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कार लोन पर जेब ढीली करने के लिए हो जाइए तैयार, RBI बढ़ाने जा रहा ब्याज

locationनई दिल्लीPublished: Sep 08, 2018 08:18:35 am

Submitted by:

Ashutosh Verma

कयास लगाया जा रहा है कि केंद्रीय बैंक अपनी इस बैठक में पाॅलिस दर को 50 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ा सकता है।

car and Home Loan

पेट्रोल-डीजल के बाद अब घर आैर कार लोन पर जेब ढीली करने के लिए हो जाइए तैयार, RBI बढ़ाने जा रहा ब्याज

नर्इ दिल्ली। एक तरफ लोग पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से परेशान हैं लेकिन अब लोगाें को महंगे EMI के लिए भी पहले से अधिक जेब ढीली करनी होगी। दरअसल, आने वाले दिनों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) की मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक में है जिसको लेकर ये कयास लगाया जा रहा है कि केंद्रीय बैंक अपनी इस बैठक में पाॅलिस दर को 50 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ा सकता है। ध्यान देने वाली बात ये है कि रिजर्व बैंक ने पहले ही कर्इ बार में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वांइट तक की बढ़ोतरी कर चुका है।


रुपये की कमजाेरी ने बढ़ाया आरबीआर्इ का सिरदर्द
भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कर्इ उभरती अर्थव्यवस्थाआें ने कैपिटल आउटफ्लो को रोकने के लिए ब्याज दरों में इजाफा कर रही हैं। हालांकि, भारत अभी तक इसको लेकर सतर्क दिखार्इ दिया है लेकिन हाल ही में डाॅलर के मुकाबले रुपये में आर्इ कमजोरी से रिजर्व बैंक की चिंताएं बढ़ गर्इ हैं। इसी वजह से अार्थिक जानकारों को मानना है कि आरबीअार्इ ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। बताते चलें की डाॅलर के मुकाबले भारतीय रुपये ने गुरूवार को कारोबार के दौरान अब तक सबसे न्यूनतम स्तर 72.11 के स्तर तक पहुंच गया था। सबसे चिंताजनक बात तो ये है कि बीते दो सप्ताह में डाॅलर के मुकाबले 2 रुपये की कमजोरी देखने को मिली है।


अक्टूबर आैर दिसंबर में होने वाली है बैठक
01 अगस्त 2018 को हुर्इ आरबीआर्इ की मौद्रिक समीति बैठक के बाद 10 साल के लिए सरकारी बाॅन्ड की उपज 30 बेसिस प्वाइंट बढ़कर 8.04 फीसदी हो गर्इ है। इसके साथ ही रातोंरात ब्याज दर स्वैप जो कि निश्चित आदान प्रदान करने की लागत को दर्शाता है, लगभग तीन साल के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इस बात से ये आशंका जताया जा सकता है कि अक्टूबर आैर दिसंबर में होने वाली अपनी बैठकों में केंद्रीय बैंक ब्याज में बढ़ोतरी कर सकता है।


इन बातों को रखना ध्यान में रखना होगा
अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक ब्याज दरें भी बढ़ने लगी हैं। ईटी के एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 364 दिनों के ट्रेजरी बिल ने पिछले सप्ताह की तुलना में प्राथमिक बाजार में 20 बेसिस प्वाइंट अधिक के हिसाब से 7.52 फीसदी की कमाई की है। विश्लेषकों का मानना है कि रुपये में गिरावट से अर्थव्यवस्था में उच्च तरलता होगी आैर मुद्रास्फीति में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है। एेसे में मौद्रिक समीति इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही ब्याज दरों को लेकर फैसला लेगी।

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