
Fed reserve interest rates: अमरीकी राट्रपति को झटका, ब्याज दरों में नहीं हुआ बदलाव
नई दिल्ली।अमरीकी राष्ट्रपतिडोनाल्ड ट्रंप ( American president Donald Trump ) की उम्मीदों के विपरीत बुधवार को फेडरल रिजर्व ( Federal reserve ) ने अपनी मीटिंग में ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला लिया है। वहीं, फेड रिजर्व इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि वो देश और दुनिया की इकोनॉमिक हालत पर निगाह बनाए हुए है। इसी को देखते हुए ब्याज दरों में कटौैती की जा सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा है कि आर्थिक जोखिम काफी बढ़ गया है और मुद्रास्फीति ( Inflation ) लक्ष्य से काफी नीचे है। ऐसे में जल्द ही इस पर फैसला लिया जा सकता है। फेड रिजर्व के इस फैसले के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर ट्रंप फेड पर ब्याज दरों को कम करने का क्यों दबाव बना रहे थे? दूसरा, आखिर ब्याज दरों को स्थिर रखने का ट्रंप को क्या नुकसान होगा? तीसरा और अहम सवाल कि ब्याज दरों में कटौती होती है तो इससे क्या फायदा मिलगेा?
अभी उम्मीद बाकी है
मीटिंग खत्म होने के बाद फेड रिजर्व के चेयरमेन जेरोम एच पॉवेल ( Jerome H Powell ) ने कहा कि व्यापार में जारी तनाव और वैश्विक आर्थिक विकास की गति के बीच फेड की नीति निर्धारण समिति के अधिकारियों की बढ़ती संख्या के कारण वर्ष के अंत से पहले ब्याज दरों के कम होने की उम्मीद है। पॉवेल ने कहा कि अमरीकी और ग्लोबल इकोनॉमी को और बारीकी से देखना काफी जरूरी था। उन्होंने कहा कि उभरते जोखिमों ने कमेटी को ब्याज दरों में कटौती करने के कई कारण दिए, लेकिन कमेटी के कई लोगों ने स्थिति मजबूत ना होने का हवाला देकर ऐसा करने से इनकार किया।
आखिर क्यो था ट्रंप का दबाव
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फेड रिजर्व पर इस बार ब्याज दरों में कटौती करने का काफी दबाव बना रहे थे। इसका कारण था कि उनके कार्यकाल का यह आखिरी साल है। ऐसे में देश की जनता को ब्याज दरों से राहत देने का प्लान उन्हें चुनाव के दौरान मिलता। इसलिए वो चाह रहे थे कि इस बार फेड रिजर्व 0.25 फीसदी की कटौती ब्याज दरों में करे। इसके लिए उन्होंने कुछ दिन पहले अमरीकी राष्ट्रपति ने चेयरमेन पॉवेल को हटाने की धमकी भी थी।
ब्याज दरों के स्थिर रहने से क्या नुकसान और फायदा
दूसरा सवाल यह भी है कि फेड रिजर्व के ब्याज दरों के स्थिर रहने के क्या फायदे और नुकसान होंगे? जानकारों के अनुसार जब भी किसी देश में ब्याज दरों को स्थिर रखा जाता है तो उस देश की महंगाई दर को भी उसी के अनुसार स्थिर रखा जाता है। फिर चाहे उस देश के आंकड़े आंकड़े कितने ही बेहतर क्यों ना हो। ऐसा ही कुछ अमरीका के साथ भी हुआ है। इस बार अमरीका की जीडीपी और इंप्लॉयमेंट दरों में काफी सुधार देखने को मिला था। जिसका फायदा फेड रिजर्व से अमरीका के राष्ट्रपति लेना चाहते थे।
ब्याज दरों के घटने से होता फायदा
अगर फेड रिजर्व की ओर से ब्याज दरें घटाई जाती तो देश के लोगों को सस्ती दरों में ब्याज मिलता। लोगों को बढ़ी हुई ब्याज दरों से राहत मिलती। वहीं इस बात का फायदा अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उठाने का प्रयास करते। क्योंकि अमरीका जैसे देशों में ब्याज दरों को आसानी से कम नहीं किया जाता हैए क्योंकि इसका सारा बोझ अमरीकी इकोनॉमी पर भी दिखाई देता है।
भारत ने घटाई थी दरें
जहां एक अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यकाल का यह आखिरी साल चल रहा है और फेड रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करने को आनाकानी कर रहा है। वहीं दूसरी ओर भारत में भारतीय रिजर्व बैंक पिछली तीन बार से ब्याज दरों में कटौती कर रहा है। भारत में नई सरकार के बनने के बाद भी रिजर्व बैंक की ओर 0.25 फीसदी की कटौती कर देश के लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया था। अब देखने वाली बात होगी कि फेड रिजर्व अमरीकी राष्ट्रपति की उम्मीदों पर आने वाले दिनों में कितना खरा उतरता है।
Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार, फाइनेंस, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट, म्युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.
Updated on:
20 Jun 2019 11:31 am
Published on:
20 Jun 2019 08:55 am
बड़ी खबरें
View Allफाइनेंस
कारोबार
ट्रेंडिंग
