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अनुपम दुबे सहित दो को आजीवन कारावास की सजा, पांच के खिलाफ दर्ज था मुकदमा, दो की हुई मौत

Anupam Dubey and Balkishan sentenced to life imprisonment फर्रुखाबाद की अदालत ने हिस्ट्री सीटर माफिया अनुपम दुबे सहित दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। घटना 1995 से जुड़ी है। जब अनुपम दुबे सहित पांच के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें दो की मौत हो चुकी है।

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अनुपम दुबे को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाया गया (फोटो सोर्स- 'X' फर्रुखाबाद वीडियो ग्रैब)

फोटो सोर्स- 'X' फर्रुखाबाद वीडियो ग्रैब)

Anupam Dubey and Balkishan sentenced to life imprisonment फर्रुखाबाद में हिस्ट्रीशीटर माफिया अनुपम दुबे और बालकृष्ण उर्फ शिशु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही एक लाख रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है। मामला 1995 से जुड़ा है। जब पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार की अनुपम दुबे और उसके गुर्गों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अनुपम दुबे को मथुरा जेल से फतेहगढ़ लाया गया। इस मौके पर फतेहगढ़ कचहरी परिसर को छावनी में बदल दिया गया था।

26 जुलाई 1995 को हुई थी हत्या

उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ जिला एवं सत्र न्यायालय ने हिस्ट्री सीटर भू माफिया और आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अनुपम दुबे को अदालत में एक और आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा 1995 में फतेहगढ़ के मोहल्ला बजरिया में पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम की हत्या का दोषी पाए जाने के बाद सुनाई गई है।

क्या कहते हैं शासकीय अधिवक्ता?

इस संबंध में शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि दोनों को आईपीसी की धारा 302 और 149 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जिनके खिलाफ पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम के भाई रसीम ने मुकदमा दर्ज कराया था। 26 जुलाई 1995 को मृतक शमीम, इदरीश और सरफराज के साथ अपने बिजनेस पार्टनर से मिलने के लिए आया था। बजरिया मोड़ के पास अनुपम दुबे, शिशु उर्फ बालकिशन, राजेन्द्र उर्फ लंगड़ा, कौशल किशोर, लक्ष्मी नारायण ने बंदूक और तमंचे से गोली मारकर हत्या कर दी। इस मामले में अदालत में अनुपम दुबे और बालकिशन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जबकि राजेंद्र उर्फ लंगड़ा का केस पहले ही डिसाइड हो चुका है। दो अन्य की मौत हो चुकी है। ‌

मथुरा जेल में निरुद्ध अनुपम दुबे

अनुपम दुबे को मथुरा जेल से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच फतेहगढ़ अदालत लाया गया। यहां पर भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। अदालत परिसर में क्षेत्राधिकारी सहित भारी संख्या में पुलिस बल तैनात थी। अदालत का निर्णय आने के बाद अनुपम दुबे को एक बार फिर कड़ी सुरक्षा के बीच मथुरा जेल ले जाया गया।