पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा – यह भद्दा मजाक है
अरुण जेटली ने कहा, “मुझे नहीं लगता की किसी भी सेवा को उन लोगों द्वारा प्रदान किया जा रहा है जो सीएसआे जैसे अत्यधिक विश्वसनीय संस्था को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।” इसके पहले बुधवार को यूपीए कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने कहा था कि जीडीपी डेटा को रिवाइज करना महज एक मजाक है। चिदंबरम ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट पर लिखा, “नीति अायोग ने जीडीपी आंकड़ों को रिवाइज किया है। यह बहुत खराब मजाक है। वास्तव में यह बहुत बुरे मजाक से भी अधिक खराब है।”
लोकसभा चुनाव से कुछ माह पहले ही रिवाइज किया गया जीडीपी डेटा
जेटली ने कहा कि जब सीएसआे ने 2012-13 व 2013-14 के दौरान वृद्धि दर को रिवाइज किया था तब सरकार ने इसका स्वागत किया था। उस दौरान ग्रोथ में बढ़ोतरी हुआ था। इस बार भी वृद्धि दर को रिवाइज करने के लिए उन्हीं मापदंडो का प्रयोग किया गया आैर इस बार वृद्धि दर में कमी आर्इ है। गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले ही कांग्रेस की अगुवार्इ वाली यूपीए की पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान आर्थिक वृद्धि दर को रिवाइज करते हुए कम किया गया है। बता दें कि वृद्धि दर में 1 फीसदी तक की गिरावट की गर्इ जो कि वैश्विकरण के बाद पहली बार जीडीपी अांकड़े दहार्इ में थे।
चिदंबरम ने नीति आयोग ने उठाए सवाल
वित्त वर्ष 2004-05 की जगह वित्त वर्ष 2011-12 के आधार पर सीएसआे ने जीडीपी आंकड़ों को रिवाइज किया है। सीएसअो ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2010-11 में जीडीपी 10.3 फीसदी की तुलना में 8.5 फीसदी रहा था। साथ ही साल 2005-06 में 7.9 फीसदी व 2006-07 में 8.1 फीसदी की जीडीपी को रिवाइज कर क्रमशः 7.7 फीसदी व 9.8 फीसदी किया गया है। चिदंबरम ने कहा है कि जीडीपी आंकड़ों को रिवाइज करना खुद की पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। चिदंबरम ने यहां तक कह दिया कि नीति आयोग ने जिस प्रकार अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारा है उससे यह लगता है कि इस तरह बेकार हो चुकी संस्था को बंद कर देना चाहिए। पहले के आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी अायोग ने जारी किया था। क्या आयोग को भंग कर दिया गया है?