
अवैध रेत खनन (Photo source- Patrika)
Illegal sand mining: गरियाबंद/कोपरा जिले में रेत तस्करी पर प्रशासन सख्ती के दावे कर रहा है। दूसरी ओर कोपरा में खुलेआम नदी का सीना चीरकर रेत निकाली जा रही है। लूट की यह खुली छूट खुद नगर विकास समिति ने दी है। दान की आड़ में 200 रुपए की फर्जी पर्ची कटाओ और ट्रैक्टर भरकर रेत ले जाओ। इस अवैध कारोबार पर समिति का तर्क है कि नगर विकास के लिए पैसे इकट्ठे करने ऐसा कर रहे हैं। जबकि, रेत घाटों को ठेके पर देना उनके अधिकार से बाहर है।
यह सीधे खनिज विभाग से जुड़ा मामला है। मिली जानकारी के मुताबिक, इस घपले को अंजाम देने के लिए नगर विकास समिति ने बैठक बुलाई थी। इसमें जिम्मेदारों का कहना था कि तस्कर जहां-तहां रेत की खुदाई कर रहे हैं। ऐसे में समिति ही उन्हें एक ऐसी जगह मुहैया करवा दे, जहां से निकलने वाली सारी रेत की जानकारी उन्हें रहे। इसके लिए रेत घाट को किसी ठेकेदार को देने पर मौखिक सहमति बनी।
सूत्र बताते हैं कि कोपरा के श्रीरामजानकी मंदिर में एक व्यक्ति को 1.50 लाख रुपए में एम साल के लिए घाट बेचा गया। बैठक में लिए फैसले के मुताबिक प्रत्येक ट्रैक्टर रेत पर 200 रुपए शुल्क भी तय किया गया। इस अवैध उगाही को लोगों की निगाह में सही दिखाने के लिए दान पत्र छापकर पैसे जुटाए गए। अवैध कारोबार को शह देने पर दावा किया गया कि नगर में धार्मिक-सामाजिक और सेवा के कामों को बढ़ावा देंगे।
वो बात और है कि इन कामों के लिए नगर, जनपद, जिला पंचायत से लेकर विधानसभा और सरकार के स्तर अलग-अलग मदों से राशि समय-समय पर मिलती ही रहती है। ऐसे में लोगों ने नगर पंचायत सीएमओ के साथ कृषि समिति अध्यक्ष पर आपराधिक मामला दर्ज करने के साथ, दान पत्र से हुई पूरी वसूली का ऑडिट, खनिज विभाग से रेत खनन को वैधानिक दायरे में लाने की मांग की।
Illegal sand mining: रेत के अवैध खनन और परिवहन को मंजूरी देने वाली पर्ची में न तो संस्था का नाम स्पष्ट है, न पंजीकरण संख्या बताई गई है। बैंक खाते की जानकारी और खनिज विभाग की मंजूरी का भी कोई जिक्र नहीं है। इस दान पर्ची के नाम पर रोज हजारों रुपए की अवैध उगाही हो रही है। पूरे मामले में नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल उठ रेहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि तकरीबन महीनेभर पहले रेत घाट को लेकर गांव में बकायदा मुनादी करवाई गई थी। इसमें लोकल लोगों से प्रति ट्रैक्टर 100 रुपए, जबकि बाहर की गाड़ियों से 200 रुपए शुल्क वसूलने की बात कही गई थी।
कोपरा की कृषि विकास समिति ने इस पूरे घोटाले के लिए नगर पंचायत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। समिति के अध्यक्ष जेठूराम ध्रुव ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रेत के अवैध खनन, परिवहन की आड़ में उगाही वाली दान पर्ची खुद नगर पंचायत के सीईओ ने छपवाई है। उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि रेत खनन का ठेका नगर पंचायत और कृषि समिति ने संयुक्त रूप से दिया था। रेत ठेके की एवज में ठेकेदार से एक साल के लिए 1.50 लाख रुपए लेने की बात भी स्वीकार की। खनिज विभाग की मंजूरी के बिना खुलेआम चल रहे इस घाट पर कोई कार्रवाई न होने से अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
Illegal sand mining: पितईबंद, चौबेबांधा जैसे बड़े घाट रेत के अवैध खनन को लेकर अक्सर सुर्खियों में आ जाते हैं, लेकिन इनके अलावा कई छोटे घाटों में भी रेत की अवैध खुदाई जोरों पर है। इसके पीछे बड़ा कारण पीएम आवास योजना है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद ज्यादा से ज्यादा पीएम आवास बनाने पर जोर है। सरकार ने पक्के मकान बनाने के लिए लोगों को अपने आसपास के घाटों से रेत मुफ्त में ले जाने की छूट दी। इसी छूट का फायदा उठाते हुए तस्कर पूरे गरियाबंद जिले में छोटे घाटों से रेत चुरा रहे हैं। स्थानीय नेताओं के संरक्षण से यह अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है।
श्यामलाल वर्मा, सीएमओ, नगर पंचायत कोपरा: रेत खनन और परिवहन से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
Published on:
25 Jun 2025 03:48 pm
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