क्या है डेटा स्थानीयकरण?
डेटा स्थानीयकरण का मतलब है कि देश के लोगों के लेनदेन से संबंधित से सभी डेटा को भारत में ही स्टोर, प्रोसेस किया जाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ट्रांसफर करने से पहले नीजि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनुमति लिया जाए। साथ ही इसके लिए डेटा सुरक्षा नियमाें का पालन भी किया जाए। भारत की कंपनियों ने आरबीआर्इ के इस नियम का स्वागत किया है लेकिन मास्टरकार्ड व वीजा जैसी कर्इ बड़ी विदेशी कंपनियों के लिए पेरशानी खड़ी हो गर्इ है। इन विदेशी कंपनियों के लिए लोकल सर्वर बनाने पर अधिक खर्च करना पड़ेगा।
वैश्विक कंपनियों की क्या है मांग?
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इन वैश्विक कंपनियों ने हाल ही में रिजर्व बैंक के साथ एक बैठक किया था। इन कंपनियों ने केंद्रीय बैंक को प्रस्ताव दिया था कि वो भारत में आेरिजनल डेटा की एक काॅपी स्टोर करें लेकिन आरबीअार्इ ने इस प्रस्ताव का स्वीकार नहीं किया।
क्या है आरबीआर्इ का नियम?
भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल में भुगतान सेवा ऑपरेटरों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इन सिस्टम प्रदाताओं के साथ-साथ भुगतान सेवा पारिस्थितिक तंत्र में उनके सेवा प्रदाताओं / मध्यस्थों / थर्ड पार्टी विक्रेताओं और अन्य संस्थाओं के साथ संग्रहीत डेटा तक अनजान पर्यवेक्षी पहुंच होना महत्वपूर्ण है। सभी सिस्टम प्रोवाइडर्स को इस बात क ध्यान रखना होगा कि वो भारत में होने वाले सभी पेमेंट से जुड़ी सभी जानकारियों को भारत में ही स्टोर किया जाए। अारबीआर्इ ने इसको लेकर कहा है कि इस डेटा में लोगाें के लेनदेन से जुड़े सभी जानकारियों को भारत में ही स्टोर किया जाएगा। इसके लिए आरबीआर्इ ने इन कंपनियों को छह महीने की माेहलत दिया था ताकि ये कंपनियां भारत में इसके लिए तकनीकी व्यवस्थाआें को पूरी कर लें।
एटीएम कार्ड व क्रेडिट कार्ड धारकों पर क्या होगा असर?
यदि किसी के पास मास्टरकार्ड, वीजा कार्ड आैर अमेरिकन एक्सप्रेस की एटीएम या क्रेडिट कार्ड हैं तो इन लोगों के लिए परेशानियां खड़ी हो सकती है। इसके साथ ही पेमेंट सर्विस जैसे फेसबुक, पेपल, अमेजन आैर माइक्रोसाॅफ्ट जैसी कंपनियों के लिए मुश्किल हो सकती है।