
Ramadan 2025: हिजरी वर्ष 1446 के सबसे पवित्र महीने रमजान की शुरुआत शुक्रवार से हो चुकी है। इस दौरान मुस्लिम समाज इबादत और रोजे रखते हुए संयम का पालन करता है। खासतौर पर शिया दाऊदी बोहरा समाज (Dawoodi Bohra community) एक अनोखी परंपरा निभाता है। वह रमजान पूरे 30 दिन एक साथ इबादत और भोजन करने की। इस दौरान किसी भी घर में भोजन नहीं पकता, बल्कि सामूहिक रूप से मस्जिद के जमातखाने में इफ्तार किया जाता है।
मध्य प्रदेश के गुना के बोहरा समाज ने मस्जिद के जमातखाने में विशेष रसोई तैयार की है, जहां रोजाना 600 लोगों के लिए भोजन बनाया जा रहा है। इनमें 110 परिवारों के लोग शामिल हैं। बीमार और असमर्थ लोगों को टिफिन के माध्यम से भोजन घर पहुंचाया जाता है।
सेहरी: सभी परिवारों को सुबह सेहरी के लिए चाय, बिस्किट और खजूर के पैकेट दिए जाते हैं।
इफ्तार: शाम को जमातखाने में सामूहिक भोजन होता है, जिसमें रोटी, दो तरह की सब्जी, मिठाई और स्नैक्स परोसे जाते हैं।
रसोई में रोजाना लगभग 30 किलो आटा, 22 किलो सब्जी और 15 किलो मिठाई की खपत हो रही है। रसोइयों की टीम पूरे महीने इस व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित कर रही है। बोहरा समाज की यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती है, बल्कि समाज में सामूहिकता, सहयोग और भाईचारे का संदेश भी देती है।
रमजान अरबी शब्द 'रम्ज' से लिया गया है, जिसका अर्थ है तपिश या जलन। इस महीने में पवित्र कुरआन नाजिल हुआ था। रोजे का उद्देश्य सिर्फ भूखा रहना नहीं, बल्कि बुरी आदतों और नकारात्मक विचारों से बचना है। रोजेदार दिनभर संयम रखते हैं, बुरी बातों से बचते हैं और हर समय खुदा की इबादत में लीन रहते हैं।
Published on:
01 Mar 2025 11:34 am
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