
राजस्थान पत्रिका से सिंगर सोना मोहपात्रा ने की बात। (पत्रिका फोटो)
Sona Mohapatra Interview: अपने म्यूजिक और सशक्त बयानों के लिए जानी-पहचानी सिंगर, म्यूजिक कंपोजर और राइटर सोना मोहपात्रा ने जयपुर में ‘नन्हे कलाकार फेस्टिवल 2025’ द्वारा आयोजित एक फंडरेज़िंग कॉन्सर्ट में परफॉर्म किया। इस अवसर पर उन्होंने अभ्युत्थानम वेलफेयर सोसाइटी का ऑनलाइन फंडरेजिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया और कुछ विशेष रूप से सक्षम बच्चों के साथ समय भी बिताया।
सोना ने राजस्थान पत्रिका के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यूमें कई विषयों पर बेबाक जवाब दिए।
संगीत भावनाओं का नाम है और ये भावनाएं सिर्फ प्रमोटेड गानों से ही नहीं आतीं। हमारी एक गलतफहमी है कि जिन गानों को हमने रेडियो, प्रमोशन और हर जगह बार-बार सुना है, वही हमें सुकून या प्यार का एहसास देते हैं। मेरा मानना है कि बहुत से ऐसे गाने होते हैं, जिन्हें पहली बार महसूस किया जाना चाहिए। और ऐसे गानों को लोगों तक पहुंचाने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि वे प्रमोटेड नहीं होते। 'मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं कि मेरे पास फिल्मी हिट्स भी हैं। मैंने ‘रंगोबाटी’, ‘पिया से नैना’ जैसे गाने कोक स्टूडियो में गाए हैं, ‘मुझे क्या बेचेगा रुपैया’, ‘बेखौफ आजाद’ जैसे गाने ‘सत्यमेव जयते’ में किए हैं और मेरे अपने एल्बम्स भी हैं। हर तरह के संगीत के अपने प्रशंसक होते हैं।'
मेरी जिम्मेदारी है कि जब मैं गानों को मंच पर प्रस्तुत करूं, तो वे रिकॉर्डेड वर्जन से अलग और बेहतर सुनाई दें। इसके लिए साउंड, बारीकियों, बैकग्राउंड और हर लेयर पर ध्यान देना पड़ता है। हाल ही में हमने बहरीन में एक शो किया था, जहां तकनीकी खराबी आ गई। उससे हमने बहुत कुछ सीखा, लेकिन डर भी लगा। अब लगातार दो बड़े शो हैं, जयपुर और फिर मुंबई। इसलिए हम हर दिन यही सोचते हैं कि और बेहतर कैसे किया जाए। मेरे हिसाब से बेहतर होना एक रोज की प्रक्रिया है।
एक शो सिर्फ गाने और वादन तक सीमित नहीं होता। आज के समय में शोमैनशिप सिर्फ व्यक्तिगत हुनर से नहीं आती, इसके पीछे पूरी एक टीम होती है और मैं उस टीम की लीडर हूं। जब मैं अपनी टीम की तारीफ करती हूं, तो यह प्यार और सम्मान दिखाने का तरीका होता है। उनकी भूमिका भी उतनी ही अहम है और वे भी आगे बढ़ने के हकदार हैं। मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरा शो या मेरा ब्रांड सिर्फ फिल्मी गाने गाने तक सीमित नहीं है। इसी वजह से मैंने अपनी मेहनत दोगुनी कर दी है, अपने ओरिजिनल गाने रिलीज करना और उन्हें इस तरह पेश करना कि वे केवल प्रमोशन तक सीमित न रहें, बल्कि लोग शो में आकर एक अनुभव लें।
जब अरिजीत सिंह जैसे कलाकार स्टेडियम भरते हैं और कोई संगीतकार उस स्तर तक पहुंचता है, तब एहसास होता है कि भारत ने हमेशा संगीत को महत्व दिया है। आज इंडिपेंडेंट म्यूजिक के लिए भी जगह बन रही है। लोग टिकट खरीदकर शोज में आ रहे हैं। इसलिए मैं मानती हूं कि अच्छा समय आ रहा है और हर रंग के संगीत के लिए जगह है। मैंने कभी किसी को छोटा या बड़ा नहीं माना। फिल्म, संगीत, खेल, हर क्षेत्र की अपनी अहमियत है। यह देश बहुत बड़ा है और सबके लिए जगह होनी चाहिए।
