
pkc project 45000 bigha agricultural land submerge 17 villages risk guna (फोटो- सोशल मीडिया)
PKC Project: सुठालिया परियोजना के देश को अभी गुना जिले के मधुसूदनगढ़ एवं उसके आसपास के लोग भूल नहीं पा रहे हैं। इसी बीच पार्वती-कालीसिंध चंबल परियोजना (PKC Project) के तहत गुना जिले के दो जगह बन रहे बांधी के होने वाले निर्माण से चांचौड़ा विधानसभा के 50 हजार किसानों के घर और खेती पर खतरे के बादल छाए जाने लगे हैं।
यदि इन दोनों जगह सरकार ने बांध बनवाए तो इस विधानसभा की 45 हजार बीघा जमीन पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। डूबत क्षेत्र में आने वाले 60 गांवों में से 16 गांव तो ऐसे हैं उनका बांध बनते ही नामो-निशान मिट जाएगा। क्यों कि इन गांवों के ती घर और जमीन (agricultural land) पूरी तरह डूब क्षेत्र में चली जाएगी। जिसमें 4192 परिवार निवास करते हैं। (mp news)
इन क्षेत्रों के भयभीत किसान संतोष मीना, रमेश, आशाराम समेत कई का साफ कहना है कि 2018 में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायक ममता मीना की मांग पर दो छोटे-छोटे स्टॉप डेम बनाने की जो घोषणा की थी, उस घोषणा के अनुसार स्टॉप डेम बनते तो न तो उससे एक भी गांव न तो डूब क्षेत्र में आता और न ही किसी भी तरह की खेती पूरी तरह बर्बाद होती। उस घोषणा को अमल में लाकर दो छोटे छोटे स्टॉप डेम बनाने की पहल केन्द्र व प्रदेश सरकार को करना चाहिए। वहीं इन किसानों को लेकर राजनीतिक लड़ाई भी दिनों-दिन तेज होती जा रही है। (mp news)
गुना, राजगढ़ और विदिशा की सीमा से लगे गांवों की जमीन सिंचित हो, इसके लिए प्रदेश की कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 2018 में 1375 करोड़ की सुठालिया परियोजना (सुठालिया इरिगेशन) स्वीकृत की। इसका निर्माण 2024 तक होना है। राजगढ़ जिले के ब्यावरा विकासखंड में ग्राम बैराड़ के पास पार्वती नदी पर प्रस्तावित है। इसमें राजगढ़ जिले के पांच और गुना जिले के 2 ग्राम डूब में आ रहे है। डेढ़ हजार से अधिक परिवारों को विस्थापित किया जाएगा।
यहां की 4300 हेक्टेयर जमीन डूब रही है। सुठालिया परियोजना में भी जिस दर पर जमीन का मुआवजा दिया जा रहा है, वह बाजार दर से बहुत कम है। सुठालिया परियोजना में डूब में आ रही ज्यादातर जमीन पूर्व से सिंचित है। इन जमीनों का कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से दोगुना मिल रहा है जबकि इस गाइडलाइन के हिसाब से चौगुना मिलना चाहिए था। पूर्व मुख्यमंत्री ने विशेष पैकेज की घोषणा की थी, वह नहीं मिली। विस्थापितों को ऐसी जगह दी गई है जहां रोजगार का कोई साधन नहीं है। जहां भवन बनाए गए वह भी घटिया बनाए गए है। (mp news)
गुना जिले के तीन गांव रघुनाथपुरा, तेजाखखेड़ी, कादीखेड़ा और राजगढ़ जिले के गुर्जरखेड़ी कलां, गुर्जर खेड़ी खुर्द समेत 13 से अधिक गांव। बताया गया कि बांध के डूब क्षेत्र में जमीन जाने से यह परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। वहीं ग्रामीणों में विरोध इस बात का है न तो उनको मुआवजा ठीक से मिल पा रहा है और न ही विस्थापन के लिए कोई उचित जगह। (mp news)
परियोजना के तहत दो बांध बनना है। एक बांध कुंभराज वृहद परियोजना के तहत दीतलवाड़ा के पास और दूसरा चांचौड़ा विधानसभा क्षेत्र के घाटाखेड़ी में दो बांध बनना स्वीकृत हुए हैं। इन दो बांधों से 35 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। इसमे घाटाखेड़ी और दीतलवाड़ा के आसपास के 17 गांव पूरी तरह और राघौगढ़ और चांचौड़ा के आसपास के 45 और ब्यावरा और राजगढ़ के दस से 12 गांव यानी गुना के लगभग 60 और गुना और राजगढ़ मिलाकर 72 से अधिक गांवों की 45 से 50 हजार बीया के बीच सिंचित जमीन डूब क्षेत्र में चली जाएगी। इस प्रोजेक्ट के लिए मुआवजा हेतु सरकार ने 1200 करोड़ रुपए भू-अर्जन और पुनर्वास के लिए रखे गए हैं, जो कि बहुत कम है। (mp news)
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा अनुसार प्रस्तावित सिंचाई परियोजना के तहत दो छोटे-छोटे स्टॉप डैम चोचौड़ा विधानसभा क्षेत्र के गांव नवलपुरा और भमावद में बनना थे। इन डैम से 245-250 किसान आंशिक रूप से प्रभावित हो रहे थे। इस परियोजना के तहत इन डैम के निर्माण से बांसाहेड़ा, कुंभराज समेत चांचौड़ा के कई गांव सिंचित होते। इसके साथ ही इस परियोजना से कुंभराज से लगे राजस्थान की सीमा से लगे 10 से 15 गांवों भी सिंचित होते। लेकिन यह योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई। (mp news)
घाटाखेड़ी नलखेड़ा, बड़पुरा राजपुर, चौपट ठाठपुरा, रामपुरी, बापचा विक्रम, बापचा लहरिया, चीताखेड़ी, ककरुआ, खेजड़ा अरण्या जैसे साठ से अधिक गांव हैं जहां बांध बनने के बाद इन गांवों का नामो-निशान गिट सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेरी मांग पर जिस परियोजना की घोषणा की थी। उसको अमल में लाया जाए तो एक भी गांव बबर्बाद नहीं होगा और न ही कोई ग्रामीण। घाटाखेड़ी और दीतलवाड़ा पर बांध तो हम किसी भी कीमत पर नहीं बनने देंगे। मैं किसानों के साथ हूं, जरूरत पड़ी तो विधानसभा का घेराव भी करूंगी। अपने किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगी। - ममता मीना पूर्व विधायक चांचौड़ा
मैंने दो दिन पहले किसानों के बीच बैठक करके उन्हें प्रमाण सहित स्पष्ट कर दिया है कि दो डैम ही बनेंगे। इससे किसी भी किसान को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। मैंने अपनी बात सीएम के समक्ष रख दी है। - प्रियंका मीना, विधायक, चांचौड़ा
केन्द्र व प्रदेश सरकार से जब बड़ा बांध मांगा ही नहीं गया तो फिर क्यों देकर किसानों को भाजपा सरकार बर्बाद कर रही है। हम और हमारी कांग्रेस किसानोंकी लड़ाई पूरी दम-खम से लड़ेगी।- जयवर्धन सिंह, विधायक एवं कांग्रेस जिलाध्यक्ष
Published on:
25 Sept 2025 09:29 am
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