भारत

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Siddharth Rai

Nov 03, 2025

Pratika Rawal on Shafali Verma

भारतीय महिला क्रिकेटर प्रतिका रावल। (फोटो सोर्स: एक्‍स@/BCCI)

Women's World Cup 2025: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार खिताब अपने नाम किया। मैच के बाद 15 सदस्यीय स्क्वाड के सभी खिलाड़ियों को विजयी मेडल से सम्मानित किया गया। लेकिन एक खिलाड़ी ऐसी भी थीं, जिन्होंने टूर्नामेंट में भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाकर सेमीफाइनल तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया, फिर भी उन्हें न तो मेडल मिला और न ही वे आधिकारिक विजेता टीम का हिस्सा बनीं।

प्रतिका ने इस वर्ल्ड कप में 308 रन बनाए

यह खिलाड़ी कोई और नहीं, युवा ओपनर प्रतिका रावल हैं। अपने डेब्यू वर्ल्ड कप में प्रतिका ने 7 मैचों की 6 पारियों में 51.33 की शानदार औसत से 308 रन ठोके। खासकर न्यूजीलैंड के खिलाफ करो-या-मरो मुकाबले में उनकी 122 रनों की मैचविनिंग पारी ने टीम को जीत दिलाई। लेकिन नवी मुंबई में बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी लीग मैच के दौरान फील्डिंग में चोट लगने से वे टूर्नामेंट से बाहर हो गईं।

चोट के चलते स्क्वाड से होना पड़ा बाहर

टीम मैनेजमेंट ने उनकी जगह शेफाली वर्मा को रिप्लेसमेंट के तौर पर 15 सदस्यीय स्क्वाड में शामिल कर लिया। नतीजतन, प्रतिका आधिकारिक स्क्वाड से बाहर हो गईं और उन्हें विजेता मेडल नहीं मिल सका। चोट दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन प्रतिका ने कोई शिकवा नहीं किया। उन्होंने कहा कि चोट खेल का हिस्सा है और उन्हें गर्व है कि वे इस टीम का हिस्सा रहीं।

व्हीलचेयर पर स्टेडियम पहुंची प्रतिका

फ़ाइनल मुक़ाबला देखने के लिए प्रतिका व्हीलचेयर पर ही स्टेडियम पहुंची और खिताब जीतने के बाद मैदान पर भी नजर आईं। इस दौरान प्रतिका ने कहा, "मैं इस एहसास को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। मेरे कंधे पर यह झंडा मेरे लिए सब कुछ है और टीम के साथ यहां खड़ा होना बहुत शानदार एहसास है। चोट खेल का हिस्सा है, लेकिन मैं इस जीतने वाली टीम का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं। मुझे यह टीम बहुत पसंद है।"

बाहर बैठकर मैच देखना खेलने से कहीं ज्यादा मुश्किल

उन्होंने आगे कहा, “यह अविश्वसनीय है कि हम आखिरकार वर्ल्ड कप जीत ही गए। इतने सालों के इंतजार के बाद यह पहली जीत खिलाड़ियों और फैंस दोनों के लिए खास है। बाहर बैठकर मैच देखना खेलने से कहीं ज्यादा मुश्किल था। हर विकेट और हर छक्के पर रोंगटे खड़े हो रहे थे। यह पल बस कमाल का है।”