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MP के इस शहर को मिली मंजूरी, तैयार होंगे ‘आलू’ की 4 नई किस्मों के बीज

MP News: ग्वालियर के आलू अनुसंधान केंद्र में पहले से ही सूर्या, ज्योति, चंद्रमुखी, चिप्सोना-1 और चिप्सोना 3, सिंदूरी, करन, किरण, लवकार, पुखराज आदि किस्मों के बीज तैयार किए जाते हैं।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: आलू अनुसंधान केंद्र, ग्वालियर अब देश में आलू के बीज का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बनेगा। कृषि मंत्रालय ने सीपीआरआइ (सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट) शिमला की ओर से तैयार आलू की चार नई किस्मों को बीज उत्पादन-बिक्री के लिए मंजूरी दे दी है।

इससे न केवल ग्वालियर के किसानों को फायदा होगा, बल्कि देश में आलू की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होगा। केंद्रीय बीज समिति की सिफारिश पर आलू की कुफरी रतन, कुफरी चिपभारत-1, कुफरी चिपभारत-2 और कुफरी तेजस को मंजूरी दी गई है।

पहले से तैयार होते हैं ये बीज

ग्वालियर के आलू अनुसंधान केंद्र में पहले से ही सूर्या, ज्योति, चंद्रमुखी, चिप्सोना-1 और चिप्सोना 3, सिंदूरी, करन, किरण, लवकार, पुखराज आदि किस्मों के बीज तैयार किए जाते हैं। इनबीजों को यहां पर टेस्टिंग कराने के बाद देश में दूसरे राज्यों केकिसानों को भेजा जाता है।

चिप्स में आता है काम

आलू अनुसंधान में तैयार बीज से ही चिप्स बनाए जाते हैं। किस्म कुफरी चिप्सोना-1 से कुफरी चिप्सोना-3 तक का उपयोग चिप्स बनाने में होता है। ग्वालियर का आलू देश के कई क्षेत्रों में चिप्स बनाने के काम आता है। अब दो तरह का बीज व चिप्स बनाने के काम आएगा।

जानिए किस्मों की खासियत

कुफरी रतन: यह लाल छिलके वाली किस्म है और उत्तर भारत के मैदानी और पठारी क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है। भंडारण के मामलेमें यह किस्म बहुत अच्छी मानी गई है।

कुफरी तेजसः गर्मी सहन करने वाली किस्म है। मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र में लगाने की सिफारिश।

कुफरी चिपभारत-1: चिप्स प्रसंस्करण के लिए विकसित की गई है। इसकी चिप्स गुणवत्ता बेहतर है और शर्करा की मात्रा कम होती है।

कुफरी चिपभारत-2: चिप्स बनाने के लिए उत्तर और दक्षिण भारत के लिए उपयुक्त। इसे लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है।

ये सभी किस्में उच्च पोषक तत्वों से युक्त हैं। इन चार किस्म में से दो किस्में लोगों के खाने के लिए और दो प्रस्संकरण कर चिप्स बनाने के लिए तैयार की गई हैं। यहां चारों किस्मों के बीज भी तैयार किए जाएंगे और उसके बाद दूसरे राज्यों के किसानों को दिए जाएंगे।- डॉ. सुभाष कटारे, प्रमुख, आलू अनुसंधान केंद्र, ग्वालियर