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राजस्थान के इस गांव के दीवाने हुए विदेशी, सीख रहे ऑर्गेनिक खेती के गुर

Rajasthan News : राजस्थान के गांवों के दीवाने हुए विदेशी। डूंगरपुर जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत क्षेत्र के चुंडियावाड़ा गांव में विदेशी ऑर्गेनिक खेती के गुर सीख रहे हैं। अब तक करीब 30 देशों के 250 से अधिक शोधार्थियों ने जैविक खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की है।

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Rajasthan Villages Foreigners are Crazy Learning Tricks of Organic Farming

Rajasthan News : डूंगरपुर में गांवों की जिंदगी, खानपान और परंपराओं को जानने के लिए विदेशी वागड़ में आ रहे हैं। डूंगरपुर जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत क्षेत्र के चुंडियावाड़ा गांव में इन दिनों इजराइल, इटली व जर्मनी से विदेशी पावणे आए हुए हैं। जर्मनी के फ्रैंक जूंक जर्मनी से जापान तक साइकिल यात्रा पर है, जो पिछले चार माह से गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के फॉर्म हाउस पर रूके हैं। चुंडियावाडा गांव में वर्ष 2006 से विदेशी शोधार्थी आ रहे हैं। करीब 30 देशों के 250 से अधिक शोधार्थियों ने जैविक खेती के गुर सीखे हैं।

संस्कृति को समझने के लिए यात्रा पर

जर्मनी के ड्रेसडेम से फ्रैंक जूंक आर्मी में कार मैकेनिक का काम करते थे। वे 25 वर्ष पहले कार दुर्घटना के बाद कोमा में चले गए। रिकवर हुए तो वर्ष 2020 से जर्मनी से जापान तक साइकिल यात्रा पर निकले। इस यात्रा का मकसद विभिन्न राज्यों की संस्कृति, साहित्यिक को समझना है। सोमवार को वे हिरोशिमा के लिए निकलेंगे जहां पर 6 अगस्त 25 को पहुंचने का लक्ष्य है। गांव में रहते हुए उन्होंने ग्रामीण संस्कृति, जैविक खेती सहित अन्य जानकारियां प्राप्त की। फ्रैंक ने कहा कि गांव की संस्कृति अपने आप में अलग है। यहां का रहन-सहन, पोशाक यूनिक है, जो मुझे बहुत अच्छी लगी।

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मवेशियों को चारा पानी, खेती को जाना

शोधार्थी इजराइल से डेकल और नोम बीस दिन से रुके हुए हैं। पिछले दिनों इटली से जोर्जीया, केयारा, लिंडा, आयरलैंड से ईवा ने भी दीपावली पर्व यहीं पर मनाया और साथ ही वैवाहिक, धार्मिक आयोजनों में उपस्थिति देकर यहां के रीति-रिवाज को नजदीकी से जाना। शोधार्थियों ने फार्म हाउस पर परकोटा निर्माण, घास कटाई, प्याज खेती, गेहूं की सफाई, मवेशियों को चारा-पानी आदि कार्यों की जानकारी ली एवं इस कार्य में मदद भी की।

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तैयार कर रहे जैविक खेती का माहौल

उल्लेखनीय है कि फॉर्म हाउस मालिक ईश्वरसिंह वर्ष 2004 तक बड़े शहरों में नौकरी करते थे। जहां सालाना पैकेज छह लाख था, लेकिन गांव में ही कुछ करने के जज्बे के कारण यहां फार्महाउस तैयार कर जैविक खेती शुरू की। वे आस-पास गांवों में भी जैविक खेती को लेकर माहौल तैयार कर रहे हैं।

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