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Ashwani Kumar के पास गेंद खरीदने के भी नहीं थे पैसे, MI ने 30 लाख में खरीदकर बना दी लाइफ, जानें कैसे फर्श से अर्श तक पहुंचे

Who is Ashwani Kumar: मुंबई इंडियंस को 23 वर्षीय तेज गेंदबाज अश्विनी कुमार ने अपने दम पर आईपीएल 2025 की पहली जीत दिलाई है। गांव झंजेरी, फतेहगढ़ के रहने वाले इस गेंदबाज के पास कभी गेंद खरीदने तक के पैसे नहीं थे। आइये आपको बताते हैं कि उनका अब तक का सफर कैसा रहा है?

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भारत

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lokesh verma

Apr 01, 2025

Who is Ashwani Kumar: एक समय था जब घर के बड़े बच्चों का रुख पढ़ाई की ओर मोड़ने के लिए कहावत कहते थे कि खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे नवाब। लेकिन अब ये कहावत पुराने जमाने की बात हो गई, क्योंकि इंडियन प्रीमियर लीग जैसे कई बड़े मंच देश में छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर दे रहे हैं। आईपीएल दूर-दराज के क्षेत्र से आने वाली प्रतिभाओं के लिए न केवल बड़ा मंच दे रहा है, बल्कि नाम के साथ पैसा भी दे रहा है। आईपीएल 2025 में भी कई युवा क्रिकेटर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। इन्हीं में से एक है, मुंबई इंडियंस को सीजन की पहली सफलता दिलाने वाले 23 वर्षीय तेज गेंदबाज अश्विनी कुमार। कभी अश्विनी के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह ऑटो का किराया देकर अपने गांव झंजेरी, फतेहगढ़ से आईएस बिंद्रा पीसीए स्टेडियम तक जा सके, लेकिन अब मुंबई फ्रेंचाइजी ने इस युवा खिलाड़ी की लाइफ बना दी है। आइये आज हम आपको अश्विनी कुमार के अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी बताते हैं।

'साइकिल से 11 किलोमीटर की दूरी तय करता था अश्विनी'

वानखेड़े स्टेडियम में सोमवार रात मुंबई इंडियंस के लिए आईपीएल डेब्यूटेंट 23 वर्षीय तेज गेंदबाज अश्विनी कुमार ने केकेआर के कप्तान अजिंक्य रहाणे, रिंकू सिंह, मनीष पांडे और आंद्रे रसेल के बड़े विकेट चटकाकर चार विकेट हॉल अपने नाम किया। ये देख उनके पिता हरकेश कुमार का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गांव झंजेरी, फतेहगढ़ निवासी पिता हरकेश कुमार ने बताया कि अश्विनी ने यहां तक पहुंचने के लिए जी तोड़ मेहनत की है। वह साइकिल से 11 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने गांव से मैच खेलने आईएस बिंद्रा पीसीए स्टेडियम जाता था।

'सुबह 5 बजे मैच खेलने के लिए निकल जाता था'

मोहाली ने में ऑटो चलाने वाले हरकेश ने बताया कि जब अश्विनी का जन्म हुआ तो हमने कभी नहीं सोचा था कि वह मोहाली में पीसीए के लिए या उसके बाद में नए मुल्लांपुर स्टेडियम में खेलेगा। मैं एक स्कूल वैन ड्राइवर था। कई बार वह अपनी किट लेकर सुबह 5 बजे मैच खेलने के लिए आईएस बिंद्रा पीसीए स्टेडियम के लिए निकल जाता था और आते-आते थक जाता था, लेकिन अगली सुबह फिर चला जाता था।

अश्विनी ने अपने रास्ते खुद बनाए

उन्होंने बताया कि जब 2014 में वह गांव के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ता था, तब उसने अपने दोस्त अहान ठाकुर की एकेडमी में क्रिकेट खेलना शुरू किया। अपने शुरुआती वर्षों में पीसीए एकेडमी में अभिषेक शर्मा, अनमोल शर्मा सिंह और अर्शदीप सिंह के साथ खेलने वाले अश्विनी ने अपने रास्ते खुद बनाए।

गेहूं के खेत में भी खेले

अश्विनी के बड़े भाई शिव राणा ने बताया कि अश्विनी मुझसे और गांव के अन्य युवाओं से कहता था कि हम सुबह जल्दी मैदान पर पहुंच कर उसके साथ अभ्यास करें और हममें से अधिकांश स्कूल के मैदान में उसके खिलाफ होते थे, क्योंकि गांव में स्थानीय टीमों के खेलने के लिए कोई अन्य मैदान नहीं था। इसलिए वह शाम को मोहाली कैनवस सेक्टर के पास एक गेहूं के खेत में खेलते थे। बता दें कि बड़े भाई शिव राणा अब विदेश में रहते हैं।

