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International Yoga Day: डूंगरपुर की मोली का योग में ऐसा कमाल, रबड़ की तरह शरीर की क्रियाओं पर ठहर जाती है आंखें

International Yoga Day 2024: डूंगरपुर शहर के नागेंद्र कॉलोनी की मोली भट्ट ने 9 वर्ष की उम्र से योग का दामन थामा। दसवीं अध्ययनरत मोली कहती है कि योगा में वह शक्ति हैं, जो इंसान की लाइफ बदल दे।

moli bhatt
Photo- Patrika

International Yoga Day 2025: आज हम वैश्विक उत्सव के रूप में 11वां अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं। इस बार की थीम 'एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग' है। मौजूदा दौर में योग व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बनता जा रहा हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक की दिनचर्या में योग शामिल हैं। डूंगरपुर जिले में कई बच्चे व युवा हैं, जो स्वयं योग करने के साथ ही नई पीढ़ी को भी इससे जोड़ रहे हैं।

कोरोना में समझ आई योग की ताकत

डूंगरपुर शहर के नागेंद्र कॉलोनी की मोली भट्ट ने 9 वर्ष की उम्र से योग का दामन थामा। दसवीं अध्ययनरत मोली कहती है कि योगा में वह शक्ति हैं, जो इंसान की लाइफ बदल दे। योग व अंग्रेजी शिक्षक पिता पंकज भट्ट से योग के बारे में जाना। परिवार के सदस्यों के नियमित योग करने एवं इसकी ताकत का अंदाजा उस वक्त लगा, जब कोरोना के दौर में आसपास के लोग बीमार थे, जबकि परिवार स्वस्थ्य व सुरक्षित था।

कोरोना काल में स्कूल बंद थे, बीमारी के डर से मैं पिता के साथ नियमित योग किया करती थी। आज यहीं योग मेरी पहचान बनता जा रहा है। मोली बताती है कि अब तक चार वर्षों से जूनियर कैटेगरी में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

वहीं वर्ष 2023 व 2025 में नेशनल योगा में जाने का अवसर भी मिला। मोली बताती है कि योगा से शरीर में अद्भूत ऊर्जा पैदा होती हैं, जो मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। भविष्य में योगा ट्रेनिंग सेंटर खोलकर डूंगरपुर के लोगों को निशुल्क प्रशिक्षण देने का सपना हैं।

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पहले सीखा, अब दूसरों को सीखा रहीं अक्षिता

बारहवीं कक्षा में अध्ययनरत अक्षिता शर्मा पांच साल की उम्र से योग व ध्यान से जुड़ी हुई हैं। पिता ने पहले ध्यान एवं उसके बाद आसन सिखाए। इसके बाद कोच विपिन से इसकी बारीकियां सिखी। कोरोना के दौर में योग ने मुझे स्वस्थ रखा। योग जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, इसलिए ही यह मेरी दिनचर्या का हिस्सा बना हुआ हैं।

योगा में नेशनल चैंपियनशिप तक का सफर तय करने वाली अक्षिता पत्रिका पाई समर कैंप से भी काफी प्रभावित रही। वे बताती है कि इस कैंप में दो साल पहले प्रशिक्षण लेने आया करती थी, आज इसी कैंप में योग का प्रशिक्षण देने का मौका मिला, जो मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं। अक्षिता कहती है कि प्रत्येक व्यक्ति को दिनचर्या में दस मिनट का प्राणायाम जरूर करना चाहिए।