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Anupam Dubey and Balkishan sentenced to life imprisonment फर्रुखाबाद में हिस्ट्रीशीटर माफिया अनुपम दुबे और बालकृष्ण उर्फ शिशु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही एक लाख रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है। मामला 1995 से जुड़ा है। जब पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार की अनुपम दुबे और उसके गुर्गों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अनुपम दुबे को मथुरा जेल से फतेहगढ़ लाया गया। इस मौके पर फतेहगढ़ कचहरी परिसर को छावनी में बदल दिया गया था।
उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ जिला एवं सत्र न्यायालय ने हिस्ट्री सीटर भू माफिया और आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अनुपम दुबे को अदालत में एक और आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा 1995 में फतेहगढ़ के मोहल्ला बजरिया में पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम की हत्या का दोषी पाए जाने के बाद सुनाई गई है।
इस संबंध में शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि दोनों को आईपीसी की धारा 302 और 149 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जिनके खिलाफ पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम के भाई रसीम ने मुकदमा दर्ज कराया था। 26 जुलाई 1995 को मृतक शमीम, इदरीश और सरफराज के साथ अपने बिजनेस पार्टनर से मिलने के लिए आया था। बजरिया मोड़ के पास अनुपम दुबे, शिशु उर्फ बालकिशन, राजेन्द्र उर्फ लंगड़ा, कौशल किशोर, लक्ष्मी नारायण ने बंदूक और तमंचे से गोली मारकर हत्या कर दी। इस मामले में अदालत में अनुपम दुबे और बालकिशन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जबकि राजेंद्र उर्फ लंगड़ा का केस पहले ही डिसाइड हो चुका है। दो अन्य की मौत हो चुकी है।
अनुपम दुबे को मथुरा जेल से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच फतेहगढ़ अदालत लाया गया। यहां पर भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। अदालत परिसर में क्षेत्राधिकारी सहित भारी संख्या में पुलिस बल तैनात थी। अदालत का निर्णय आने के बाद अनुपम दुबे को एक बार फिर कड़ी सुरक्षा के बीच मथुरा जेल ले जाया गया।
Updated on:
27 Aug 2025 08:38 pm
Published on:
27 Aug 2025 08:33 pm
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