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2022 में पंजाब की रणजी टीम के लिए किया डेब्यू

अश्विनी ने सबसे पहले पंजाब की अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-23 घरेलू टीमों के लिए खेलना शुरू किया और फिर 2022 में पंजाब की रणजी टीम के लिए डेब्यू किया। अश्विनी के मित्र डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि बीवीआर सुब्रमण्यम ट्रॉफी में वे पंजाब की अंडर-19 टीम के लिए खेले और फिर कोच सुरेंद्र भावे के मार्गदर्शन में किस्मत आजमाने से पहले अंडर-23 क्रिकेट खेला। पंजाब के लिए मैच खेलने के लिए घर से मोहाली के आईएस बिंद्रा पीसीए स्टेडियम तक की दूरी तय करनी पड़ती थी।

वीआरवी सिंह ने शुरुआती दौर में ही अश्विनी की गति पहचान लिया था

पीसीए सचिव डी खन्ना बताते हैं कि शेर-ए-पंजाब क्लब के चयनकर्ता और पूर्व भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी वीआरवी सिंह ने शुरुआती दौर में ही अश्विनी की गति और प्रतिभा को पहचान लिया था। उन्होंने उसे तेज गेंदबाजी की तकनीकी बारीकियां सिखाई थीं। वीआरवी अश्विनी को पिच की गति का उपयोग करने जैसी चीजों में मदद करते हैं तो हरविंदर सिंह पूरे कार्यक्रम की देखरेख करते हैं।

टेनिस एल्बो के चलते एक साल क्रिकेट से रहे दूर

2020 में अश्विनी टेनिस एल्बो से पीड़ित हो गए थे और एक साल से ज़्यादा समय तक खेल से दूर रहे। कोच वरिंदर सिंह, जो मोहाली के डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन से भी जुड़े हैं, वे कहते हैं, "हम अक्सर बैठकर सुनते थे कि उनकी गेंदें हमारे पास से गुज़रती थीं। वह अपने कंधों पर धीरे-धीरे गेंद डालते थे और मोहाली में टॉप नेट सीलर होने पर वह रैंडम बॉलिंग के लिए प्लेन में बॉलिंग नहीं करते थे।"

'जसप्रीत बुमराह और मिचेल स्टार्क जैसा बनना चाहता था अश्विनी'

बड़े भाई शिव राणा ने बताया कि वह आईपीएल टीमों के लिए ट्रायल में शामिल हुआ था, लेकिन वह हमेशा जसप्रीत बुमराह और मिचेल स्टार्क जैसा बनना चाहता था। उसके दोस्त उसे क्रिकेट बॉल दिलाने के लिए पैसे इकट्ठा करते थे और जब उसे मुंबई इंडियंस ने 30 लाख रुपये में खरीदा तो सबसे पहले उसने हमारे गांव के पास की अकादमियों में क्रिकेट किट और बॉल बंटवाईं।

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बेसन का चीला, दाल और पराठे पसंद

शिव ने कहा कि वह हमेशा मुझसे कहता था कि उसकी पसंदीदा जर्सी वह जर्सी होगी जिस पर उसका अपना नाम हो और अब उसके प्रदर्शन से उसने सुनिश्चित कर दिया है कि उसका सपना जरूर पूरा होगा। वहीं, मां मीना कुमारी ने कहा कि उन्‍हें पता है कि अश्विनी वापस आने पर क्या पूछेगा? गर्व से भरी मां हंसते हुए कहती हैं कि उसे बेसन का चीला, दाल और पराठे पसंद हैं।

बहुत मेहनत की- अश्विनी कुमार

बता दें कि अश्विनी कुमार ने मैच के बाद कहा था कि मेरे लिए यह अवसर पाना और मैन ऑफ द मैच बनना बहुत बड़ी बात है। मेरा पैतृक स्थान मोहाली जिले में है। बहुत मेहनत की है और भगवान की कृपा से मैं यहां हूं। मुझे पूरा भरोसा था, लेकिन फिर भी खेल से पहले हमेशा घबराहट होती है। मुझे जो भी अवसर मिलेंगे, मैं अपने घर के लोगों को गौरवान्वित करूंगा।