17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मुजफ्फरपुर दुष्कर्म कांडः शाइस्ता उर्फ मधु निकली पूरे प्रकरण की सूत्रधार, तलाश में जुटी सीबीआई

मुजफ्फरपुर कांड की मुख्य कड़ी मानी जा रही मधु के पकड़ में आने के बाद सारे राज खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।

2 min read
Google source verification

image

Mohit sharma

Aug 09, 2018

news

मुजफ्फरपुर दुष्कर्म कांडः शाइस्ता उर्फ मधु निकली पूरे प्रकरण की सूत्रधार, तलाश में जुटी सीबीआई

पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में एक किरदार और सामने आया है। यह किरदार है शाइस्ता परवीन उर्फ मधु। हालांकि अभी शाइस्ता परवीन गायब चल रही है और पुलिस उसको पकड़ने के लिए एडी-चोटी के जोर लगाए है। मुजफ्फरपुर कांड की मुख्य आरोपी मानी जा रही शाइस्ता की मधु बनने की कहानी भी काफी रोचक है। बताया जा रहा है कि एनजीओ में ब्रजेश ठाकुर के बाद सभी फैसले लेने का अधिकार मधु के ही पास था। बिहार पुलिस की असफलता के बाद अब सीबीआई को मधु की धरपकड़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

अहमदाबाद: पैसों की खातिर युवक ने बेचे पत्नी के एग्स, पुलिस ने की एफआईआर दर्ज

ऐसे हुई मधु और ब्रजेश की मुलाकात

मुजफ्फरपुर कांड की मुख्य कड़ी मानी जा रही मधु के पकड़ में आने के बाद सारे राज खुलने की उम्मीद जताई जा रही है। दरअसल, ब्रजेश ठाकुर के साथ जुड़ने से पहले मधु मुजफ्फरपुर में बदनाम इलाके के नाम से मशहूर चतुर्भूज स्थान में रहती थी। 1998 में मधु की शादी चांद मुहम्मद नाम के शख्स से हुई थी। पति—पत्नी के बीच विवाद के कारण चांद ने मधु को छोड़ दिया था। इस दौरान बदनाम गलियों में फंसी महिलाओं के पुनर्वास का काम शुरू हुआ। तभी मधु की ब्रजेश ठाकुर से मुलाकात हुई और दोनों में रेड लाइट इलाकों में रह रही महिलाओं के लिए काम करने का निर्णय लिया। इसके चलते दोनों ने मिलकर सेवा सकल्प एवं विकास समिति के नाम से एनजीओ शुरू की।

अपने से 21 साल छोटी लड़की पर फिदा हो गए थे करुणानिधि, शादी के लिए उठाया था यह कदम

एनजीओ के निर्माण के बाद दोनों ने मिलकर एड्स कंट्रोल सोसाइटी के लिए काम किया। बताया जाता है कि मधु औ ब्रजेश के कामों का प्रशासन पर ऐसा असर था कि 2004 में एक अधिकारी ने उनकी एनजीओ का बिहार की सर्वश्रेष्ठ संस्था का दर्जा दे दिया। यह वहीं दौर है जब शाइस्ता के चाहने वालों ने उनका नाम मधु रख दिया। यह उनकी प्रशासन पर पकड़ का ही नतीजा था कि 2013 से उनको शेल्टर होम संचालन का काम मिला। जिसके बाद उनको समाज कल्याण विभाग के कई प्रोजेक्ट हाथ लग गए।