scriptकोऑपरेटिव बैंक में एक हजार करोड़ का घोटाला ! 24 पर एफआईआर | One thousand crore scam in cooperative bank, FIR on 24 | Patrika News

कोऑपरेटिव बैंक में एक हजार करोड़ का घोटाला ! 24 पर एफआईआर

locationगाज़ियाबादPublished: Sep 20, 2020 08:45:37 pm

Submitted by:

shivmani tyagi

cooperative bank में घाैटाला सामने आने के बााद जांच शुरू
पुलिस जांच में अब सामने आ सकते हैं कई लाेगाें के नाम

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गाज़ियाबाद। महामेधा कॉपरेटिव बैंक में करीब एक हज़ार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला शासन के निर्देश पर हुए ऑडिट में अनियमितताएं मिलने पाये जाने पर सामने आया है।

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सहकारिता विभाग के सहायक निबंधक ने इस मामले में 24 लोगों पर केस दर्ज कराया है। जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने 2017 में ही बैंक का लाइसेंस निरस्त किया था और 2019 में एफआईआर व गबन की धनराशि वसूले जाने के निर्देश भी दिए गये थे।बैंक से जुड़े अधिकारियों पर गबन, घोटाला, धोखाधड़ी, फर्जी लोन, फर्जी वाउचर और सदस्यों की सहमति के बिना उनकी एफडी तोड़कर रकम कब्जाने का आरोप है। बैंक के एक लाख रुपये तक के खाताधारकों का पैसा भी लौटाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक देंवेंद्र सिंह के मुताबिक, महामेधा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड को आरबीआई द्वारा 27 फरवरी 2001 को बैंकिंग कारोबार की अनुमति मिली थी। बैंक का मुख्यालय नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित नई बस्ती गाजियाबाद में है। बैंक द्वारा गबन, धन अपहरण व वित्तीय अनियमितताओं के चलते आरबीआई ने 11 अगस्त 2017 को बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। साथ ही शासन द्वारा वित्तीय अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे। जिसे गम्भीरता से लेते हुए 27 जून 2018 को विशेष ऑडिट कराने की अनुमति प्रदान की गई। 2019 में एफआईआर व गबन की धनराशि वसूलने के निर्देश दिए गए थे।
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घोटाला उजागर होने के बाद पूर्व पदाधिकारियों और अफसरों पर रकम गबन के आरोप लगे और मैसर्स एमआरएस एंड कंपनी द्वारा बैंक का ऑडिट कराया गया, जिसमें बैंक की प्रबंध समिति के पूर्व पदाधिकारियों व बैंक अधिकारियों पर आरोप सिद्ध हुए । तृतीय पक्षों के ऋणों का समायोजन एवं फर्जी बिल वाउचर के जरिये जमाकर्ताओं के करीब 100 करोड़ रुपये का गबन किये जाने का मामला सामने आया । आरोपियों में पदाधिकारियों व अधिकारियों के अलावा विभिन्न फर्म, समिति सदस्य व कंपनियां भी शामिल हैं। प्रबन्ध समिति के पूर्व सभापति पप्पू भाटी की सितंबर 2009 में मृत्यु हो चुकी है। साथ ही ऑडिट रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विवेचना के दौरान गबन की धनराशि और गबन के आरोपियों की संख्या घट-बढ़ सकती है।
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पुलिस का कहना है कि जांच में जिन आरोपियों के नाम सामने आएंगे उन्हें भी मुकदमे में शामिल किया जाएगा। अभी इस पूरे मामले में गहनता से जांच जारी है जांच अधिकारियों का मानना है कि जिस तरह से अभी की जांच में बड़ा घोटाला सामने आया है अभी घोटाले की रकम में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। उधर लोगों के इस बैंक में खाते खुले हुये थे। वह सभी खाताधारक बेहद परेशान हैं।
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