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Dungarpur : 12 दिन बाद कनाडा से डूंगरपुर आया बेटे का शव, देखकर परिजन बिलख-बिलख कर रोने लगे, जानिए कौन है निपुण?

Dungarpur : डूंगरपुर शहर में दुख का माहौल था। 12 दिन बाद कनाडा से डूंगरपुर आया बेटे का शव। शव देखकर परिजन बिलख-बिलख कर रोने लगे। जानिए कौन है निपुण?

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कनाडा से शव डूंगरपुर पहुंचा, निपुण नागदा (इनसेट)। फोटो पत्रिका

Dungarpur : डूंगरपुर शहर के एक युवक की कुछ दिनों पहले कनाड़ा में हृदय गति रुकने से हुई मौत के 12 दिन बाद भारत के विदेशमंत्री व कनाड़ा के मित्रों के प्रयासों से रविवार को शव डूंगरपुर पहुंचा। शव पहुंचने पर क्षेत्र में माहौल गमगीन हो गया। शव देखते ही परिजनों पर व्रजपात टूट पड़ा। लोगों की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। देखते ही देखते पूरा माहौल गमगीन हो गया। युवक की शवयात्रा में बड़ी संख्या में कई समाज के लोग शामिल हुए।

चेतन सेठ ने बताया कि न्यू कॉलोनी निवासी पार्षद मोहनलाल नागदा का पुत्र निपुण नागदा लम्बे समय से कनाड़ा में कंप्यूटर इंजीनियर के पद पर नियुक्त था। गत 25 नवंबर को निपुण की हृदय गति रुकने से मौत हो गई थी। इस पर परिजन व समाज के लोग शव डूंगरपुर लाने के प्रयासों में जुट गए। इस प्रयास में उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत, राज्य सभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, पूर्व सांसद कनकमल कटारा, भाजपा नेता सुशील कटारा सहित कई नेताओं से मुलाकात की। इस पर राजनेताओं ने भी मामले की गंभीरता समझते हुए विदेश मंत्री से संपर्क किया।

बेटे का शव देखकर परिजन करने लगे विलाप

वहीं, कनाड़ा में निपुण के सोसाइटी के लोग,उसके मित्र मयंक व पंकज जैन ने भी शव को डूंगरपुर भेजने के लिए प्रयास किए। इन सभी के प्रयासों से रविवार को शव डूंगरपुर पहुंचा। शव पहुंचने से पहले ही मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। शव एम्बुलेंस से नई आबादी स्थित मृतक के निवास स्थान पर पहुंचा। बेटे का शव देखकर परिजनों का विलाप फूट पड़ा।

दामाद की मृत्यु से गहरे सदमे में ​है पूरा परिवार

इसके कुछ देर बाद शवयात्रा निकली। शवयात्रा में कई समाजों के लोग शामिल हुए। शव यात्रा सुरपुर मोक्ष धाम पहुंचीं। यहां पर गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार हुआ। मृतक निपुण नगर कांग्रेस अध्यक्ष लक्ष्मीलाल जैन के दामाद थे। कम उम्र में ही दामाद की मृत्यु से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।

सेवा प्रकल्पों से जुड़ा था डूंगरपुर का बेटा

निपुण की शवयात्रा में कनाड़ा के मित्र भी शामिल हुए। इनमें गुजरात के मन व मध्यप्रदेश के विकास ने बताया कि निपुण कनाड़ा में विभिन्न सेवा प्रकल्पों से जुड़ा हुआ था। साथ ही वह कई संगठनों में जुड़ कर सक्रिय योगदान दे रहा था। उसके निधन से कनाड़ा में निवासरत भारतीयों को गहरी ठेस लगी है।