भारत में अक्सर ऐसा होता है कि जो सामने दिखता है, वही सारा श्रेय ले जाता है। फिल्मों में ज्यादातर पैसा और क्रेडिट अभिनेताओं को मिल जाता है। अगर हम लेखकों, संगीतकारों और पर्दे के पीछे काम करने वालों को सम्मान और उचित भुगतान नहीं देंगे, तो कंटेंट कमजोर होगा। संगीतकार महीनों मेहनत करते हैं, लेखक सालों लगाते हैं, तब जाकर अच्छा कंटेंट बनता है। अगर हम उन्हें सेलिब्रेट नहीं करेंगे, तो गुणवत्ता गिर जाएगी। हमारे देश में एक सेलिब्रिटी संस्कृति है, जहां गाने का श्रेय भी अभिनेता को दे दिया जाता है, जबकि गाना किसने लिखा, संगीत किसने बनाया और गाया, यह सब पीछे रह जाता है।
लोग सोचते हैं कि मैं सोशल मीडिया पर बहुत विवादित हूं, क्योंकि मैं कई मुद्दों पर खुलकर बोलती हूं। लेकिन मैं भारत से प्यार करती हूं, अपनी टीम से प्यार करती हूं। मेरा देश मेरे परिवार जैसा है। जब मैं किसी मुद्दे पर बात करती हूं, तो दिल से करती हूं। कभी-कभी मैं गलत भी हो सकती हूं, लेकिन बातचीत और बहस जरूरी है, क्योंकि बदलाव सोच और संवाद से ही आता है। मैं सिर्फ मनोरंजन करने वाली कलाकार नहीं बनना चाहती। मैं चाहती हूं कि मेरे काम से कुछ सकारात्मक असर पड़े। मेरी आवाज सिर्फ मेरे गानों तक सीमित न रहे, बल्कि मेरे विचारों में भी दिखे।
Me Too आंदोलन के दौरान मुझे रातों-रात काम से हटा दिया गया। गलत करने वाले लोग बने रहे और सजा मुझे मिली। लेकिन इससे कई सकारात्मक बदलाव भी आए। आज कई जगहों पर शिकायत की व्यवस्था बनी है, जो पहले नहीं थी। यह बदलाव तभी आता है, जब लोग बोलते हैं। शुरुआत में मुझे नुकसान हुआ, लंबे समय तक काम नहीं मिला, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैं खुद को उस मुश्किल दौर से बाहर निकाल लाई। मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने उस वक्त मेरा साथ दिया।
हां, मैं वही स्टैंड फिर लूंगी। हमारा काम अदालत बनना नहीं, बल्कि सिस्टम बदलना है, चाहे वह मनोरंजन जगत हो या कोई और कार्यस्थल ताकि लड़कियां सुरक्षित महसूस करें। अगर कुछ लोग सजा से बच भी गए, तो क्या हुआ, हजारों लड़कियों को आवाज मिली। भंवरी देवी के मामले से विशाखा गाइडलाइंस बनीं और देश में कार्यस्थलों की सोच बदली। यही सबसे बड़ी जीत है। समाज में हर किसी के लिए जगह है। हमें अपनी जगह खुद बनानी होती है और एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
‘नन्हे कलाकार फेस्टिवल’ की टीम ने बच्चों के लिए यह मंच तैयार किया है। किसी भी धर्म की सबसे बड़ी सीख यही है कि अच्छा और दयालु इंसान बना जाए। जो धर्म हिंसा सिखाए, वह धर्म नहीं होता। हर कोई ‘मेरी क्रिसमस’ कह सकता है। हर दिन खुशियों से भरा होना चाहिए। मुझे राजस्थान बहुत पसंद है। यहां के लोग, ठंड, ह्यूमर, वास्तुकला और रंग - सब कुछ अनोखा है।
Updated on:
26 Dec 2025 06:07 pm
Published on:
26 Dec 2025 06:03 pm
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