
Vishwakarma Puja (photo- chatgtp)
Vishwakarma Puja Muhurt: विश्वकर्मा पूजा हर साल बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह खास त्योहार सृष्टि के प्रथम शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने रावण की सोने की लंका से लेकर भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी का निर्माण किया था। इसलिए इस दिन लोहे के औजार, मशीनें, वाहन और अन्य कार्य साधनों की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से कारोबार में बढ़ोतरी होती है और व्यवसायिक गतिविधियां सफल रहती हैं।
इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी। विशेष रूप से झारखंड, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह पर्व बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाया जाता है। पूजा के दिन लोग अपने औजार, मशीनें और वाहनों को सजाकर उन्हें साफ-सुथरा रखते हैं और विधिपूर्वक भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं। इससे व्यवसाय में तरक्की, समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।
पंचांग के हिसाब से 17 सितंबर को सुबह 08:12 बजे के बाद सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इसी समय से पूजा प्रारंभ की जा सकती है। शुभ मुहूर्त सुबह 08:15 से दोपहर 12:50 तक रहेगा। इस अवधि में विश्वकर्मा पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति मानी जाती है।
इस बार विश्वकर्मा पूजा का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि पूरे सौ साल में एक बार ऐसा संयोग बन रहा है। इस दिन चार बेहद शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को खास बना रहे हैं:
अमृत सिद्धि योग – यह योग स्वास्थ्य, आयु और समृद्धि को बढ़ाने वाला माना जाता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग – यह योग सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला है।
गुरु पुष्य योग – ज्ञान, वैभव और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ।
शिवयोग और एकादशी – यह योग पाप नाशक और मनोकामना पूरी करने वाला विशेष योग है।
इन चार योगों के संयोग से विश्वकर्मा पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित मुद्गल ने बताया कि इस दिन विशेष रूप से व्यवसायी, श्रमिक, वाहन चालक, इंजीनियर और टेक्नीशियन इस पर्व को बड़ी श्रद्धा से मनाएं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।
Published on:
10 Sept 2025 12:18 pm
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