
मोरेल बांध। फोटो: पत्रिका
लालसोट। एशिया के सबसे बड़े कच्चे डेम मोरेल बांध की नहरों में शीघ्र ही किसानों के लिए पानी छोड़ा जाएगा। रबी फसल की बुवाई कर रहे दौसा व सवाई माधोपुर जिलों के हजारों किसान बीते कई दिनों से नहरों में पानी छोड़े जाने का इंतजार कर रहे थे।
इस वर्ष भी इंद्रदेव की मेहरबानी से किसानों को पर्याप्त सिंचाई जल मिलने की उम्मीद जताई गई है। विभागीय अनुमान के अनुसार इस बार करीब तीन माह तक किसानों को मोरेल बांध की नहरों में भरपूर पानी उपलब्ध रहेगा। दोनों जिलों के 83 गांवों में करीब 18 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई होने का दावा किया गया है।
मोरेल बांध की नहरों में पानी छोड़े जाने को लेकर बुधवार को सवाई माधोपुर में जल वितरण कमेटी की बैठक आयोजित होगी। यह बैठक भरतपुर संभागीय आयुक्त टीना सोनी की अध्यक्षता में होगी। बैठक में दोनों जिलों के प्रशासनिक अधिकारी, जल संसाधन विभाग, जल उपभोक्ता संगम से जुड़े पदाधिकारी और किसान शामिल होंगे। संभावना जताई गई है कि एक-दो दिन में पानी छोड़े जाने की तारीख निर्धारित कर दी जाएगी।
जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि बांध की कुल लंबाई 5364 मीटर, भराव गेज 30 फीट और कुल भराव क्षमता 2707 एमसीएफटी है। इसमें 2496 एमसीएफटी लाइव और 211 एमसीएफटी डेड स्टोरेज है। वर्तमान में बांध पूरा भरा हुआ है तथा 2496 एमसीएफटी पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध रहेगा। उन्होंने बताया कि यदि किसान पानी का दुरुपयोग नहीं करें तो 90 दिन सिंचाई के बाद भी करीब 1 हजार एमसीएफटी पानी शेष बच सकता है, जो भूजल स्तर को स्थिर रखने में सहायक होगा।
इतिहास में इस वर्ष मोरेल बांध पर सबसे अधिक समय तक चादर चलने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। 14 जुलाई से लगातार चार माह से चादर जारी है। मंगलवार को डेढ़ इंच की चादर दर्ज की गई और अनुमान है कि नहरें खुलने के बाद भी कुछ दिन तक यह स्थिति बनी रहेगी। गत वर्ष भी करीब तीन माह तक चादर चली थी।
Published on:
19 Nov 2025 12:11 pm
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