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‘मैं बहुत रोती थी, जब मुझे रिजेक्ट कर दिया…’ मैथिली ठाकुर ने गरीबी और तानों को पार कर बनी सबसे युवा विधायक

Maithili Thakur: मैथिली ठाकुर की कहानी गरीबी और समाज की तानों को पार करते हुए अपनी मेहनत और संघर्ष से सफलता की ऊंचाइयां हासिल कीं और उन्होंने बताया कि जब उन्हें रिजेक्ट किया जाता था, तो वे…

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'मैं बहुत रोती थी, जब मुझे रिजेक्ट कर दिया...' मैथिली ठाकुर ने गरीबी और तानों को पार कर बनी सबसे युवा विधायक

मैथिली ठाकुर (सोर्स: X @venom1s)

Maithili Thakur: बिहार की फेमस लोक गायिका मैथिली ठाकुर इन दिनों राजनीतिक गलियारों में अपनी खास पहचान बना रही हैं। सिर्फ 25 साल की उम्र में मैथिली ठाकुर ने अलीनगर विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की है। साथ ही, बिहार विधानसभा में सबसे कम उम्र की विधायक बनने का गौरव भी प्राप्त किया है।

उनके करियर की बात करें तो हर कोई जानता है कि राजनीति में आने से पहले ही वो काफी फेमस थीं, लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने और उनके परिवारवालों ने कई चुनौतियों, रिजेक्शन्स और दर्दनाक अनुभवों को बर्दाश्त किया है।

मैथिली ठाकुर ने गरीबी और तानों को पार कर बनी सबसे युवा विधायक

दरअसल, मैथिली ठाकुर का संगीत के प्रति जुनून बचपन से ही था, लेकिन रियलिटी शोज में उन्हें कई बार रिजेक्शन मिली। बता दें, इससे पहले मैथिली ठाकुर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 'सिंगिंग रियलिटी शोज में उन्हें कई बार रिजेक्शन्स झेलनी पड़ी है। उन्होंने सबसे पहले 'सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स' प्रयास किया था, जहां उन्हें शास्त्रीय संगीत की तरफ ज्यादा झुकाव होने के कारण रिजेक्ट कर दिया गया था।' मैथिली ने इसके आगे बताया, 'रिजेक्शन्स मिलने के बाद मैंने खुद से प्रॉमिस किया और कहा अब मैं बॉलीवुड के गाने भी गाऊंगी।' लेकिन 2015 में 'इंडियन आइडल' के ऑडिशन में भी उन्हें अपने पिता के शास्त्रीय संगीत पर बने रहने के प्रोत्साहन के वजह से एक बार फिर रिजेक्शन झेलनी पड़ी।

मैथिली ठाकुर ने अपने इमोशन को शेयर करते हुए ये भी बताया, "कभी-कभी तो मुझे वे बताते ही नहीं, थे कि मुझे क्यों रिजेक्ट किया गया है। मुझे बहुत बुरा लगता था। इन लगातार असफलताओं ने मुझे इतना अपसेट कर दिया था कि मैंने संगीत छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने तक का मन बना लिया था, क्योंकि मैं पढ़ाई में भी अच्छी थीं।"

मैथिली का संघर्ष सिर्फ मंच तक ही नहीं

इतना ही नहीं, मैथिली का संघर्ष सिर्फ मंच तक ही नहीं था, बल्कि स्कूल में भी उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मैथिली के टैलेंट के दम पर उन्हें प्राइवेट स्कूल में मुफ्त दाखिला मिल गया था, लेकिन अमीर क्लासमेट के बीच वे खुद को अलग-थलग महसूस करती थीं। उन्होंने बताया, 'मुझे अपनी उम्र की लड़कियों से काफी डर लगता था। मैं उनके कमेंट्स से डरती थी। वो हमेशा 'बेवकूफ बिहारी' कहकर मेरा मजाक उड़ाती थीं।'

मैथिली ठाकुर ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक पुराने इंटरव्यू में बताया था, 'मां ने उनके शुरुआती सालों के संघर्षों का खुलासा कर बताया था। परिवार को एक दशक में 17 बार घर बदलना पड़ा। इसका मेन रीजन था मैथिली और उनके भाइयों का संगीत रियाज, जिससे पड़ोसी हमेंशा शिकायत करते थे। साथ ही, मां ने ये भी बताया, "बच्चे कभी शरारती नहीं थे और ना ही किसी को परेशान करते थे, लेकिन हम घर बदलते रहे ताकि वो शांति से रियाज कर सकें।" उस समय वो सिर्फ एक कमरे वाले घरों में ही रहते थे, जो हमेंशा किसी और के घर से जुड़े होते थे। हालांकि, संघर्ष के बाद 2017 में परिवार ने दिल्ली के द्वारका में एक घर खरीदा और 2020 में एक बड़े अपार्टमेंट में रहने लगे, जो खासतौर पर साउंडप्रूफ था।

ये सफर काफी प्रेरणादायक रहा

मैथिली ठाकुर का ये सफर काफी प्रेरणादायक रहा है। 'बेवकूफ बिहारी' कहे जाने से लेकर रिजेक्ट होने तक, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज वो ना केवल एक फेमस लोक गायिका हैं, बल्कि वो अब विधायक बन गई है। उनकी कहानी ये बताती है कि कड़ी मेहनत, लगन और अटूट आत्मविश्वास से हर बाधा को पार कर सफलता हासिल किया जा सकता है।