
Holashtak 2023: होलाष्टक यानी होली के पहले के आठ दिन। हिन्दु धर्म में इन आठ दिनों की अवधि को विशेष महत्व दिया गया है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक होलाष्टक की शुरुआत में शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। वहीं यह भी माना जाता है कि इस अवधि के दौरान अलग-अलग ग्रह अपने उग्र रूप में होते हैं। इसीलिए इन दिनों कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य वर्जित माना गया है। इस साल होलाष्टक की शुरुआत 27 फरवरी 2023 सोमवार से हुई है। वहीं इस बार होलाष्टक की अवधि नौ दिन रहेगी। प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं. प्रदीप पांडे के मुताबिक इन दिनों में कुछ राशियां को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें होलाष्टक का महत्व, वर्जित कार्य तथा इस अवधि में किन-किन राशियों को रहना होगा सावधान...
होलाष्टक होते क्या हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करता है, तो उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं व्यक्ति के जीवन में कलह, बीमारी और अकाल मृत्यु का साया भी मंडराने लगता है। इसलिए होलाष्टक के समय को शुभ नहीं माना जाता।
होलाष्टक का महत्व
यह नौ दिनों की अवधि जिसे होलाष्टक कहते हैं, उसे भक्तिकी शक्ति का प्रतीक माना गया है। माना जाता है कि इस समय यदि कोई तप किया जाए, तो बहुत शुभ माना गया है। होलाष्टक पर पेड़ की एक शाखा काटकर उसे जमीन में लगाने की परम्परा है। उसके बाद इस शाखा पर रंग-बिरंगे कपड़े बांधे जाते हैं। मान्यता है कि इसे ही प्रह्लाद का स्वरूप माना जाता है।
इन राशियों को रहना होगा सतर्क
- मिथुन राशि के लोगों को तनाव घेरेगा, अनबन के संकेत
होलाष्टक की इस अवधि में मिथुन राशि के लोगों को बहुत सतर्क रहना होगा। इन लोगों को इस अवधि में बेवजह का तनाव घेर सकता है। लोगों के साथ वाद-विवाद या अनबन हो सकती है। कार्य स्थल पर या फिर बिजनेस कर रहे हैं, तो उसमें भी सतर्क रहना होगा। रिश्तों में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। खर्च बढ़ेंगेद्ध आय के साधन प्रभावित हो सकते हैं। किसी से भी रुपयों का लेन-देन करने से बचें।
कर्क राशि के लोगों को भूमि-भवन विवाद करेंगे परेशान
कर्क राशि के लोगों को होलाष्टक की इस अवधि में सावधान रहना चाहिए। इन्हें भूमि-भवन से जुड़े विवादों को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पैतृक संपत्ति को लेकर परेशानी हो सकती है। बने बनाएं काम बिगडऩे की आशंका है। इस अवधि में यदि आपको कोई भी बड़ा निर्णय लेना जरूरी है, तो निर्णय लेने से पहले अपने शुभ चिंतकों से सलाह-मशवरा जरूर कर लें। रोजगार की तलाश में हैं तो फिलहाल इंतजार ही करना होगा।
वृश्चिक राशि के लोगों को आर्थिक संकट
इस राशि के लोगों को होलाष्टक इस अवधि के दौरान खर्चों पर नियंत्रण करना ही सही रहेगा, अन्यथा आर्थिक स्थिति डगमगा सकती है। बेवजह की चीजों पर धन बिल्कुल भी खर्च न करें। जरूरी कार्यों में जल्दबाजी से बचना चाहिए। बहस या विवाद से बचें। किसी भी बड़े निवेश से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें। नए काम बिल्कुल न करें। गृह प्रवेश, भवन निर्माण की शुरुआत, मुंडन, हवन या महंगी वस्तुओं की खरीदारी इस दौरान करने से बचें।
मकर राशि के लोग रखें सेहत का ख्याल
होलाष्टक की नौ दिन की इस अवधि में मकर राशि के लोगों को भी सावधान रहना होगा। रिश्तों में तनाव आने की आशंका है। जरूरी कार्य बाधित हो सकते हैं। सेहत का ख्याल रखें। इस अवधि में अपने मन की बातें या कहें कि अपने सीक्रेट किसी से शेयर न करें। रुपए-पैसे के मामले में सतर्क रहें। इस अवधि में किसी से भी पैसा उधार लेने या देने से बचें।
कुंभ राशि के लोग न करें आलस, अभिमान से बचें
होलाष्टक के इन नौ दिनों में कुंभ राशि के लोगों को आलस से बचना चाहिए। वहीं अभिमान को जहां तक हो सके दूर रहने दें। किसी भी काम को टालेंगे तो नुकसान हो सकता है। अपने सभी कार्य समय पर पूरे करने के प्रयास करें। आलस या अभिमान आपके हाथ से अच्छे मौके छीन सकते हैं, इसलिए अलर्ट रहें। पार्टनरशिप का बिजनेस कर रहे लोगों को अपना कारोबार दूसरे के भरोसे नहीं छोडऩा है, ये गलतियां आपका फ्यूचर खराब कर सकती है।
होलाष्टक के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
1. होलाष्टक की इस अवधि में शादी, विवाह, भूमि पूजन, गृह प्रवेश या कोई नया बिजनेस शुरू करने की मनाही है।
2. शास्त्रों में होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
3. किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किया जाता है।
4. इसके अलावा नव विवाहिताओं को इन दिनों में मायके में ही रहने की सलाह दी जाती है।
किए जा सकते हैं ये कार्य
1. मान्यता है कि होलाष्टक की इस अवधि में दान जैसा शुभ कार्य किया जा सकता है। इससे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।
2. इस समय पूजा-पाठ भी किया जा सकता है।
होलाष्टक की कथा
होलाष्टक पर एक प्रचलित कथा है कि होलाष्टक के दिन ही भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। दरअसल कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी। इससे भोलेनाथ क्रोधित हुए और अपने तीसरे नेत्र से काम देवता को भस्म कर दिया था। हालांकि, कामदेव ने गलत इरादे से भगवान शिव की तपस्या भंग नहीं की थी। कामदेव की मृत्यु के बारे में पता चलते ही पूरा देवलोक शोक में डूब गया था। इसके बाद कामदेव की पत्नी देवी रति ने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की और अपने मृत पति को वापस लाने की मनोकामना मांगी, जिसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया था।
Published on:
27 Feb 2023 11:44 am
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