
22 सालों से गणेश प्रतिमाएं गढ़ रहे भूपेन (Photo source- Patrika)
Ganesh Chaturthi 2025: गणेशोत्सव नजदीक आते ही शहर में प्रतिमाओं की सजावट और रंगाई ने रफ्तार पकड़ ली है। जगह-जगह मूर्तिकार विघ्नहर्ता की भव्य प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इन्हीं में शामिल हैं भूपेन सेन, जो पिछले 22 वर्षों से ओडिशा के मलकानगिरी से बीजापुर आकर गणेश प्रतिमाएं गढ़ते आ रहे हैं।
आंखों पर चश्मा लगाए और हाथों में रंग-तूलिका थामे भूपेन मुस्कुराते हुए कहते हैं कला का कोई आज और कल नहीं होता, कला तो बस कला है, उसका कोई मोल नहीं होता। भूपेन बताते हैं कि यह हुनर उन्हें परिवार से नहीं मिला।
उनके पिता साधारण किसान थे, लेकिन पढ़ाई में मन न लगने पर उन्होंने किशोरावस्था में गांव के एक मूर्तिकार से यह कला सीखी और तब से इसे ही जीवन बना लिया। परिवार में पत्नी, तीन बेटियां और एक बेटा है। बेटियों की शादी हो चुकी है, जबकि बेटा अब पिता का यह हुनर सीखकर आगे बढ़ा रहा है। भूपेन गर्व से कहते हैं ‘‘मेरी कला अब बेटे के हाथों में सुरक्षित है।
आज बाजार में डिजाइन और स्टाइल को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है, लेकिन भूपेन ग्राहकों की पसंद को पूरी मेहनत से मूर्त रूप देने का प्रयास करते हैं। आमदनी के सवाल पर वे सहजता से कहते हैं यह काम मेरे लिए पूजा जैसा है। मोलभाव करना मुझे उचित नहीं लगता। ग्राहक जितना देता है, उसमें ही संतुष्ट हूं। यही मेरी ईश्वर के प्रति कृतज्ञता है।
Ganesh Chaturthi 2025: पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए भूपेन पुआल, तालाब की मिट्टी और सामान्य रंगों से ही मूर्तियां तैयार करते हैं। इस साल उनकी 40 से ज्यादा प्रतिमाएं तैयार हो चुकी हैं और सभी की एडवांस बुकिंग भी हो गई है। इधर इन प्रतिमाओ की मांग दूर दराज तक है।
Updated on:
26 Aug 2025 07:02 pm
Published on:
26 Aug 2025 04:36 pm
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