कभी कांग्रेस का गढ़ रही दौसा लोकसभा सीट पर भाजपा ने 2014 में भी जीत दर्ज की थी। 2014 में यहां भाजपा के हरिश चंद्र मीणा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राजपा के किरोड़ी लाल मीणा को पराजित किया था। भाजपा और कांग्रेस से उतरे दो भाइयों (हरिश चंद्र मीणा और नमो नारायण मीणा) के आमने-सामने मैदान में होने तथा किरोड़ी लाल मीणा के भी चुनाव लड़ने से दौसा सीट पर देशभर की नजर थी। मतदान के बाद भाजपा व राजपा में कांटे का मुकाबला बताया गया, लेकिन परिणाम में भाजपा ने अच्छे अंतर से जीत दर्ज कर विश्लेषकों को चौंका दिया।
उल्लेखनीय है कि दौसा संसदीय सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं। इस दौरान राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के परिवार ने दौसा जिले से 7 बार प्रतिनिधित्व किया है। सचिन के पिता राजेश पायलट 5 बार तथा मां रमा पायलट व सचिन पायलट एक-एक बार दौसा से सांसद चुने गए हैं। 23 साल तक पायलट परिवार दौसा पर काबिज रहा। कांग्रेस के दिग्गजों में शामिल रहे पण्डित नवल किशोर शर्मा भी तीन बाद सांसद चुने गए थे। वे भी केन्द्र सरकार में केबिनेट मंत्री रहे थे। दौसा सीट पर 11 बार कांग्रेस काबिज रही है। भाजपा को मात्र 2 बार ही सफलता मिल सकी है। 4 बार दूसरे दलों या निर्दलीयों के खाते में यह सीट गई है। दौसा सीट के 62 साल के संसदीय इतिहास में मात्र 16 साल कांग्रेस के पास यह सीट नहीं रही। अब देखना यह है कि कांग्रेस अपना दर्जन का आंकड़ा छू पाती है या फिर भाजपा तीसरी बार सफलता पाती है।