
(फोटो सोर्स: AI Image)
MP News: सरकारी सेवा में दर्ज जन्मतिथि की सुधार की मांग को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अस्वीकार कर दिया। कहा कि सेवा के अंतिम चरण में जन्मतिथि सुधार की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती, भले ही समर्थन में साक्ष्य उपलब्ध हों। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद कहा कि किसी कर्मचारी को नौकरी की शुरुआत में जो जन्मतिथि दर्ज होती है, वही अंतिम मानी जाएगी। केवल उसी स्थिति में बदला जा सकता है जब कोई स्पष्ट क्लेरिकल त्रुटि साबित हो।
लंबे समय तक चुप रहने के बाद सुधार की मांग करने वाले कर्मचारियों को राहत नहीं दी जा सकती। मामला श्योपुर के पीडब्ल्यूडी कर्मचारी जफरुद्दीन से जुड़ा है। उन्होंने सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि 1 जुलाई 1955 की जगह 2 अप्रेल 1958 कराने की मांग की थी।
तर्क था कि आठवीं की अंकसूची में सही जन्मतिथि दर्ज है। विभागीय गलती के कारण सेवा रिकॉर्ड में त्रुटि हुई। इस आधार पर 2017 में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जन्मतिथि सुधार की याचिका सेवा के अंतिम समय में स्वीकारने से अन्य कर्मचारियों के प्रमोशन और पदोन्नति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
Updated on:
21 Aug 2025 11:02 am
Published on:
21 Aug 2025 11:00 am
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