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पिता बनाना चाहते थे बैडमिंटन खिलाड़ी, लॉकडाउन ने बदली किस्मत, तेज गेंदबाज से ऐसे खतरनाक स्पिनर बनीं श्री चरणी

एक साधारण परिवार में पली-बढ़ी चरणी के पिता रायलसीमा थर्मल पावर प्रोजेक्ट में छोटे कर्मचारी हैं। कक्षा छह में बैडमिंटन के लिए प्रोत्साहित किए जाने पर उन्होंने खो-खो भी खेला। स्मृति मंधाना और युवराज सिंह से प्रेरित होकर उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा।

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भारत

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Siddharth Rai

Nov 01, 2025

बाएं हाथ की ऑर्थोडॉक्स स्पिनर नल्लापुरेड्डी श्री चरणी (photo - BCCI/X)

Shree Charani Life Story, Women's World Cup 2025: महिला विश्व कप 2025 के सेमीफाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत की सबसे बड़ी नायिका दाएं हाथ की बल्लेबाज जेमिमा रॉड्रिग्स रहीं, लेकिन एक और खिलाड़ी ने अपनी घातक गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलिया को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। वह थीं बाएं हाथ की ऑर्थोडॉक्स स्पिनर नल्लापुरेड्डी श्री चरणी।

श्री चरणी का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था

आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कडप्पा जिले के वीरपुनायुनीपल्ली मंडल के एर्रामल्ले गांव में जन्मी श्री चरणी अपने जिले की पहली महिला क्रिकेटर हैं, जिन्होंने भारतीय टीम के लिए खेलने का गौरव हासिल किया। उनके पिता चंद्रशेखर रेड्डी उन्हें बैडमिंटन खिलाड़ी बनाना चाहते थे, लेकिन बेटी की जिद के आगे उनकी एक न चली और भारत को एक शानदार स्पिनर मिल गई।

पिता चाहते थे वे बैडमिंटन खेलें

एक साधारण परिवार में पली-बढ़ी चरणी के पिता रायलसीमा थर्मल पावर प्रोजेक्ट में छोटे कर्मचारी हैं। कक्षा छह में बैडमिंटन के लिए प्रोत्साहित किए जाने पर उन्होंने खो-खो भी खेला। स्मृति मंधाना और युवराज सिंह से प्रेरित होकर उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा।

मां को था बेटी पर पूरा भरोसा

चरणी बताती हैं, "मां को शुरू से विश्वास था कि मैं एक दिन भारत के लिए खेलूंगी। उन्होंने मेरे क्रिकेटर बनने के फैसले को तुरंत स्वीकार कर लिया, जबकि पापा को इसे समझने में करीब एक साल लग गया। मां और मामा ने हमेशा मेरा साथ दिया, बहन और पिता को सहज होने में थोड़ा वक्त लगा। लेकिन मां का भरोसा अटल था कि मैं क्रिकेट में कुछ बड़ा करूंगी।"

एक यादगार किस्सा साझा करते हुए उन्होंने कहा, "एक बार हम कडप्पा के एक ज्वेलरी शॉप में गए थे। जब कैशियर ने मेरे किट बैग के बारे में पूछा, तो मां ने मुस्कराते हुए कहा 'यह क्रिकेट खेलती है, और एक दिन भारत के लिए खेलेगी।' मेरी मां ही पहली थीं जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया।"

पिता को समझने में समय लगा

बचपन का जिक्र करते हुए चरणी ने बताया, “छह साल की उम्र में दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलती थी। पापा ने बैडमिंटन अकादमी भेजा। वहां पीटी सर ने दौड़ते देखकर खो-खो और एथलेटिक्स में भी हिस्सा लेने को कहा। मैंने दो साल तक तीनों खेल साथ खेले। हमारे इलाके में खो-खो और एथलेटिक्स पेशेवर स्तर पर थे, क्रिकेट नहीं। नौवीं में जिला स्तर पर क्रिकेट खेला और दसवीं में पापा से कहा कि इसे गंभीरता से अपनाना है।”

कोविड-19 ने तेज गेंदबाज से स्पिनर बनाया

उन्होंने आगे कहा, "पापा को मनाने में मुझे एक साल लगा, और तभी कोविड-19 ने मेरे करियर के दो अहम साल बर्बाद कर दिए। हमारे गांव में हम टर्फ पर खेलते थे, जहां अगर गेंद मैदान से बाहर चली जाती, तो बल्लेबाज आउट माना जाता था। उस वक्त मैं मीडियम पेसर थी, लेकिन उतनी प्रभावी नहीं थी, बल्लेबाज आसानी से खेल जाते थे। तब मैंने फैसला किया कि मैं स्पिन गेंदबाज बनूंगी। जब मैंने स्पिन गेंदबाजी शुरू की, तो लगातार विकेट मिलने लगे क्योंकि बल्लेबाज मेरी गेंदों को पढ़ नहीं पा रहे थे। वहीं से मेरी स्पिनर बनने की यात्रा शुरू हुई।"

चाचा देते थे कोचिंग

शुरुआत में चाचा किशोर कुमार रेड्डी ने कोचिंग दी। मेहनत, प्रदर्शन और जुनून से भारत अंडर-19 टीम में जगह बनी। वुमेन प्रीमियर लीग (WPL) 2025 ऑक्शन में दिल्ली कैपिटल्स ने 55 लाख में खरीदा। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के खिलाफ डेब्यू में एक ही ओवर में दो विकेट लेकर सनसनी मचा दी। फाइनल में मुंबई इंडियंस के खिलाफ भी दो विकेट लिए। सीनियर महिला मल्टी-डे चैलेंजर ट्रॉफी में चमकीं, इंडिया बी के खिलाफ पांच विकेट, तीन मैचों में कुल 9 विकेट।

अप्रैल 2025 में श्रीलंका-दक्षिण अफ्रीका वनडे ट्राई-सीरीज के लिए सीनियर टीम में चयन हुआ। 27 अप्रैल को श्रीलंका के खिलाफ वनडे डेब्यू किया और टूर्नामेंट में 43.16 की औसत से 6 विकेट चटकाए। इसके बाद इंग्लैंड दौरे पर चुनी गईं। डेब्यू पर स्नेह राणा ने कैप थमाई।