
adulteration Cases in mp High court gwalior
Adulteration in MP Case in High Court: मिलावट माफिया एक बार फिर जांच एजेंसी पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। अगर विभाग छापेमारी की कार्रवाई कर सैंपल एकत्रित करता है, तो जांच रिपोर्ट ही आने में देरी हो जाती है। ऐसे में मिलावट माफिया पर अंकुश लगाने में सरकारी एजेंसी नाकाम हो रही हैं। दरअसल ग्वालियर-चंबल संभाग में दूध, दही, पनीर और मावा में मिलावट के मामले बड़ी संख्या में सामने आते हैं।
इतना ही नहीं, खाद्य सामग्री में मिलावट की सैंपलिंग निर्धारित संख्या से काफी कम है। उस पर नौ जिलों से खाद्य सामग्री के जो सैंपल लिए गए, उनकी रिपोर्ट देरी से मिल रही है। एक-एक साल तक रिपोर्ट फूड टेस्टिंग लैब में अटकी हैं, जिसकी वजह से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के उद्देश्य प्रभावित हो रहे हैं।
अंचल में मिलावट माफिया लगातार पैर पसारता जा रहा है। त्योहार पर मिलावट और बढ़ जाती है, लेकिन खाद्य और सुरक्षा विभाग मिलावट के कारोबार को रोकने में नाकाम है। इसकी निगरानी के लिए हाईकोर्ट ने दो सदस्यीय कमेटी बनाई। कमेटी ने 2024 में हुई कार्रवाई की निगरानी की और अपनी पहली रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी।
हाईकोर्ट में उमेश कुमार बोहरे ने मिलावट के कारोबार के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। ग्वालियर-चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर मिलावट का कारोबार हो रहा है। इसे रोकने में विभाग नाकाम है। इसके बाद अवमानना याचिका दायर की। कोर्ट ने मिलावट के कारोबार को रोकने के लिए आदेश जारी किए। उसकी निगरानी के लिए सेवानिवृत्त जिला जज संजय चतुर्वेदी व सेवानिवृत्त आइएएस बीएम शर्मा को नियुक्त किया।
उन्होंने निगरानी के बाद पहली रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की। इस रिपोर्ट के अनुसार, पाया गया कि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट पर शासन से हलफनामा मांगा है। 3 मार्च को अवमानना याचिका पर फिर से सुनवाई होगी।
जिला - सैंपल अमानक - लंबित
ग्वालियर - 602 - 91 - 180
मुरैना - 363 - 39 - 142
भिंड - 212 - 23 - 48
दतिया - 150 - 09 - 56
श्योपुर - 98 - 12 - 33
गुना - 149 - 10 - 76
शिवपुरी - 112 - 26 - 42
अशोकनगर - 63 - 19 - 21
विदिशा - 55 - 02 - 023
(रिपोर्ट 1 जनवरी 2024 से लैब में लंबित हैं )
हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि मिलावट की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाए, लेकिन आम जनता के लिए तुरंत कार्रवाई का प्लेटफॉर्म नहीं है। स्थानीय स्तर पर मोबाइल नंबर जारी किया गया है। जनता को शिकायत करने के लिए टोल फ्री नंबर भी नहीं है। इससे आम लोग शिकायत नहीं कर पा रहे हैं।
कमेटी ने पाया कि जिन फर्म व दुकानों के सैंपल एक से अधिक बार अमानक पाए गए, उनके लाइसेंस निलंबित नहीं किए गए। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत भी लाइसेंस निरस्त नहीं किया जाता है। अधिनियम के प्रावधानों को स्वैच्छिक बनाया है।
- ऐसे दुकानें जिनके नमूने अमानक पाए गए हैं, उनकी तीन महीने में फिर से सैंपलिंग होना चाहिए। कार्यालयों में इसका रिकॉर्ड संधारित नहीं किया गया। मिलावट करने वालों पर सतत निगरानी की व्यवस्था नहीं है।
मिलावट रोकने चेकपोस्ट खोले जाने हैं, लेकिन विभाग के पास अधिकारी व कर्मचारी नहीं है। न खाद्य विभाग की कार्रवाई ने खड़े किए सवाल लैब है। इसकी वजह से नाकों पर तत्काल जांच संभव नहीं है।
- भारत सरकार ने अप मिश्रण की शिकायत के लिए ऐप बनाया है, लेकिन इसका प्रचार प्रसार नहीं है। इससे वह लोकप्रिय नहीं है।
- नमूनों की जांच के लिए भोपाल में एक लैब है। ग्वालियर व जबलपुर की लैब तैयार नहीं हो सकी है। इस कारण नमूनों की जांच में देर लग रही है।
- भिंड-मुरैना में कारोबार सबसे अधिक है, लेकिन यहां पर सैंपलिंग व कार्रवाई कम है।
Published on:
16 Feb 2025 11:29 am
बड़ी खबरें
View Allग्वालियर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
