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खनन में खोद रहे मुर्दे, मरने के बाद भी नसीब नहीं चैन की नींद और दो गज जमीन

locationगरियाबंदPublished: Feb 23, 2016 10:21:00 am

Submitted by:

Nidhi Mishra

पत्रिका अभियान : बचे गांवों की विरासत- बेशर्म खनन ऐसा कि बाहर निकल आते
हैं कंकाल, लोग कब्रिस्तान, श्मशान को तरसे, कहीं कोई सुनवाई नहीं

खनन में खोद डाले मुर्दे। सुनने में भले ही यह रोंगटे खड़े कर देने वाली बात हो, लेकिन खनन माफिया और खनिज विभाग की मिलीभगत ने एेसा खेल रचा कि मरने के बाद भी लोगों को दो गज जमीन नहीं मिल रही है और यह सब हो रहा है जोधपुर जिले के आसपास के गांवों में। बजरी माफिया गांवों के श्मशान और कब्रिस्तान को भी नहीं छोड़ रहा है।

mining in graveyard

लूणी नदी में बजरी माफिया की ओर से बजरी के अवैध खनन के नाम पर जिले में कई गांवों के श्मशान तक को रोंद डाला हैं। एेसे में अन्तिम संस्कार करने आने वालों को परेशानी हो रही है। लोलावास, मोरटूका, गोलिया गांव और मेघवालों की ढाणी सहित अन्य गांवों के पास गुजर रही लूणी नदी में एेसे हालात देखे जा सकते हैं। इन हलकों में लूणी नदी में बजरी खनन ने एेसा बिगाड़ा किया कि जब किसी का अपना कोई दुनिया से रुख्सत होता है, तो अन्तिम संस्कार के लिए भी समतल जगह खोजनी पड़ती है।

खनन या शैतानी खिलवाड़?
इन गांवों में दिनभर सिंगल रोड पर ट्रक, ट्रोले चल रहे हैं, चार लोग दुर्घटना में अपनी जान गंवा चुके हैं। बजरी ढोने वाले वाहन सिंगल सड़क से नीचे तक नहीं उतरते। जिला प्रशासन व खनिज विभाग की लापरवाही और बजरी माफिया की दबंगई से यह सब हो रहा है। लोलावास के पास एक समाज विशेष के शव गाड़े गए थे, खनन के दौरान मुर्दों की हड्डियां तक बाहर आ गईं।

नदी के दूसरे छोर पर श्मशान घाट था। गहराई तक खनन होने से शव यात्रा वहां ले जाना संभव नहीं हुआ, तो लोगों ने दूसरी जगह अंतिम संस्कार करना शुरू किया, लेकिन अब इस जगह भी खनन शुरू हो गया। अब गोलिया गांव जाने वाली सड़क किनारे शवों को जलाया जा रहा है। लूणी तहसील में लूणी नदी से बजरी खनन प्रतिबंधित है। शेष क्षेत्र में अधिकतम तीन मीटर तक बजरी खनन किया जा सकता है, लेकिन माफिया ने तीन से चालीस फीट तक बजरी खोद डाली।

बजरी माफिया की गुंडागर्दी राजस्थान पत्रिका संवाददाता जब इन गांवों के पास स्थित लूणी नदी में अवैध बजरी खनन का जायजा लेने पहुंचा, तो कदम-कदम पर दहशत का आलम था। जाते समय बजरी टोल नाके की फोटो लेकर आगे बढ़े ही थे कि एक गाड़ी आई जिसमें चार-पांच युवक बैठे थे। बोले, ‘क्या करने आए हो ? फोटो क्यों ले रहे हो? पता है ना हम किसके आदमी हैं।’

हमारे मालिक का नाम सुना है ना। फोटो कैसे किए? हमने कहा सड़क टूटी हुई इसकी फोटो की है। इसके बाद वो लोग वहां से निकल गए। गाड़ी में लोहे के सरिए और लाठियां रखी होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पर माफिया के खिलाफ आवाज उठाने वालों का क्या हश्र होता है। और तो और, उनकी गाड़ी भी बे-नंबरी थी।

अधिकारियों के गैर-जिम्मेदाराना बोल
इस बारे में जब अधीक्षण खनि अभियंता जेके गुरु बख्शाणी से बात की, तो उन्होंने कहा, जाखड़ से बात करो। वो जानकारी देंगे। जब खनि अभिंयता जेपी जाखड़ से बजरी के अवैध खनन के बारे में पूछा, तो बोले कुछ समय पहले ही वे जोधपुर आए हैं, इसलिए बख्शाणी से बात करो, वे सब बता देंगे। इससे सहज ही समझा जा सकता है कि विभागीय अभियंताओं का बजरी खनन माफिया के साथ कितना मजबूत गठजोड़ है।
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