
भारतीय सेना के पूर्व सैनिक के भाइयों की हत्या, न्याय के लिए 25 दिन से धरने पर
एटा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनता को त्वरित न्याय दिलाने के लिए कटिबद्ध हैं। लेकिन वातानुकूलित कार्यालयों में बैठे अधिकारी जनता की सुनवाई के प्रति तनिक भी जवाबदेह प्रतीत नहीं होते हैं। इसकी बानगी एक बार फिर एटा में देखने को मिली। जिलाधिकारी और एसएसपी कार्यालय के बराबर पिछले 25 दिन से एक पूर्व सैनिक अपने दो भाइयों के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए पूरे परिवार के साथ धरने पर बैठा है। भ्रष्ट सिस्टम से अंत तक हार न मानने वाला ये परिवार न्याय की खातिर जिंदगी की अफसरशाही से जद्दोजहद कर रहा है।
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सन 2016 में की गई थी दोनों भाइयों की हत्या
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार में लिप्त और जनता की सुनवाई की अनदेखी किए जाने पर हंटर चला रहे है। सरकारी मशीनरी को सख्त हिदायत दे रखी है कि जिले की समस्याएं लखनऊ तक न पहुंचे। बावजूद इसके जनपद एटा में पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी उनके आदेशों की किस तरह धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसकी बानगी एक बार फिर एटा में सामने आई है। प्रचंड गर्मी और खुले आसमान के नीचे पीड़ित परिवार ने कलक्ट्रेट स्थित धरनास्थल को ही पिछले 25 दिनों से अपना आशियाना बना रखा है। दरअसल ये मामला तीन साल पुराना है। थाना निधौलीकलां के चित्तपुर गांव में पूर्व सैनिक महेश चन्द्र के छोटे भाई दिनेश की 2016 में गांव के ही आरोपी सुभाष, मुकेश, चरन सिंह समेत आधा दर्जन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसमें रमेश भी घायल हुआ था। रमेश अपने मृतक भाई की हत्या में गवाह भी था। मामले में समझौता न करने पर दबंग हत्यारोपियों ने 26 अगस्त 2016 को सरेआम रमेश की भी हत्या कर दी थी। घटना के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी चरन सिंह समेत हत्या में शामित 5 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था और मुख्य आरोपी चरन सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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गृह सचिव से भी मिल चुका है
अपने दो भाइयों की हत्या के बाद एक परिवार पर मानों विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा हो। आलम ये है कि हत्यारोपी दबंग पुलिस की मिलीभगत से खुलेआम घूम रहे हैं। पीड़ित परिवार को लगातार जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। अपना सब कुछ दांव पर लगा देने और कभी न हार मानने का जज्बा लिए पूर्व सैनिक महेश चन्द्र, मृतक रमेश की विधवा पत्नी उर्मिला देवी और उनके बच्चे पिछले 23 दिनों से धरना स्थल पर बैठे हैं। जनपद के पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों में कितना संजीदा हैं, ये इसी से साफ हो जाता है कि जब पीड़ित परिवार ने 3 जून 2018 को लखनऊ के ईको गार्डन में एक सप्ताह तक धरने पर बैठा था, तब गृह सचिव ने मौके पर पहुंचकर हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के आदेश स्थानीय पुलिस के आला अधिकारियों को दिये थे, उनके आदेशों को ताक पर रखकर पुलिस ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं। आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया।
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इंसाफ के लिए धरना
पोस्टमार्टम रिपोर्ट को भी धता बताते हुए मेडिको लीगल ऑफिसर की रिपोर्ट का हवाला देकर पूरे मामले में लीपापोती में लगे हैं। ऐसे में एक तरफ जहां फौजी और उनका परिवार दबंगों के खौफ के साये के चलते गांव छोड़ चुका है। पूरे परिवार के बचे एक मात्र मुखिया पूर्व सैनिक महेश चन्द्र ने न्याय न मिलने तक धरना स्थल पर ही बैठने का ऐलान किया है। बीते तीन सालों से न्याय की लड़ाई लड़ रहे है। उन्होंने अभी भी हार नहीं मानी है। मुख्यमंत्री से न्याय की आस लगाये है। बड़ी बात ये है कि न्याय के लिए अपनी बेबसी और अपने दो भाइयों की हत्या के बाद टूट चुके परिवार को ढांढस और इंसाफ दिलाने के बजाय महेश चन्द्र को धरनास्थल पर बैठकर न्याय पाने की इंतजार करना पड़ रहा है।
Published on:
09 Jul 2019 08:55 pm
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