पुलवामा का रहने वाला है हारून अब्बास
हारून अब्बास पर सात लाख का इनाम
अंसार गजवत उल हिंद अब कश्मीर से बाहर पसार रहा पैर
23 मई, 2019 को मारा गया था मूसा
जाकिर मूसा का उत्तराधिकारी बना हारून अब्बास, अल कायदा का नया प्लान आया सामने
नई दिल्ली। आतंकी संगठन अल-कायदा ने कशमीर यूनिट के कमांडर जाकिर राशिद मूसा का उत्तराधिकारी ढूंढ लिया है। अल-कायदा के लिए घाटी में काम कर रहे अंसार गजवत उल हिंद ने नए कमांडर और उसके डिप्टी के नाम की घोषणा एक वीडियो के जरिये की है। वीडियो में कहा गया है मूसा का उत्तराधिकारी अब्दुल हमीद ललहारी उर्फ हारून अब्बास होगा। वहीं, गाजी इब्राहिम खालिद को अब्दुल हमीद ललहारी का डिप्टी बनाया गया है।
पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: पुलवामा में सेना की बड़ी कामयाबी, मुठभेड़ में चार आतंकी ढेरअंसार गजवत उल हिंद ने जारी किया वीडियो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को अंसार गजवत उल हिंद ने करीब 12 मिनट का एक वीडियो जारी किया था। अल-कायदा के प्रवक्ता अबू उबैदा ने इस वीडियो के जरिये दोनों के नामों का ऐलान किया है। वहीं, गृह मंत्रालय के अफसरों ने खुफिया जानकारी के हवाले से कहा कि अब अल-कायदा अपने पैर कश्मीर से बाहर फैलाने की कोशिश कर रहा है और पंजाब में भी सक्रिय हो चुका है।
पढ़ें- महाराष्ट्र: मुंबई में क्रिकेटर की हत्या से हड़कंप, हिरासत में महिला मित्रपुलवामा का रहने वाला है हमीद मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 29 साल का अब्दुल हमीद मूलरूप से पुलवामा के काकपोरा का रहनेवाला है। वह मई 2016 से इस संगठन के साथ जुड़ा हुआ है। 2016 में अबु दुजाना ने हमीद को लश्कर में शामिल किया था। उससे पूर्व वह लश्कर का ओवरग्राउंड वर्कर था।
साल 2017 के अंत में जब उसने लश्कर को छोड़ अंसार उल गजवात ए हिंद का दामन थामा, तो ललहारी जाकिर मूसा के गुट का हिस्सा बन गया था। उसे बीते साल सितंबर के दौरान सुरक्षाबलों ने कश्मीर में सक्रिय सूचीबद्ध आतंकियों की बी-श्रेणी में शामिल किया था। हारून अब्बास पर सात लाख का इनाम घोषित है।
पढ़ें- अनंतनाग: ईद की छुट्टी पर घर आए जवान की आतंकियों ने गोली मारकर की हत्यापिछले महीने मारा गया था मूसा गौरतलब है कि पिछले महीने 23 मई को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में जाकिर मूसा को मार गिराया था। वहीं, पिछले साल पंजाब पुलिस ने मूसा के चचेरे भाई सहित 3 छात्रों को गिरफ्तार किया था, जिससे अंसार गजवत उल हिंद के पैर कश्मीर से बाहर भी फैलाने का प्लान होने और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की तरफ से भारत की पश्चिमी सीमा पर आतंकवाद का दायरा बढ़ाने की कोशिश होने का संदेह बढ़ा था।