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Dausa News: कपड़ा व्यवसायी हुआ साइबर ठगी का शिकार, आरोपी ने सिम बंद होने की बात कहकर मांगा ओटीपी

मंडावरी कस्बे में रेेडिमेेड कपड़ा व्यवसायी साइबर ठगी का शिकार होते हुए हजारों रुपए गंवा बैठा है। इसके बाद खातों का बैलेंस चेक किया तो विभिन्न खातों से रकम गायब होने की जानकारी मिलते ही पीड़ित के होश उड़ गए।

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दौसा

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Anil Prajapat

Dec 04, 2024

Cyber Fraud

दौसा। मंडावरी कस्बे में रेेडिमेेड कपड़ा व्यवसायी साइबर ठगी का शिकार होते हुए हजारों रुपए गंवा बैठा है। पीड़ित मुकेश कुमार गुप्ता घीवाला पुत्र परमानंद गुप्ता ने थाना पुलिस को परिवाद देकर बताया कि मोबाइल नेटवर्क कंपनी के प्रतिनिधि ने सिम वेरिफिकेशन के संदर्भ में कॉल कर ओटीपी मांगा। पीड़ित ने ओटीपी नहीं दिया तो सिम बंद कर दी गई। अगले दिन दोबारा कंपनी की तरफ से कॉल आया और कहा कि अगर सिम चालू करवानी है तो ओटीपी देना पड़ेगा, पीड़ित ने फिर ओटीपी देेने से मना कर दिया। सिम बंद होने पर पीड़ित ने कस्टमर केयर पर कॉल किया तो जानकारी प्राप्त हुई की शिकायत पर सिम बंद कर दी गई है।

नई सिम निकलवाने के लिए जब पीड़ित कंपनी के ऑफिस लालसोट गया तो वहां आधार पर फिंगर एक्टिवेट नहीं होना बताया गया। 25 नवंबर को फिंगर वेरिफिकेशन के लिए पंचायत समिति लालसोट में स्थित आधार सेवा केंद्र में आवेदन किया। आधार फिंगर वेरीफिकेशन सात दिवस में हुआ तब पीड़ित ने 1 दिसंबर को नई सिम एक्टिवेट करवाई। इसके बाद खातों का बैलेंस चेक किया तो विभिन्न खातों से रकम गायब होने की जानकारी मिलते ही पीड़ित के होश उड़ गए। तत्परता दिखाते हुए संबंधित बैंक ब्रांच में जाकर अपने खाते की सुरक्षा के लिए बैंक मैनेजर से गुहार लगाई।

पीड़ित की पत्नी सुनीता कुमारी गुप्ता के एक बैंक खाते से 86 हजार 899 रुपए व दूसरे खाते से 7 हजार 800 रुपए सहित कुल 94 हजार 699 रुपए खातों से पार कर लिए गए। पीड़ित ने साइबर क्राइम की प्रथम सूचना रिपोर्ट मंडावरी थाने में देते हुए ठगी की रकम बरामद करने के लिए पुलिस से गुहार लगाई।

पहले भी हो चुकी वारदात

केस-1: गत 28 सितंबर को कस्बे के युवक श्रीकांत सोनी अंजान लिंक (एपीके फाइल) पर क्लिक कर ठगी का शिकार हो गया था। पीड़ित के खाते से 3 लाख 64 हजार की राशि साइबर ठगों ने निकाल ली थी। मुकदमा दर्ज होने के बावजूद अभी तक अपराधियों का कोई पता नहीं लग पाया है।

केस-2: गत दिनों कस्बे में युवक चेतन अग्रवाल भी साइबर ठगों के झांसे में आकर लगभग 78 हजार रुपए गंवा बैठा था। साइबर ठग ने पुलिस सब इंस्पेक्टर बनकर चेतन को हार्डवेयर दुकान से लगभग पंद्रह हजार का सामान पुलिस थाने भिजवाने को कहा। साथ ही डिजिटल पेमेंट करने का झांसा देकर खाते से रकम पार कर ली। पीड़ित ने हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई।

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नित नए-नए तरीके अपना रहे ठग, सतर्कता जरूरी

साइबर ठग नित नए-नए तरीके अपना रहे हैं, ऐसे में सतर्कता आवश्यक है। साथ ही ठगी के तरीकों के बारे में भी जानकारी रखकर अलर्ट रहना जरूरी है। डिजिटल अरेस्ट में स्कैमर लोगों को पुलिस या कस्टम अधिकारी बनकर फोन करते हैं। वे लोगों को मनी लांड्रिंग या ड्रग्स जैसे मामलों में शामिल होने का दावा करते है जिसके बाद लोग डरकर स्केमर को पैसे भेज देते हैं।फिशिंग स्कैम में ठग जैसे केवाईसी करें वरना अकाउंट बंद हो जायेगा और फिर लिंक भेजते है, फिर फर्जी लिंक भेज कर अकाउंट खाली कर देते हैं। लक्की ड्रा स्कैम में स्कैमर लॉटरी या लक्की ड्रा प्राइज विनर का मैसेज भेजते हैं। लोग उस राशि को हासिल करने के लिए स्कैमर राशि का 5 से 10 फीसदी टैक्स के रूप में देने के लिए कहते है।


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वहीं कई बार लोगों के पास ठग रुपए प्राप्त होने का फर्जी मैसेज भेजते हैं। कुछ देर बाद आपात स्थिति का हवाला देते हुए उस पैसे को मांगते हैं, छानबीन किए बिना पैसे भेजने के चलते लोग ठगी का शिकार हो जाते है। इसके आलवा वेबसाइट और सोशल मीडिया पर पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड बनाने का दावा कर फीस देने को कहते हैं। लड़की की मदद से आपत्तिजनक कॉल कर भी लोगों को शिकार बनाया जाता है। इन दिनों स्कैमर फर्जी लिंक भेज नौकरियां की भर्ती के मैसेज भेजकर भी युवाओं को ठग रहे हैं। साइबर ठग पैसा स्कैमर यूल अकाउंट (किराया का खाता) में डलवाते हैं। अगर ठगी का शिकार हो जाएं तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें। संबंधित बैंक व पुलिस को अवगत कराएं।