
CG Swami Atmanand School: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में शिक्षा विभाग के काले कारनामों की फेहरिस्त में एक और बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। अफसरों ने सरकारी मंजूरी के खिलाफ जाकर इंग्लिश स्कूल तो खोले ही, चलते-फिरते हिंदी माध्यम स्कूलों को भी बंद कर डाला। हाईकोर्ट ने कहा भी कि बंद हो चुके हिंदी माध्यम स्कूलों को खोला जाए। अफसरों ने उन्हें भी नहीं सुना। पुराने स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई ही बंद करवा दी।
छूट में सरकार और हाईकोर्ट के आदेशों की नाफरमानी से साफ है कि ताकत का नशा किसी का भी सिर फिरा सकता है। तभी तो हर एंगल से विशुद्ध घोटाला साबित हो चुके इस केस पर अब भी विभाग का रवैया ऐसा है मानो कुछ हुआ नहीं। बहरहाल मुद्दे पर आते हैं। दरअसल, कॉन्ग्रेस सरकार में स्वामी आत्मानंद स्कूल योजना आई। गरियाबंद जिले में अलग-अलग चरणों में 6 इंग्लिश मीडियम स्कूल बनाए गए। प्रदेश में और भी जगहों पर स्कूल खुले।
इसी बीच कुछ लोग राज्य में मातृभाषा हिंदी को खत्म करने की बात कहते हुए हाईकोर्ट गए। जनहित याचिका लगाई। कोर्ट ने भी सारे पहलुओ को सुनने-समझने के बाद फैसला सुनाया कि सरकार पहले से चल रहे हिंदी स्कूलों को बंद नहीं कर सकती।
इसके बाद डीपीआई ने भी आदेश निकालकर सभी कलेक्टरों और डीईओ के लिए आदेश निकालकर इंग्लिश के साथ हिंदी की पढ़ाई कंटीन्यू करने की बात कही थी। गरियाबंद में अफसरों ने न हाईकोर्ट का आदेश माना, न डीपीआई का। जिले में जिन स्कूलों को आत्मानंद इंग्लिश स्कूल बनाया गया, वहां अंग्रेजी माध्यम की ही पढ़ाई हो रही है। हिंदी का कहीं कोई नामोनिशां नहीं हैं।
पत्रिका ने इस मामले में जब गरियाबंद शिक्षा विभाग के अफसरों से बात की, तो उनका कहना था कि एक स्कूल में भला दो माध्यम की पढ़ाई कैसे हो सकती है? यहां ये बात गौर करने लायक है कि सरकारें अफसरों को शैक्षणिक दौरों पर देश-विदेश भेजती है। भले अफसरों को ये पता न हो कि बगल के जिले में उनके अपने विभाग में कैसे काम होता है। तो चलिए इसका जवाब भी हम ही देते हैं।
जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर रायपुर है। यहां 23 आत्मानंद स्कूलों में हिंदी और इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई साथ हो रही है। वो भी एक छत के नीचे। राजधानी में इसके लिए अलग से कोई रॉकेट साइंस नही लगाना पड़ा। बस हिंदी के बच्चों की सुबह, तो इंग्लिश माध्यम वालों की कक्षाएं दोपहर से लगाई जाने लगीं। हो सकता है कि जिले के अफसर अब जगह की कमी का बहाना देकर पल्ला झाड़ें, लेकिन सच यही है कि आत्मानंद प्रोजेक्ट के तहत दोनों माध्यम की कक्षाएं एक छत के नीचे लगनी थीं। व्यवस्था बनाना अफसरों की जिम्मेदारी थी।
गरियाबंद के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का हाल जानने के लिए कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल बुधवार को गरियाबंद के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल पहुंचे। मुआयना करते हुए वे स्कूल की रसोई तक पहुंचे, तो उन्हें यहां काफी गंदगी दिखी। रसोई के सामान भी सही से नहीं रखे गए थे। इस अव्यवस्था को देखकर कलेक्टर तमतमा उठे। पहले तो प्राचार्य दीपक बौद्ध को जमकर फटकारा।
उन्होंने बीईओ से स्कूल में खाना बनाने वाले दंतेश्वरी महिला समूह को नोटिस जारी करने भी कहा है। गरियाबंद के डीईओ एके सारस्वत ने कहा की आत्मानंद योजना के तहत जिले में अभी 6 इंग्लिश मीडियम स्कूल और 5 हिंदी मीडियम स्कूल अलग-अलग संचालित हैं। दो माध्यमों की पढ़ाई एकसाथ कहीं नहीं हो रही है।
कोई आपको आपके ही घर से निकाल दे तो कैसा लगेगा? सालों से जिन स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई हो रही थी, वहां हिंदी बंद कर सिर्फ इंग्लिश पढ़ाना ऐसा ही फैसला था। इसे अपने ही देश में मातृभाषा पर हमले की तरह देखा गया। यही वजह रही कि कोर्ट ने भी सरकार को स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई जारी रखने कहा। डीपीआई ने भी आदेश निकालकर हिंदी और इंग्लिश माध्यम की कक्षाएं दो पालियों में लगाने की बात कही थी।
Updated on:
06 Feb 2025 01:28 pm
Published on:
06 Feb 2025 01:27 pm
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